CG Ki Baat | Photo Credit: IBC24
रायपुर: CG Ki Baat छत्तीसगढ़ का बड़ा आदिवासी बहुल हिस्सा धर्मांतरण की समस्या से जूझता रहा है। पक्ष-विपक्ष में धर्मांतरण का संरक्षक कौन इसे लेकर बहस के कई दौर चले लेकिन दूसरी तरफ जमीन पर परिवार-परिवार, गांव के गांव धर्मांतरित होते रहे। पहले धर्मांतरण पर कांग्रेस को घेरने वाली बीजेपी अब खुद सरकार में है, और धर्मांतरण अब भी एक बड़ा और गंभीर मुद्दा है। सवाल बार-बार पूछा जाता है क्या कानून कमजोर है या प्रशासन उदासीन क्यों धड़ल्ले से होता है कन्वर्जन अब सरकार भी मानती है कि मिशनरी की फंडिंग से, चंगाई सभा की आड़ में चमत्कार का जादुई खेल दिखाकर धर्म बदलने माहौल बनाया जाता है।
CG Ki Baat तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का भी स्वीकार कर रहे हैं कि प्रदेश में धर्मांतरण हो रहा है और अब उसके लिए चंगाई सभा एक बड़ा माध्यम बने दिखते हैं। प्रदेश के मुखिया मानते हैं कि चंगाई सभाओं तक भोले-भाले आदिवासियों, ग्रामीणों, गरीब-बीमार लोगों को लाना और उन्हें जादुई पानी पिलाकर बीमारी ठीक करने का ढोंग रचा जाता है और ये सब होता है क्रिश्चियन मिशनरी के बैकअप से CM का सीधा आरोप है कि अब, गांव-गांव प्रोफेशनल तरीके से धर्मांतरण कराने पेड वर्कर तक काम पर लगाए जाते हैं।
इधर, विपक्ष का कहना है कि हमपर आरोप लगाने की बीजेपी अब खुद सरकार में है और धर्मांतरण रोक पाने में नाकाम है। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि अगर सरकार को लगता कि चंगाई सभाएं इसका जरिया हैं तो ये प्रशासन की नाक के नीचे हो कैसे रहा है?
कड़वा सच है कि सरकार चाहे जिस दल की हो दावे चाहे जितने कर लो लेकिन धर्मांतरण रुका नहीं है। संविधान में मिले अधिकारों की दुहाई देकर, अपनी मर्जी से धर्मांतरण का राग अलाप कर भय, लालच और चमत्कार की चमक दिखाकर बड़े पैमाने पर कन्वर्जन कराया जाता है, जिससे अब गांवों में वर्ग संघर्ष जैसे हालात तक बनने लगे हैं। सवाल है अगर वाकई सरकार को धर्मांतरण का तरीका पता है तो इस पर कैसे और कब अंकुश लगेगा?