शह मात The Big Debate: वंदे मातरम पर सियासी संग्राम.. आरोपों का ठीकरा कांग्रेस के नाम! क्या इससे एक दल को लाभ और दूसरे दल को नुकसान हो सकता है?

वंदे मातरम पर सियासी संग्राम.. आरोपों का ठीकरा कांग्रेस के नाम! Political battle over Vande Mataram, Congress blamed for the allegations

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  • Publish Date - November 6, 2025 / 11:56 PM IST,
    Updated On - November 6, 2025 / 11:56 PM IST

रायपुरः Political battle over Vande Mataram भारत का राष्ट्रीय गीत वो गीत जो आजादी के आंदोलन में हर क्रांतिकारी के लिए उत्प्रेरक, एक पहचान, एक ताकत बना। वो गीत जिसे गाते-गाते आजादी के दीवाने फांसी के फंदे पर झूल जाते थे। उसी वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर बीजेपी-कांग्रेस में राष्ट्रगीत के मान-अपमान पर बहस छिड़ गई है। बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस के दौर में हाशिए पर पहुंचा दिए गए राष्ट्रगीत को बीजेपी देशव्यापी अभियान के जरिए उसके असल वैभव को लौटाएगीष। तो वहीं कांग्रेस, बीजेपी का इतिहास याद दिला रही है। अभियान को बीजेपी की अतीत के दाग धोने की नई कवायद बता रही है।

Political battle over Vande Mataram कम से कम राष्ट्रीय प्रतीकों को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए, लेकिन अफसोस देश की स्वतंत्रता और स्वाभिमान से जुड़े राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ पर भी सियासी छींटाकशी शुरू हो चुकी है। दरअसल, राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ की रचना के 150 साल पूरे होने पर बीजेपी, 7 नवंबर से पूरे देश में ‘वंदे मातरम अभियान’ शुरु कर रही है। जिसके तहत देश भर में 150 स्थानों पर वंदे मातरम का सामूहिक गान होगा, देश में स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों से लेकर विधानसभा और मंडल स्तर पर सामूहिक तौर पर वंदे मातरम गाया जाएगा। एक तरफ आयोजन की तैयारी है तो दूसरी तरफ बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि तुष्टिकरण और एक परिवार की चाटुकारिता के चलते राष्ट्रगीत को भुला दिया गया। कांग्रेस ही है जिसने राष्ट्रगीत को हाशिए पर ला दिया।

कल 7 नवंबर को छग के हर संभाग में वंदे मातरम का सामूहिक गान होगा, जिसके लिए बड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी जा चुकी है। वहीं, कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों को खारित करते हुए पलटवार किया। प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि पार्टी ने 53 साल तक तिंरगा नहीं फहराया, आज वो बलिदान देने वाली पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं। भाजपा का वंदे मातरम अभियान कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है। 2014 के बाद, बीते 11 सालों में कई ऐसे प्रतीक हैं जिन्हें बीजेपी अपने अंदाज में अपना चुकी है, जिस पर कांग्रेस एकाधिकार जताती रही है। अब राष्ट्रगीत के 150 वर्ष पूरे होने पर बीजेपी ने इसे राष्ट्रवाद से जुड़ने का जरिया बताते हुए, देशव्यापी अभियान बना दिया है। सवाल है कि क्या इससे एक दल को लाभ और दूसरे दल को नुकसान हो सकता है?

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