Reported By: dhiraj dubay
,Journalism workshop in korba, image source: ibc24
कोरबा: बदलाव के इस दौर में पत्रकारिता में विश्वसनीयता बनाए रखने की जिम्मेदारी पत्रकारों की है। प्रिंट मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक जिस तेजी से बदलाव हुआ है। उससे पत्रकारिता के स्वरूप में बदलाव आया है। इस स्वरूप को बनाए रखने के साथ समाज के बीच प्रतिष्ठा बनाना पत्रकारों के लिए चुनौती बन चुका है और यह तभी हो सकता है जब पत्रकार समाज के सभी वर्गों में अपनी विश्वसनीयता कायम रख सके। बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक की जयंती पर प्रेसक्लब तिलक भवन में पत्रकारिता व व्याख्यान कार्यक्रम के अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार और लेखक दिवाकर मुक्तिबोध ने यह बात कही है।
उन्होंने कहा कि आज भी लोगों की सुबह अखबार से होती है। पत्रकारिता भटक सकती है लेकिन दिशाहीन नहीं हो सकती। यह तभी संभव है जब हर पत्रकार समाज में अपनी निष्पक्षता के साथ प्रतिष्ठता कायम रखे। इससे समाज के लोगों का उसके प्रति विश्वास बढ़ेगा। जनता के बीच पहचान बनाने के लिए पत्रकारों को निष्पक्ष रहना होगा। निष्पक्ष छवि बनानी होगी। सरकार मीडिया से डरती है और तभी डरती है जब ईमानदारी से पत्रकारिता हो। व्यवसायिकता के समय में भी ईमानदारी से पत्रकारिता हो रही है। पत्रकारिता में संकट हमेशा से रहते आया है और यह आगे भी रहेगा। इन सबके बीच रहकर पत्रकारों को काम करना होगा।
दिवाकर मुक्तिबोध ने कहा कि पत्रकारिता में संघर्ष है और इस संघर्ष से ही सफलता मिलती है और यही से समाज में प्रतिष्ठता बनती है। जब पत्रकार समाज में निष्पक्षता के साथ चलेगा तो उसकी प्रतिष्ठता को समाज स्वीकारेगा। यह और पत्रकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि समाज में उसकी छवि निष्पक्ष पत्रकार के रूप में बनी है और इसी निष्पक्षता के आधार पर वह अपनी छाप शासन प्रशासन और सरकार पर कायम रखता।
श्री दिवाकर ने कहा कि पत्रकारिता में दबाव बढ़ गया है आज मार्केटिंग पहले दौर पर है, परिवार की जिम्मेदारी के साथ पत्रकारों को पत्रकारिता की जिम्मेदारी भी निभानी होगी। इसके लिए कहीं समझौता करना पड़ सकता है ये कोई खराब नहीं है। पत्रकारिता में आज एनालिसिस और पोस्टमार्टम जैसे सब्जेक्ट नहीं दिखते। न्यूज की जगह यूज मिल रही है। पत्रकारिता के लिए एक दृष्टि होना आवश्यक है।
वहीं इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार विश्वेश ठाकरे ने कहा कि प्रिंट मीडिया पत्रकारिता की गंगोत्री है। इसमें मर्म छिपा हुआ है और जिस तरह मर्म कभी खत्म नहीं होता उसी तरह पत्रकारिता कभी खत्म नहीं होगी। इसकी ताकत कभी कम नहीं होगी। प्रिंट मीडिया का प्रसार कम हो सकता है लेकिन खत्म नहीं हो सकता। श्री ठाकरे ने प्रिंट मीडिया में सर्कुलेशन मॉडल को बदलने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि प्रिंट में दुख बांटा जाता है और टीवी में दुख बेचा जाता है। टीवी में लोग ग्लैमर के लिए आते हैं। टीवी तात्कालिक है और प्रिंट की तुलना में जिम्मेदारी कम है।
