CG Ki Baat: सिंदूर पर संग्राम..कब तक सियासी कोहराम? क्या सिंदूर के नाम पर सियासत अब सीमापार हो चुकी है? देखिए पूरी रिपोर्ट

CG Ki Baat: सिंदूर पर संग्राम..कब तक सियासी कोहराम? क्या सिंदूर के नाम पर सियासत अब सीमापार हो चुकी है? देखिए पूरी रिपोर्ट

  •  
  • Publish Date - May 30, 2025 / 10:45 PM IST,
    Updated On - May 30, 2025 / 10:45 PM IST

CG Ki Baat | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकाने 22 मिनट में ध्वस्त किए गए
  • सत्ता और विपक्ष दोनों ही इस ऑपरेशन के नाम और क्रेडिट पर सियासत में जुटे हैं
  • महिलाओं के सिंदूर जैसे संवेदनशील विषय को राजनीतिक तूल दिए जाने पर चिंता जाहिर की जा रही है

रायपुर: 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए केंद्र सरकार ने देश की सेनाओं को पूरा फ्री-हैंड दिया। 6-7 मई की आधी रात के बाद सेनाओं ने 22 मिनिट के भीतर पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इस बदले को नाम दिया ऑपरेशन सिंदूर। जितना घातक वार उतना ही संवेदनशील इसका नाम आतंकियों ने जैसे भारत की धरती पर महिलाओं के सामने उनका सिंदूर उजाड़ा था। सो इसके बदले का नाम भी सिंदूर ही दिया गया। पूरे ऑपरेशन के दौरान देश, देश की जनता, पक्ष-विपक्ष पूरी तरह से एक-एक कदम में साथ रहा। सरकार के साथ, अपनी सेना के साथ लेकिन फिर 10 मई सीजफायर के बाद शुरू हुआ इसके क्रेडिट लेने का खेल। ऐसा अतंहीन सिलसिला जो अब बेहद हल्के स्तर पर जाता दिख रहा है। जो चाहे वो वो कुछ भी बोल रहा है। सिंदूर के बहाने विपक्ष बीजेपी को गरियाने के मौका नहीं छोड़ रही, तो सत्तारूढ़ दल भी सिंदूर की क्रेडिबिलिटी को भुनाने की पूरी कोशिश रही है। कहते सब हैं लेकिन शायद भूल चुके हैं कि सिंदूर, हमारे लिए, महिलाओं के लिए बेहद संवेदनशील विषय रहा है, इसे कम से कम राजनीति से बाहर रखना चाहिए। किस हद तक पहुंचेगी सिंदूर पर ये सियासत

Read More: Raman Singh Statement: “जो विधायक 11 बजे तक सोता है, अगली बार नहीं जागेगा”, रमन सिंह की सियासी क्लास, PA-OSD को दी सख्त नसीहत

ऑपरेशन सिंदूर सियासी नेताओं का मनपसंद विषय बन गया है। जो चाहे वो कुछ भी बोल रहे हैं। हद ये है कि सिंदूर के बहाने बीजेपी को गरियाने के मौके भी छोड़ नहीं रहे हैं विरोधी हालांकि ये भी सच है कि सत्तारूढ़ दल सिंदूर की क्रेडिबिलिटी को भुनाने की पूरी कोशिश रही है। नतीजा ये कि सिंदूर दो पाटन के बीच में सैंडविच सा बन गया है। सियासी बिरादरी को इस बात की जरा भी परवाह नहीं कि कुछ विषय या क्षेत्र होते हैं। जिसे राजनीति से बाहर रखना ही सही होता है। श्रेय और विरोध की धुन में सिंदूर पर हो रही सियासी तिजारत किस हद तक पहुंचेगी। ये सवाल अब शूल बनता जा रहा है।

Read More: Rajasthan Cyber Fraud: पुलिस के हत्थे चढ़ा सबसे बड़ा साइबर ठग, अब तक 400 करोड़ की कर चुका है ठगी, बड़े-बड़े शहरों में बिछा रखा था जाल 

ऑपरेशन सिंदूर पर सियासत कहां थमेगी, कब थमेगी, सिंदूर के नाम पर सियासत आखिर किस स्तर तक पहुंचेगी ये सवाल हर दिन उठ रहा है। बार-बार उठ रहा है। बीते दिनों छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल ने कहा कि नक्सलवाद-आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित कांग्रेस पार्टी रही है जबकि बीजेपी इसका फायदा उठा रही है। लेकिन बघेल केे बयान को उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ़ चरणदास महंत खारिज कर चुके हैं। अब BJP के घर-घर सिंदूर पहुंचाने का अभियान को पूर्व PCC चीफ धनेंद्र साहू ने भारतीय संस्कृति के उलट बताया, कहा कि भारतीय परंपरा में सिंदूर केवल पति लाता है। नेता प्रतिपक्ष डॉ महंत ने रबा कि ऑपरेशन सिंदूर तो काफी बढ़िया रहा लेकिन मोदी कहे की रगों में गर्म सिंदूर दौड़ रहा, ये हास्यास्पद है।

Read More: Newly Married Man Death: 12 दिन पहले बज रही थी शादी की शहनाई, अब घर में मातम! नए दूल्हे की हार्टअटैक से मौत

जाहिर है, कांग्रेस का हमला सीधे PM मोदी और बीजेपी पर हुआ है सो भाजपा ने भी पूरी ताकत से कांग्रेस की आपत्तियों को खारिज कर पलटवार किया। कुल मिलाकर देश की सेनाओं के शौर्य से जुड़ा है ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम के पीड़ितों के दर्द का प्रतिशोध है ऑपरेशन सिंदूर, महिलाओं के सुहाग और मान से जुड़ा है सिंदूर नाम फिर इस पर इतनी देर और इसने सस्ते स्तर पर सियासत क्यों? सवाल ये है कि क्या घर-घर सिंदूर पहुंचाने की मुहिम सही है? क्या ये सब सिर्फ खबरों में बने रहने के लिए, किसी पॉलिटिकल गेन के लिए कहां रूकेंगे नेता, कब थमेंगे बेतुके बोल?

ऑपरेशन सिंदूर क्या है और इसका उद्देश्य क्या था?

ऑपरेशन सिंदूर भारत की सेनाओं द्वारा 6-7 मई की रात पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए की गई सैन्य कार्रवाई थी, जो पहलगाम हमले के प्रतिशोध में की गई।

ऑपरेशन सिंदूर का नाम 'सिंदूर' क्यों रखा गया?

इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ इसलिए रखा गया क्योंकि आतंकियों ने भारतीय महिलाओं के सुहाग को निशाना बनाया था। यह नाम सम्मान और बदले दोनों का प्रतीक है।

ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के क्या आरोप हैं?

विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी इस सैन्य कार्रवाई को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है, और इस नाम का राजनीतिक दुरुपयोग हो रहा है।