रिपोर्ट- राजेश राज, रायपुर: universities of Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में इन दिनों स्थानीय कुलपति की नियुक्ति की मांग को लेकर घमासान मचा हुआ है, वैसे तो ये विवाद पहले भी सामने आया है, लेकिन ताजा विवाद रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को लेकर है। यहां स्थानीय कुलपति की मांग करते हुए विश्वविद्यालय के शिक्षक, वैज्ञानिक, डीन, संचालक से लेकर छात्र-छात्राएं राजभवन के सामने प्रदर्शन तक कर चुके हैं। कई मंत्री भी स्थानीय कुलपति के समर्थन में बयान दे रहे हैं। लेकिन राज्यपाल कड़े तेवर दिखाती हुईं दो टूक कह दी हैं, गुणवत्ता सबसे ऊपर। कोई मुझपर दवाब बनाने की कोशिश ना करे।
universities of Chhattisgarh राजभवन के सामने प्रदर्शन करते इन लोगों में रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षक, वैज्ञानिक से लेकर डीन और छात्र-छात्राएं तक शामिल हैं। इनकी मांग है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति के रूप में किसी स्थानीय व्यक्ति की नियुक्ति हो। प्रदर्शन करने से पहले दो बार शिक्षकों ने राज्यपाल से मुलाकात की कोशिश की थी, लेकिन जब मुलाकात नहीं हुई तो राजभवन के सामने प्रदर्शन किया। उनके इस प्रदर्शन को सरकार का भी समर्थन मिला। कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे, ताम्रध्वज साहू से लेकर अमरजीत भगत तक का बयान आया कि यदि प्रदेश में स्थानीय प्रतिभा है तो उसे मौका मिलना ही चाहिए। लेकिन जब इस मुद्दे पर राज्यपाल का बयान सामने आया तो प्रदेश की राजनीति में खलबली मच गई।
अनुसुइया उईके ने स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दे पर सीधे-सीधे सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने सवाल किया है कि 32 फीसदी आदिवासी, 14 फीसदी एससी और बाकी पिछड़े वर्ग के आबादी वाले छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में एक ही समाज के कुलपति क्यों होने चाहिए? वो यहीं नहीं रूकीं, उन्होंने सवाल किया कि विश्वविद्यालय की मतलब ही विश्व का विद्यालय है। अगर दूसरे विश्वविद्यालय से ज्यादा क्वालिफाइड व्यक्ति अप्लाई करता है तो नियुक्त क्यों नहीं होनी चाहिए। लेकिन उनके इस बयान ने सरकार और राजभवन के बीच की तल्खी को गहरा कर दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तंज भरा बयान दिया कि राज्यपाल राजनीति करना बंद करें। कोई क्या कर सकता है ये अलग मुद्दा है, लेकिन वो जो राजनीति कर रही है, वो दुर्भाग्यजनक है। वहीं मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राजभवन को राजनीति में घसीटे जाने की आलोचना की है।
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बहरहाल, इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। कमेटी की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी जा चुकी है। उम्मीद है एक दो दिनों में नए कुलपति का नाम भी सामने आ जाएगा। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने पहले से ही राजभवन और सरकार के बीच जारी खाई को और चौड़ा कर दिया है। वैसे कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय और हाल ही में उद्यानिकी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर भी सरकार और राजभवन के बीच जमकर तकरार हो चुकी है।