अंधविश्वास के चलते बेटो ने बाप के साथ की ऐसी घिनौनी हरकत, सुनकर कांप जाएगी आपकी रूह
Trick of Superstition: जिस बाप की उंगली पकड़ कर बेटे ने चलना सीखा, जिनके कंधे पर बैठ कर दुनिया को देखी उसी बाप को घर से निकाल शमसान के पास एक झोपड़ी मे जिन्दा छोड आया। उन्हे अपने से दूर कर दिया, सिर्फ एक बीमारी के डर से।
Innocent died due to superstition in Shahdol
Trick of Superstition: गरियाबंद। कहते हैं जब मुसीबत आती है तो साया भी साथ छोड़ जाता है और रिश्ते, नाते दोस्त यार सबको वह शख्श बोझ लगने लगता है। यहां तक खून के रिश्ते भी दूरी बना लेते है। ऐसा ही एक मामला गरियाबंद जिसे से सामने आया है। यहां जिस बाप की उंगली पकड़ कर बेटे ने चलना सीखा, जिनके कंधे पर बैठ कर दुनिया को देखी उसी बाप को घर से निकाल शमसान के पास एक झोपड़ी मे जिन्दा छोड आया। उन्हे अपने से दूर कर दिया, सिर्फ एक बीमारी के डर से। इस घटना की सूचना जैसे ही समाजसेवी गौरी शंकर कश्यपके मिल वैसे ही प्रशासन ने तत्काल बीमार का इलाज शुरू किया ।
पिता को शमशान की झोपड़ी में छेड़ा
दरअसल, मैनपुर विकास खन्ड के ग्राम मदागँमुडा निवासी गोन्चू यादव को गैंग्रीन बीमारी हो गया। जिसे घर एवं गांव के लोगो ने कुष्ट रोग समझकर उसके ही बच्चों ने उसे श्मशान घाट के किनारे झोपड़ी में बसा दिया। दरसल मैनपुर विकासखंड के मदागमुँड़ा गांव में एक व्यक्ति गोन्चू यादव जिसकी उम्र 65 वर्ष है, उनके पैर पर जख्म हो गया था। जिसके चलते पैर गलता जा रहा था इसे देखकर कुछ लोगो ने घरवालों को हिदायत दी कि यह रोग कुष्ठ रोग है और यह रोग धीरे-धीरे सब को हो जाएगा इसलिए अपने पिता को घर से दूर बसा दो। बस फिर क्या था, इसी के चलते बच्चों ने अपने बुजुर्ग पिता जो ठीक से चल भी नहीं पाते उसे श्मशान घाट के पास नदी किनारे झोपड़ी में लाकर रख दिया। जहां उसकी पत्नी गांव से एक किलो मिटर दूर उसे खाना पहुंचा कर दूर से देकर आ जाती थी।
गैंग्रीन के कुष्ट रोग समझ बैठें परिजन
इस घटना की जानकारी जैसे ही गांव के समाजसेवी गौरी शंकर कश्यप को पता चला उन्होंने तत्काल मौके पर पहुंचे उस बिमार वृद्ध से भेंट करते हुए मिडिया एवं प्रशासन को सूचना दी। जिसके बाद प्रशासन ने तत्काल 108 के मदद से मैनपुर स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक गजेंद्र दुर्ग मदागँमुड़ा पहुंचकर इलाज शुरू किया । बीमार व्यक्ति का जब परीक्षण किया तो पाया कि उक्त बीमारी कुष्ठ रोग नहीं बल्कि गैंग्रीन है। जिसके चलते उसका पैर खराब हो रहे है। डॉक्टरो के दल ने तत्काल उसका वहीं पर इलाज करते हुए उसे गरियाबंद स्वास्थ्य केंद्र में लाकर भर्ती कराया।
अस्पताल में इलाज जारी
दरसल गैंग्रीन और कुष्ठ रोग में फर्क यह होता है कि कुष्ठ रोग में जब घाव होते हैं तो दर्द बिल्कुल नहीं होता और गैंग्रीन में जब घाव होता है तो रोगी को काफी दर्द होता है । अंततः आज इस वृद्ध व्यक्ति को अपने अकेलेपन से छुटकारा मिला और गरियाबंद अस्पताल में लाकर उसका समुचित इलाज किया जा रहा है।
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