रायपुर: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो आदिवासियों की मौत पर छत्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है। बीजेपी आरोप लगा रही है कि कुपोषण की वजह से सरगुजा में 20 से अधिक पंडो जनजाति के लोगों की मौत हुई और राज्य सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है। अब इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति को भी पत्र लिखेंगे बीजेपी विधायक। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजपी सरकार ने 15 साल में कुपोषण पर कुछ नहीं किया, अब बीजेपी नेता बयानबाजी कर रहे हैं।
बलरामपुर जिले में पंडो आदिवासियों की मौत का आंकड़ा जैसे-जैसे बढ़ रहा है। वैसे-वैसे प्रदेश का सियासी पारा भी ऊपर चढ़ रहा है। बीजेपी नेता आरोप लगा रहे हैं कि मौतों को लेकर राज्य सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। मामला सामने आने के बाद सरगुजा सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह रामचंद्रपुर विकासखंड के बरवाही गांव पहुंची और चौपाल लगाकर गांववालों से बात की। तो वहीं राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मौतों के लिए कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
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पंडों आदिवासियों की मौतों को लेकर बीजेपी विधायक अब राज्यपाल से मिलकर राष्ट्रपति को पत्र लिखने की तैयारी कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की अनदेखी की वजह से पंडो आदिवासियों की मौत हो रही है। बीजेपी के आरोपों पर सीएम भूपेश बघेल ने पलटवार किया कि, जिस बीजेपी सरकार ने 15 साल तक कुपोषण को लेकर लेकर कुछ नहीं किया। अब वो राजनीति कर रही है।
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हालांकि पिछले दिनों जब पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पंडो आदिवासियों की मौत का मामला उठाया था। तब सरकार की ओर से एक बयान जारी हुआ था कि पंडो जनजाति के लोगों की मौत की वजह कुपोषण नहीं है। हालांकि बीजेपी का दावा है कि कुपोषण की वजह से इनकी मौत हो रही है। बहरहाल वजह चाहे जो भी हो, लेकिन विकास अभिकरण के जरिये करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी पंडो आदिवासियों की मौतों से सवाल उठ रहा है कि क्या संरक्षित पंडो अनदेखी के शिकार हैं? सवाल ये कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों को बचाने सरकार क्या कर रही है?