राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर संगोष्ठी, GGU के ​कुलपति प्रो. चक्रवाल बोले- शिक्षा नीति कर्म प्रधान सांस्कृतिक मूल्यों की धरोहर | National Seminar on Implementation of National Education Policy 2020

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर संगोष्ठी, GGU के ​कुलपति प्रो. चक्रवाल बोले- शिक्षा नीति कर्म प्रधान सांस्कृतिक मूल्यों की धरोहर

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर संगोष्ठी! National Seminar on Implementation of National Education Policy 2020

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : September 28, 2021/8:20 pm IST

बिलासपुर: गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में गुरुकुल शिक्षा, सांस्कृतिक मूल्य तथा भारतीय ज्ञान परंपरा का योगदान विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कर्म प्रधान विशव महान की परिकल्पना को सृजित करती है।

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विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में दिनांक 28 सितंबर, 2021 को सुबह 10.30 बजे से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को विश्वविद्यालय में संपूर्ण रूप से अग्रणी रहते हुए क्रियान्वित करने के अपने संकल्प को दोहराया। देश के श्रेष्ठ शिक्षा मनीषियों एवं विचारकों के अथक प्रयासों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को क्रियान्वित किया जाना वाला स्वरूप हमारे सामने आया है जिसमें मातृभाषा में शिक्षा की उपलब्धता को सुनिश्चित किये जाने का प्रयास किया गया है। सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए लेकिन मातृभाषा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

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कुलपति महोदय ने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के शुरुआती चरण में आठ भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई प्रारंभ हो गई है। शिक्षा में शुचिता गुण की आवश्यकता पर बल देते हुए कुलपति महोदय ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मूल भावना के साथ क्रियान्वित के लिए सभी को एक साथ व एक रूप में प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय शिक्षण मंडल के साथ किया गया सहयोग समझौता शोध एवं अनुसंधान को नई ऊंचाइयां प्रदान करेगा।

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संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. उमा शंकार पचैरी महासचिव भारतीय शिक्षण मंडल ने अपने वक्तव्य का प्रारंभ मां शारदे के चरणों में प्रणाम एवं ऋषि परंपरा के संवाहक संत गुरु घासीदास बाबा जी चरणों में कोटि नमन करके किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रारंभ एक दूसरे में विद्यमान ब्रह्म को प्रणाम करने से होता है। शिक्षा अहंकार का संहार करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भाषा के सामर्थ्य को बल देने के साथ भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में प्रस्थापित करने का प्रयास है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मूल उद्देश्य वैचारिक एवं बौद्धिक रूप से भारतीय ज्ञान परंपरा के संवाहक बनाना है। शब्द से दिशा तय होती है। भारतीय समाज अनार की तरह है जिसका प्रत्येक दाना स्वतंत्र होते हुए भी एक सूत्र में बंधा हुआ है।

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विशिष्ट अतिथि महेश दाबक संयुक्त महासचिव भारतीय शिक्षण मंडल, विशिष्ट अतिथि डॉ. दीपक कोईराला राष्ट्रीय सह-प्रमुख गुरुकुल प्रकोष्ठ भारतीय शिक्षण मंडल शामिल हुए। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय एवं रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन (आरएफआरएफ) भारतीय शिक्षण मंडल नागपुर के मध्य एमओयू हुआ। सीवी रमन विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति महोदय प्रो. आर.पी. दुबे, महेेद्र कर्मा वि.वि. बस्तर विश्वविद्यालय से प्रो. आनंद मूर्ति मिश्रा एवं ओपी जिंदल विश्वविद्यालय रायगढ़ से प्रो. के.एन. सिंह के मध्य भी सहयोग समझौता किया गया। संगोष्ठी में कोविड-19 की सुरक्षा एवं बचाव से जुड़े भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों एवं अन्य नियमों का ध्यान रखा गया।

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