CG Coal Scam: भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी के बीच एक और एक्शन, इस बड़े कांग्रेस नेता का करीबी पहुंचा सलाखों के पीछे, 100 करोड़ वसूलने का आरोप
भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी के बीच एक और एक्शन, Devendra Dadsena close aide of Congress leader Ram Gopal Agarwal Arrested in coal scam
CG Coal Scam. Image Source-IBC24
- देवेंद्र डड़सेना पर करोड़ों की वसूली का आरोप।
- देवेंद्र डड़सेना कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल का करीबी
- पूर्व कांग्रेस कोषाध्यक्ष अग्रवाल अब तक फरार
रायपुरः CG Coal Scam: छत्तीसगढ़ में शुक्रवार का दिन आबकारी घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर ED की रेड और उनके बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को लेकर गर्म रहा। इधर, कोल घोटाले को लेकर जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू को बड़ी सफलता हाथ लगी है। एजेंसी ने घोटाले के मुख्य सरगना रामगोपाल अग्रवाल के राजदार देवेंद्र डड़सेना को गिरफ्तार किया है। डड़सेना पर रामगोपाल अग्रवाल के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपए वसूलने का आरोप है। दावा है कि इस पैसे का इस्तेमाल चुनावों में हुआ था। फिलहाल EOW की टीम आरोपी को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई कर रही है।
CG Coal Scam: बता दें कि छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले मामले में ED की रिपोर्ट पर ACB /EOW ने दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 36 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की है, जिसपर एजेंसी जांच कर रही है। आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करोड़ों रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई है। अब इस मामले में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के करीबी देवेंद्र डड़सेना को गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों के अनुसार, पूछताछ के दौरान और भी बड़े नामों का खुलासा हो सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए ईओडब्ल्यू की टीम पूरे प्रकरण की बारीकी से जांच कर रही है।
2 साल से फरार हैं रामगोपाल अग्रवाल
बता दें कि साल 2013 में रामगोपाल अग्रवाल को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। रामगोपाल अग्रवाल पिछले दो सालों से फरार हैं। उन पर ED की रेड के बाद से ही शिकंजा कस गया था। साल 2022 में हुई छापेमारी में कई अहम दस्तावेज और सबूत जब्त किए गए थे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले और बाद में साल 2022-23 में 2-3 बार उनके ठिकानों पर ED ने छापा मारा था। तब से वे न तो पार्टी के कार्यक्रमों में नजर आए, न ही किसी बैठक में शामिल हुए। खुद कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में मौजूद कई नेताओं को भी ये याद नहीं कि उन्हें आखिरी बार कब देखा गया था।

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