Kanker News: बस्तर में निकली अनोखी अंतिम यात्रा, मुखिया के निधन के बाद गम नहीं, बाजे-गाजे के साथ भक्ति में डूबे थे लोग, वीडियो हो रहा वायरल

Kanker News: बस्तर में निकली अनोखी अंतिम यात्रा, मुखिया के निधन के बाद गम नहीं, बाजे-गाजे के साथ भक्ति में डूबे थे लोग, वीडियो हो रहा वायरल

  • Reported By: Amit Choubey

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  • Publish Date - August 28, 2025 / 01:22 PM IST,
    Updated On - August 28, 2025 / 01:22 PM IST

Kanker News/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • कांकेर में निकली अनोखी अंतिम यात्रा,
  • भजन-संगीत और गाजे-बाजे के साथ अंतिम यात्रा,
  • गिरवर पांडे को सैकड़ों ग्रामीणों ने दी विदाई,

कांकेर: Kanker News:  छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के मांडाभर्री गांव में एक ऐसी अनोखी अंतिम यात्रा निकली गई चर्चा का विषय बनी हुई है। दरसल ग्राम पटेल गिरवर पांडे के निधन के बाद उनकी अंतिम यात्रा में भजन, संगीत और बाजे-गाजे के साथ भव्य तरीके से निकाली गई। इस अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीणों मौजूद रहे।

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Kanker News:  जानकारी के अनुसार मृतक गिरवर पांडे का निधन एक बीमारी के चलते हो गया था। जिसके बाद मृतक गिरवर पांडे का अंतिम संस्कार के दौरान ग्रामीणों ने मातम के बजाय इस अंतिम यात्रा में भजन-कीर्तन के साथ से उन्हें विदाई दी। ये खर का भरोसा चोला माटी के हे राम जैसे भजनों की मधुर धुनों के साथ गिरवर पांडेका शव यात्रा पूरे गांव से निकाली गई।

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Kanker News:  ग्रामीणों ने बताया कि इस अनोखे आयोजन का उद्देश्य जीवन के अस्थायी स्वरूप और आत्मा की शाश्वतता का संदेश देना था। इस दौरान न सिर्फ मांडाभर्री बल्कि आसपास के गांवों से भी सैकड़ों ग्रामीण इस अंतिम यात्रा में शामिल हुए। मानो यह एक सामाजिक जागरूकता का आयोजन हो जिसमें मृत्यु को जीवन के उत्सव की तरह स्वीकारा गया।

"कांकेर की अनोखी अंतिम यात्रा" क्या है?

कांकेर जिले के मांडाभर्री गांव में ग्राम पटेल गिरवर पांडे की अंतिम यात्रा को भजन-कीर्तन और बाजे-गाजे के साथ उत्सव के रूप में निकाला गया, जिसे "कांकेर की अनोखी अंतिम यात्रा" कहा जा रहा है।

"कांकेर की अनोखी अंतिम यात्रा" का उद्देश्य क्या था?

इस अंतिम यात्रा का उद्देश्य जीवन की अस्थायीत्वता और आत्मा की शाश्वतता को दर्शाना था, ताकि मृत्यु को भी एक सकारात्मक रूप में देखा जा सके।

"कांकेर की अनोखी अंतिम यात्रा" में कितने लोग शामिल हुए?

इस आयोजन में मांडाभर्री और आसपास के गांवों से सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए और भजन-कीर्तन के साथ शव यात्रा निकाली।

"कांकेर की अनोखी अंतिम यात्रा" को कैसे मनाया गया?

भजन जैसे 'चोला माटी के हे राम' और 'ये खर का भरोसा' की धुनों के साथ, शव यात्रा को पूरी श्रद्धा और संगीत के साथ निकाला गया।

क्या "कांकेर की अनोखी अंतिम यात्रा" सामाजिक संदेश देती है?

हां, यह अंतिम यात्रा मृत्यु को जीवन के अंत की बजाय आत्मा की शांति और नए आरंभ के रूप में देखे जाने का संदेश देती है।