Naxalite Surrender in Chhattisgarh: आठ लाख रुपये की इनामी महिला माओवादी जानसी ने किया सरेंडर.. झारखण्ड में एक करोड़ का माओवादी ढेर

पिछले दो सालो से छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों में नक्सलियों पर पुलिस और सुरक्षबलों का दबाव बढ़ा है। आंकड़े बताते हैं कि 2004 से 2014 के बीच नक्सली घटनाओं के मुक़ाबले 2014 से 2024 , यानि मोदी सरकार के कार्यकाल में 50 से 70 फ़ीसदी तक की कमी हुई है।

Naxalite Surrender in Chhattisgarh: आठ लाख रुपये की इनामी महिला माओवादी जानसी ने किया सरेंडर.. झारखण्ड में एक करोड़ का माओवादी ढेर

Naxalite Surrender in Chhattisgarh || Image- IBC24 News File

Modified Date: September 15, 2025 / 02:20 pm IST
Published Date: September 15, 2025 1:41 pm IST
HIGHLIGHTS
  • जानसी का आत्मसमर्पण, संगठन को झटका
  • सहदेव, चंचल, मनोज ढेर
  • नक्सलियों पर बढ़ता दबाव

Naxalite Surrender in Chhattisgarh: गरियाबंद: छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर पुलिस और सुरक्षाबलों को लगातार कामयाबी मिल रही है। इस बीच बताया गया है कि, गरियाबंद में सक्रिय महिला नक्सली जानसी ने सरेंडर कर दिया है। यह महिला नक्सली लम्बे वक़्त से इलाके में एक्टिव थी। वह माओवादियों के द्वारा अंजाम दिए गए कई बड़े हमलों में भी शामिल थी। उस पर पुलिस ने आठ लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। महिला माओवादी जानसी के सरेंडर को संगठन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वह गरियाबंद इलाके में सक्रिय थी जहां नक्सलियों को पिछले दिनों कई बड़े नुकसान भी उठाने पड़े है।

READ MORE: IND vs PAK Asia Cup 2025: मैच के साथ भारत ने जीता दिल, सूर्या ने कहा, ‘हम पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के साथ हैं, यह जीत भारतीय सशस्त्र बलों को समर्पित’..

सीसी मेंबर सहदेव झारखण्ड में ढेर

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ मिल रही बड़ी कामयाबी के बीच पड़ोसी राज्य झारखण्ड में भी सुरक्षाबलों ने माओवादियों के खिलाफ बड़ी और असरदार कार्रवाई की है। झारखण्ड के हजारीबाग में मुठभेड़ में कोबरा 209 बटालियन के जवानों ने माओवादियों के टॉप लीडर और केंद्रीय कमेटी के नेता सहदेव को मार गिराया है। इस एनकाउंटर में तीन बड़े नक्सलियों की मौत हुई है, इनमें 25 लाख का इनामी चंचल भी शामिल है। सभी नक्सलियों पर अलग-अलग राज्यों में करोड़ो रुपए का इनाम घोषित था। झारखण्ड में हुए बड़े माओवादी हमलों में इन नक्सलियों की भूमिका रही है।

 ⁠

Naxalite Surrender in Chhattisgarh: पुलिस ने बताया है कि, सीसी मेंबर सहदेव पर एक करोड़ रुपये जबकि जोनल कमेटी सदस्य चंचल पर 25 लाख रुपये का इनाम था। मुठभेड़ के बाद घटनास्थल का जायजा लिया गया जिसमें तीन AK-47 ऑटोमैटिक हथियार भी जवानों ने किया रिकवर किया है।

चार दिनों में तीसरा बड़ा झटका

गौरतलब है कि, गुरुवार को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में हुए मुठभेड़ में सीआरपीएफ और डीआरजे के जवानों ने 10 माओवादियों को मार गिराया था। इस मुठभेड़ में सीसी सदस्य मनोज उर्फ़ बालकृष्ण मॉडेम भी मारा गया था। मनोज पर एक करोड़ रुपये का इनाम था। वह कई बड़े मामलों में वांछित था। रायपुर आईजी ने बताया था कि, गरियाबंद के मैनपुर के जंगलों में माओवादी मनोज की संभावित मौजूदगी की सूचना के बाद ऑपरेशन लांच किया गया था। इस मुठभेड़ के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सुरक्षाबलों को इस कामयाबी पर बधाई दी थी। उन्होंने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा था कि, बचे खुचे माओवादी आत्मसमर्पण कर दें। सोशल मीडिया पर उन्होंने मार्च 2026 तक देशभर से नक्सलवाद को ख़त्म करने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी।

सुजाता ने भी डाले हथियार

मनोज के मारे के जाने के बाद नक्सलियों को शनिवार को तब एक और बड़ा झटका लगा था जब केंद्रीय कमेटी के महिला नक्सली और पूर्व नक्सली किशन जी की पत्नी सुजाता ने तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इस मामले में छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि, “सेंट्रल कमेटी की सदस्य सुजाता के आत्मसमर्पण के बाद, छत्तीसगढ़ में सक्रिय माओवादियों की सेंट्रल कमेटी में अब कुछ ही सदस्य बचे हैं। कुल मिला कर इनका शीर्ष नेतृत्व समापन की ओर है।”

READ ALSO: Supreme Court on Waqf Law: वक्फ कानून की वैधता पर SC आज सुनाएगा आदेश, 4 महीने पहले 22 मई को फैसला रखा था सुरक्षित 

ख़त्म होने के कगार पर माओवाद!

Naxalite Surrender in Chhattisgarh: गौरतलब है कि, पिछले दो सालो से छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों में नक्सलियों पर पुलिस और सुरक्षबलों का दबाव बढ़ा है। आंकड़े बताते हैं कि 2004 से 2014 के बीच नक्सली घटनाओं के मुक़ाबले 2014 से 2024 , यानि मोदी सरकार के कार्यकाल में 50 से 70 फ़ीसदी तक की कमी हुई है। मसलन , 2004 से 2014 तक जहां नक्सली हिंसा की 16463 घटनाएं घटी वहीं मोदी के कार्यकाल में ये घटकर 7714 हो गई , यानि 53 फ़ीसदी की कमी। इसी तरह, यूपीए के दस सालों में जहां सुरक्षा बलों के 1851 जवान और 4766 आम नागरिकों की मौत हुई वहीं 2014 के बाद से अबतक 509 जवान और 1495 नागरिक मारे गए हैं, यानि क्रमशः 73 फीसदी और 70 फ़ीसदी की कमी।सूत्रों की मानें तो कभी 42 सदस्यों वाली सीपीआई माओवादी की सेंट्रल कमेटी में, अब केवल 13 सदस्य बचे हैं।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown