सुपोषण अभियान सांय-सांय, बिमारी होही बाय-बाय, साय सरकार के प्रयास की केंद्र में हुई सराहना, मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
CG Govt Got 3rd Prize on Suposhan Abhiyan: सुपोषण अभियान सांय-सांय, बिमारी होही बाय-बाय, साय सरकार के प्रयास की केंद्र में हुई सराहना, मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
CG Govt Got 3rd Prize on Suposhan Abhiyan / सुपोषण अभियान सांय-सांय, बिमारी होही बाय-बाय, साय सरकार के प्रयास की केंद्र में हुई सराहना / Image Source: CG DPR
- छत्तीसगढ़ के सुपोषण अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान मिला
- 1.33 करोड़ से अधिक पोषण जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की गईं
- राज्यभर में 95.36 लाख से अधिक पोषण संबंधी कार्यक्रम आयोजित
रायपुर: CG Govt Got 3rd Prize on Suposhan Abhiyan छत्तीसगढ़ की सत्ता में काबिज होने के बाद से सीएम विष्णुदेव साय जनहितैषी कामों में लगे हुए हैं। अगर कहा जाए कि सीएम विष्णुदेव के आने के बाद प्रदेश में सुशासन लौट आई तो ये कोई अतिसंयोक्ति नहीं होगी। सत्ता संभालने के बाद जहां एक ओर सीएम साय ने विकास कार्यों पर फोकस किया है तो उन्होंने इस बात का भी विशेष ध्यान दिया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। इसी का तो उदाहरण है कि छत्तीसगढ़ को एक के बाद एक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा रहा है। साय सरकार की जनहितैषी कामों की सूची में हाल ही में आयोजित ‘पोषण माह अभियान’ को जमकर सराहना मिली है। साय सरकार के सराहनीय प्रयास को पूरे देश में तीसरा स्थान दिया गया है।
CG Govt Got 3rd Prize on Suposhan Abhiyan छत्तीसगढ़ को कुपोषण से मुक्त करने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य कुपोषण और एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को पूरी तरह खत्म करना था। ‘पोषण माह अभियान’ के तहत सरकार का विशेष ध्यान समुदाय विशेष और पिछड़े इलाको में रहा। पोषण माह के दौरान प्रदेशभर में खान-पान की आदतों और उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया गया। साय सरकार की ओर से इस अभियान के तहत 1.33 करोड़ से अधिक पोषण जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया, जिससे छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ। अभियान के दौरान 23 लाख बच्चों के हाईट-वेट माप दर्ज किए गए और सुपोषण को लेकर विशेष प्रयास किए गए।
राज्यभर में हुए प्रमुख आयोजन
- सुपोषण चौपाल – ग्रामीण स्तर पर पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास।
- अन्नप्राशन दिवस – नवजात बच्चों के लिए पोषण की उचित शुरुआत सुनिश्चित करने हेतु।
- परिवार चौपाल और पोषण मेला – समुदाय के लोगों को स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित जानकारी देना।
- स्वस्थ बालक-बालिका प्रतियोगिता – बच्चों में पोषण और स्वास्थ्य के प्रति रुचि जागरूक करने का प्रयास।
- व्यंजन प्रदर्शन और पोषण वाटिका का निर्माण – स्थानीय स्तर पर पोषणयुक्त आहार को प्रोत्साहित करने के लिए।
- स्कूलों में जागरूकता – स्कूलों में नारा लेखन, निबंध, चित्रकला, दीवार लेखन प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों में पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए गए।
जशपुर ने सुपोषण अभियान में बनाया रिकॉर्ड
प्रदेश में अब तक 95.36 लाख से अधिक पोषण संबंधी गतिविधियां आयोजित की जा चुकी हैं। जशपुर जिला, 6.70 लाख से अधिक गतिविधियों के साथ, प्रदेश में पहले स्थान पर रहा। जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में जशपुर ने इस अभियान को शानदार तरीके से लागू किया और अन्य जिलों के लिए उदाहरण पेश किया। इस अभियान को महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से एक जन आंदोलन के रूप में संचालित किया। इसके तहत 6 वर्ष तक के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण स्तर में सुधार लाने का प्रयास किया गया।
पोषण अभियान के तहत उठाए गए कदम
- संयुक्त स्तनपान और ऊपरी आहार को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान।
- स्वस्थ बालक स्पर्धा – कुपोषण से लड़ने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करने की पहल।
- पोषण भी, पढ़ाई भी अभियान – शिक्षा और पोषण के बीच संतुलन बनाकर बच्चों के विकास पर ध्यान देना।
- मेरी माटी, मेरा देश योजना – पोषण के साथ कृषि और जैव विविधता को बढ़ावा देना।
- मिशन लाइफ योजना – पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता को एकीकृत रूप से लागू करने की पहल।
ग्रामीण इलकों में चली सुपोषण रथ
राज्य सरकार ने एनीमिया और कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने के लिए गांव-गांव में सुपोषण रथ के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया। इसके जरिए महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य और पोषण के प्रति जागरूक करने का अभियान चलाया गया।
सीएम साय ने जनता से की खास अपील
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सभी जनप्रतिनिधियों, पंचायती राज संस्थाओं, महिला स्व-सहायता समूहों, शिक्षाविदों, सामाजिक संगठनों और निजी संस्थानों से इस अभियान में सहयोग देने की अपील की थी। उनके कुशल नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय पोषण माह को एक अभूतपूर्व जन आंदोलन में बदल दिया।

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