वेब मीडिया के संबंध में उनका कहना था कि यह खबरों को विस्फोट करता है। वेब में बार बार ही एक चीज को दिखाया जाता है जिसे एल्बोरिजम कहते हैं और यह बहुत बड़ा खतरा है और इसपर काननू बनने वाला है। सोशल मीडिया एक विचार है। वर्तमान में सोशल मीडिया एक ताकत के रूप में उभरी है। गांव की पत्रकारिता सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आ रही है। कार्यक्रम के पूर्व बाल गंगाधर तिलक के तैत्यचित्र के सक्षम दीप प्रज्जवलित कर अतिथियों के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में प्रेस क्लब रायपुर के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने पत्रकार सुरक्षा कानून पर अपनी बात रखते हुए कहा कि पत्रकार सुरक्षा कानून 2023 से प्रदेश में लागू है। इसके लिए पत्रकारों को अभी भी जागरुक होने की जरूरत है। बहुत से क्षेत्र में पत्रकारों को इस कानून के विषय में जानकारी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में पत्रकारिता करना कठिन हो गया। शहर की पत्रकारिता हो या गांव की पत्रकार कहीं सुरक्षित भी नहीं है। पत्रकारों के तमाम संगठनों के संघर्ष के बाद प्रदेश में कानून लागू हुआ। छग देश का दूसरा राज्य है। जहां इस कानून को लागू किया गया लेकिन जो उम्मीद थी वैसा नहीं आया, अभी भी कई विसंगतियां हैं। जिसमें सुधार की आवश्यकता है।
प्रफुल्ल ठाकुर ने कहा कि जिला स्तरीय कमेटी अभी भी नहीं बनी है। सरकार ने राज्य स्तरीय कमेटी बनाई है लेकिन उस कमेटी को कभी बुलाया नहीं। यही कारण है कि पत्रकारों को इस कानून का फायदा आज तक नहीं मिला। सरकार ने पत्रकारों पर बढ़ते मामलों को लेकर फार्स्ट ट्रेक कोर्ट की भी बात कही थी, वह भी आज तक अस्तित्व में नहीं आ सका। पत्रकार प्रताड़ना के मामले में छग देश में पहले नंबर पर है। जो कानून बना है उसमें इस बात का उल्लेख है कि अगर किसी पत्रकार के खिलाफ शिकायत होती है वह पहले कमेटी के पास जाएगा और कमेटी जांच करेगी उसके बाद कार्यवाही करेगी लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। पत्रकारों के खिलाफ तत्काल मामला दर्ज हो रहा है। इसलिए पत्रकारों को जागरुक रहने की जरुरत है। कानून में पत्रकारों की सुरक्षा की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं है। इसमें व्याप्त विसंगतियों को दूर कर लागू करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का प्रस्तावना उद्बोधन प्रेसक्लब संरक्षक मनोज शर्मा ने दिया। स्वागत उद्बोधन प्रेसक्लब अध्यक्ष राजेंद्र जायसवाल, कार्यक्रम का संचालन सचिव नागेंद्र श्रीवास एवं आभार व्यक्त कार्यकारिणी सदस्य राजकुमार शाह ने किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार किशोर शर्मा, विश्वनाथ केडिया, गेंदलाल शुक्ल, कमलेश यादव, विजय खेत्रपाल, रवि पी सिंह, कोरबा प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष रामेश्वर, कोषाध्यक्ष ई जयंत, कार्यकारिणी सदस्य शेख असलम, नीलम पड़वार, अरविंद पाण्डेय, दिनेश राज, रमेश पाल, राजीव प्रजापति, उमेश माकवाना, बलराम साहू, राजा मुखर्जी, संतोष अग्रवाल, अश्वनी मिश्रा, राजेश मिश्रा, राजेश प्रजापति, शमी इमाम, प्रतिमा सरकार, दीपक गुप्ता सहित अन्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के द्वारा अतिथियों का शाल एवं श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया।
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