ट्रांसपोर्टर नाराज…सीमेंट में आग! समस्या को दूर करने क्या कदम उठा रही है सरकार?
समस्या को दूर करने क्या कदम उठा रही है सरकार! Hike Cement Price! Due to Increase Price Upset Transporters of Chhattisgarh
रायपुर: देश में कहीं अगर सबसे ज्यादा सीमेंट का उत्पादन होता है. तो वो है छत्तीसगढ़, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इन दिनों पूरे छत्तीसगढ़ में सीमेंट की भारी शॉर्टेज है। मार्केट में कालाबाजारी हो रही है, हालात ये है कि मुंह मांगी भुगतान करने पर भी आसानी से सीमेंट उपलब्ध नहीं हो पा रहा। इसकी वजह पिछले तीन हफ्ते से सीमेंट ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल है। बीते एक साल में ये दूसरा मौका है जब भाड़ा बढ़ाने की मांग को लेकर ट्रांसपोर्टर हड़ताल पर हैं। अब सवाल ये है कि इस समस्या को दूर करने सरकार क्या कदम उठा रही है और अगर हड़ताल जल्द खत्म नहीं हुआ तो इसका अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा असर पड़ेगा?
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Cement price today in CG : माल भाड़ा बढ़ाने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ में सीमेंट ट्रांसपोर्टर्स पिछले 22 दिन से हड़ताल पर है। ट्रकवालों ने सीमेंट फैक्ट्रियों से लोडिंग-अनलोडिंग बंद कर दी है, जिसका असर अब दिखने लगा है।डीलर्स के पास सीमेंट का स्टॉक खत्म हो गया है या थोड़ा ही बचा है। नतीजा ये है कि बाजार में अघोषित सीमेंट की किल्लत हो गयी है, जो कालाबाजारी के रूप में सामने आ रहा है। रायपुर में 240 रुपए सीमेंट बोरी अब 400 रुपए तक बिक रही है। इसका असर आम लोगों से लेकर कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट सेक्टर पर भी पड़ा है।
छत्तीसगढ़ को सीमेंट उत्पादन का हब माना जाता है। छोटे बड़े मिलाकर करीब 15 सीमेंट प्लांट है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता रोजाना लगभग एक लाख टन सीमेंट की है। लेकिन भाड़ा बढ़ाने की मांग को लेकर ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के कारण पूरे प्रदेश में सीमेंट का संकट हो गया है। इससे रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे हैं। निजी बिल्डरों के अलावा प्रदेश में बड़े पैमाने पर सरकारी और निजी निर्माण कार्य चल रहे है, लेकिन सीमेंट सप्लाई न होने से काम रोकना पड़ा है। छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर संघ के मुताबिक प्रदेश में अभी करीब 5000 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य जारी है। सीमेंट की कमी से करीब 90 फीसदी काम बंद हो गया है, लिहाजा वो सरकार से इसमें जल्द हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं।
हड़ताल का असर रियल एस्टेट और सरकारी निर्माण के अलावा छोटे ठेकेदार, मजदूर और आम लोगों पर भी पड़ रहा है। छोटे सिविल ठेकेदारों को जहां सीमेंट नहीं मिलने से काम रोकना पड़ा है, तो वहीं मजदूरों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट आ गया है। सीमेंट ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल से राज्य सरकार को रोज 3 करोड़ राजस्व का नुकसान हो रहा है। हालांकि परिवहन संघ का ह़ड़ताल के पीछे दलील दे रही है कि पेट्रोल- डीजल के दामों में वृद्धि होने के बाद भी अब तक किराए में उतनी वृद्धि नहीं हुई है, जितनी वे मांग कर रहे हैं। भाड़ा के मुद्दे के अलावा सीमेंट कंपनियों में बाहरी ट्रांसपोर्टर्स को यहां पर काम दिए जाने का भी विरोध हो रहा है।
सीमेंट कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच जारी जंग से पूरे प्रदेश में अर्थव्यवस्था पर बड़े पैमाने पर असर पड़ रहा है। सीमेंट कारोबारी मामले में चेंबर ऑफ कॉमर्स से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं, जिस पर चेंबर ऑफ कॉमर्स का कहना है कि वो सरकार के प्रतिनिधियों और सीमेंट कंपनियों के साथ मिलकर समस्या का हल निकालने का प्रयास कर रहे हैं। कुल मिलाकर ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल से रायपुर समेत सभी जिलों में सीमेंट की सप्लाई ठप हो गई है।कई कारोबारियों ने ओडिशा और महाराष्ट्र से सीमेंट मंगवाना शुरु कर दिया है, लेकिन इसके लिए उन्हें अधिक भाड़ा देना पड़ रहा है। दूसरे राज्यों से सीमेंट आने से सरकार को भी राजस्व का नुकासन उठाना पड़ रहा है। अब देखना है कि सरकार इस समस्या का हल निकालने के लिए क्या कदम उठाती है और लोगों को सीमेंट की इस बनावटी महंगाई से कब तक निजात मिलता है।

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