IBC24 News Mind Summit: नदी तैरकर कार्यकर्ताओं के पास पहुंच गए थे सीएम साय, IBC24 के मंच से खुद सुनाया ये दिलचस्प किस्सा

नदी तैरकर कार्यकर्ताओं के पास पहुंच गए थे सीएम साय, IBC24 News Mind Summit: CM Sai reached the workers by swimming in the river

IBC24 News Mind Summit: नदी तैरकर कार्यकर्ताओं के पास पहुंच गए थे सीएम साय, IBC24 के मंच से खुद सुनाया ये दिलचस्प किस्सा

IBC24 Mind Summit, image source: ibc24

Modified Date: December 14, 2025 / 12:39 am IST
Published Date: December 14, 2025 12:35 am IST

रायपुरः IBC24 News Mind Summit छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने आज अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर लिए हैं। इन दो वर्षों में सरकार ने किन चुनौतियों का सामना किया, अपने चुनावी वादों को किस हद तक जमीन पर उतारा और शासनप्रशासन के स्तर पर क्या ठोस बदलाव किए? इन्हीं अहम सवालों के जवाब तलाशने के लिए IBC24 ने ‘माइंड समिट 2025’ स्टूडियो एडिशन का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी शामिल हुए। उन्होंने कई मुद्दों को सवालों के जवाब दिए और अपनी बात रखी। इस दौरान सीएम साय ने एक दिलचस्प किस्सा भी साझा किया।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि जब वे 1990 में पहली बार विधायक बने, तब क्षेत्र में बहुत अधिक विकास नहीं हुआ था। उनके गांव के पास एक बहुत चौड़ी मैनी नदी है। लोग कहा करते थे कि इस नदी पर कभी पुल नहीं बन पाएगा, क्योंकि इसके लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होगी। वर्ष 1999 में वे पहली बार सांसद बने। उसी समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने। उन्होंने जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए भारत सरकार में अलग से आदिम जाति कल्याण मंत्रालय का गठन किया। इससे पहले इस तरह का कोई अलग मंत्रालय नहीं था। पहली बार यह मंत्रालय 1999 में अस्तित्व में आया। उसी मंत्रालय से धनराशि लाकर उस नदी पर पुल का निर्माण कराया गया।

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इसके पहले, जब वे विधायक थे, तब पूरा कार्यकाल मोटरसाइकिल से ही क्षेत्र का दौरा किया। जब कोई विशेष आवश्यकता होती थी, तभी किराए का चार पहिया वाहन लिया जाता था, अन्यथा अधिकांश दौरे मोटरसाइकिल से ही किए जाते थे। उस नदी में उस समय नाव चलती थी। मोटरसाइकिल को नाव पर रखकर नदी पार की जाती थी और फिर क्षेत्र का दौरा कर वापस लौटा जाता था। कई बार ऐसा भी होता था कि शाम होने पर नाविक चला जाता था, तब मजबूरी में गले तक पानी में चलकर नदी पार करनी पड़ती थी। एक बार ऐसा भी हुआ कि कमर के नीचे तक पानी में चलकर नदी पार की गई, लेकिन कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया।

आज 25 वर्षों में क्षेत्र में व्यापक विकास हुआ है। सड़कों, पुल-पुलियों, बिजली और पानी की सुविधाएं लगभग सभी जगह पहुंच चुकी हैं। पहले ऐसा समय भी देखा गया है जब गांवों में सड़कें तक नहीं होती थीं। आज इसके लिए वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने देश को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना दी। आज सभी गांव डामर सड़कों से जुड़े हुए हैं। पहले तो गांव के लोग “डामर रोड” शब्द सुनकर बासी यानी खाना लेकर यह देखने निकल पड़ते थे कि आखिर डामर रोड होता क्या है। वर्तमान में 750 गांवों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है।

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