Karneshwar Mahadev Temple Dhamtari: Gods and Goddesses

Karneshwar Mahadev Temple Dhamtari : छत्तीसगढ़ के इस मेले में आते हैं देवी-देवता, ये चीज भेंट कर देते हैं मड़ई का निमंत्रण, जानिए परंपरा के पीछे की कहानी

छत्तीसगढ़ के इस मेला में आते है देवी देवता...Karneshwar Mahadev Temple Dhamtari: Gods and Goddesses come to this fair of Chhattisgarh

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Modified Date: February 14, 2025 / 11:29 AM IST
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Published Date: February 14, 2025 11:05 am IST

धमतरी : Karneshwar Mahadev Temple Dhamtari : जिले के सिहावा स्थित कर्णेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित सात दिवसीय मांघी पूर्णिमा मेला में श्रद्धालुओं का विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा। दूसरे दिन बस्तर और उड़ीसा के विभिन्न क्षेत्रों से देवी-देवता अलग-अलग स्वरूपों में मंदिर पहुंचे। इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ आई। मंदिर ट्रस्ट ने दूर-दराज से आए देवी-देवताओं का सम्मानपूर्वक स्वागत कर उन्हें नारियल भेंट किया। परंपरा के अनुसार, देवी-देवताओं ने मेला प्रांगण के ढाई चक्कर लगाए, जिसके बाद मेला सम्पन्न हुआ। श्रद्धालु देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेकर सुख-समृद्धि की कामना करते नजर आए।

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इतिहास और कर्णेश्वर महादेव की महिमा

Karneshwar Mahadev Temple Dhamtari : कर्णेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी में सोमवंशी राजा कर्णदेव द्वारा करवाया गया था। तभी से इस मंदिर की महिमा पूरे प्रदेश सहित पड़ोसी राज्य उड़ीसा तक फैली हुई है। हर वर्ष माघी पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु महानदी के उद्गम से लेकर कर्णेश्वर संगम स्थल तक स्नान व दान कर बाबा के दर्शन करने आते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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फूल मेला: एक अनूठी परंपरा

Karneshwar Mahadev Temple Dhamtari : माघी पूर्णिमा मेले के दूसरे दिन फूल मेले का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। वर्षों से चली आ रही इस अनूठी परंपरा को मंदिर ट्रस्ट के लोगों ने निभाया और भव्य आयोजन के साथ मेला सम्पन्न हुआ। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए मेला परिसर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं, ताकि भक्तजन बिना किसी परेशानी के दर्शन कर सकें और आयोजन सुचारू रूप से सम्पन्न हो सके।

कर्णेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास क्या है?

कर्णेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी में सोमवंशी राजा कर्णदेव द्वारा करवाया गया था, जो अब छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।

धमतरी के सिहावा में आयोजित माघी पूर्णिमा मेले का महत्व क्या है?

यह मेला महानदी के उद्गम स्थल पर आयोजित होता है, जहां श्रद्धालु स्नान, दान और कर्णेश्वर महादेव के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

फूल मेला क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?

फूल मेला माघी पूर्णिमा मेले का एक हिस्सा है, जिसमें श्रद्धालु फूल अर्पित कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह वर्षों से चली आ रही एक अनूठी परंपरा है।

क्या माघी पूर्णिमा मेले में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं?

हाँ, प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट द्वारा सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

माघी पूर्णिमा मेले में कौन-कौन से धार्मिक अनुष्ठान होते हैं?

इस मेले में स्नान, दान, देवी-देवताओं का स्वागत, फूल मेला और पारंपरिक परिक्रमा जैसी विभिन्न धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं।
 
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