Politics heats up due to delay in Governor's signature in reservation amendment bill

आरक्षण की आग.. राजभवन तक आंच! आरक्षण संशोधन बिल में राज्यपाल के हस्ताक्षर में देरी को लेकर गरमाई सियासत

आरक्षण की आग.. राजभवन तक आंच! Politics heats up due to delay in Governor's signature in reservation amendment bill

Edited By :   Modified Date:  December 8, 2022 / 12:07 AM IST, Published Date : December 8, 2022/12:07 am IST

सौरभ सिंह परिहार/रायपुर : 2 दिसंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा में सरकार ने सभी वर्गों को कुल मिलाकर 76% आरक्षण संशोधन बिल को पास कर दिया है। उसी रात ये विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन पहुंच चुका है, लेकिन इस पर अभी तक राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। इसे जल्द पास कराने कैबिनेट मंत्री राजभवन तक दौड़ लगा रहे हैं तो दूसरी ओर इस देरी पर कांग्रेस-भाजपा में बहस का नया दौर जारी है। आखिर राज्यपाल के हस्ताक्षर पर क्यों है पेच? कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग के मायने क्या हैं?

Read More : Himachal Pradesh Elections Result 2022 : ‘सबेरे की चाय की पहली चुस्की के साथ देखें पहला रूझान’… हिमाचल की जनता का 5 साल भविष्य, कौन मारेगा बाजी 

राज्यपाल से मुलाकात के बाद मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि आरक्षण संशोधन विधेयक पर जल्द हस्ताक्षर हो जाएंगे। दरअसल 2 दिसंबर को विधानसभा से पास होने के बाद आरक्षण संशोधन विधेयक राज्यपाल की हस्ताक्षर के लिए राजभवन में अटका हुआ है. बताया जा रहा है कि राज्यपाल इस विधेयक पर कानूनी सलाह ले रही है। राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी और राज्य सरकार के मंत्री लगातार राजभवन पहुंच रहे हैं। आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर में हो रही देरी के मुद्दे को लेकर सियासी बयानबाजी भी चरम पर है। सत्तापक्ष आरोप लगा रहा है कि राजभवन में राजनीतिक एजेंडे के तहत काम किया जा रहा है तो बीजेपी जवाब दे रही है कि राज्यपाल संविधान के मुताबिक काम करेगी ना कि कांग्रेस के हिसाब से।

Read More : शादी में अप्सरा जैसे दिखने की थी ख्वाहिश, ब्यूटीशियन ने बना दिया ऐसा, अब थाने तक पहुंच गया मामला 

जाहिर है छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक काफी संवेदनशील मुद्दा है। जिसका सीधा संबंध आगामी विधानसभा चुनाव से जुड़ा है। इस बात की गंभीरता को बीजेपी और कांग्रेस दोनों राजनीतिक दल भलीभांती समझते हैं। लिहाजा लाभ लेने के लिए एक दूसरे पर हमलावर है। फिलहाल आरक्षण की आग की आंच राजभवन तक पहुंच चुकी है और सबसे बड़ा सवाल है कि राज्यपाल इस विधेयक पर कब हस्ताक्षर करती है ?