IBC24 Chhattisgarh Ki Baat: सम्मेलनों के जरिये सध रही सियासत.. बांध रहे ‘भरोसे की डोर’, आखिर कितनी कारगर साबित होगी ये कवायद, देखे ‘छत्तीसगढ़ की बात’

IBC24 Chhattisgarh Ki Baat: सम्मेलनों के जरिये सध रही सियासत.. बांध रहे ‘भरोसे की डोर’, आखिर कितनी कारगर साबित होगी ये कवायद, देखे ‘छत्तीसगढ़ की बात’

IBC24 Chhattisgarh Ki Baat

Modified Date: September 8, 2023 / 09:29 pm IST
Published Date: September 8, 2023 9:29 pm IST

रायपुर: नमस्कार, छत्तीसगढ़ की बात में स्वागत है आपका। (IBC24 Chhattisgarh Ki Baat) चुनाव के चंद दिनों पहले, पक्ष-विपक्ष दोनों के नेताओं का जनता से जमीनी संपर्क काफी बढ़ गया है। दोनों तरफ के नेता बंद कमरों की मीटिंग्स के ज्यादा जनता के बीच सभाओं, रोड शो और सम्मेलनों के जरिए जनता के बीच अपनी बात पहुंचा रहे हैं। इसी के तहत, सत्तासीन कांग्रेस ने इन दिनों प्रदेश में भरोसे का सम्मेलन आयोजित कर, जनता के बीच सरकार के काम, योजनाएं और सौगातें पहुंचाना शुरू कर दिया है। जाहिर है भाजपा को कांग्रेस की ये मुहिम रास नहीं आ रही है। आखिर क्या मिल रहा है जनता को इन सम्मेलनों में? क्या वाकई विपक्ष के आरोपों में दम है या फिर इन सम्मेलनों में जनता के जुड़ाव से भाजपा खेमें में खलबली है? होगी सीधी बहस, पहले रिपोर्ट…

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जनता का भरोसा जीतने के दावे.. और वादों की ये बयार बही राजनांदगांव के गांव ठेकवा में… जहां कांग्रेस के भरोसे के सम्मेलन हुआ। इस कार्यक्रम में AICC चीफ मल्लिकार्जुन खरगे और प्रदेश के CM भूपेश बघेल ने कहा कि जनता का भरोसा बीजेपी से उठ गया है। दुर्ग संभाग के तीन जिलों को 355 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात देते हुए एक हजार 867 कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण भी किया गया। इधर भाजपा ने कांग्रेस को उसके भरोसे के सम्मेलन पर घेरते हुए कहा है कि… कांग्रेस के नेताओं को एक-दूसरे पर ही भरोसा नहीं है। वे पहले आपस में एक-दूसरे का भरोसा जीतें, फिर जनता का भरोसा जीतने की बात करें।

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राजनांदगांव में खड़गे की सभा के सियासी मायने ये हैं कि इस जिले में कुल 4 विधानसभा सीटें हैं। राजनांदगांव, डोंगरगढ़, डोंगरगांव और खुज्जी विधानसभा। जिनमें सिर्फ एक सीट राजनांदगांव ही बीजेपी के पास है। ये 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह की विधायकी वाला इलाका है। जहां 2008 से लेकर हर चुनाव वे यहीं से जीतकर मुख्यमंत्री बनते रहे। 2018 में रमन सिंह 17 हजार वोट से ही जीते थे। लिहाजा कांग्रेस ने इस बार यहां सेंध लगाने के लिए… पार्टी के सबसे बड़े दलित चेहरे को मंच पर लाकर भरोसे का सम्मेलन किया, ताकि अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित डोंगरगढ़ की सीट पर पकड़ मजबूत बनी रह सके। अब सम्मेलन से किसकी सियासत सधती है… और किसका भरोसा कौन जीतता है..? ये सिर्फ अभी सवाल ही हैं..?

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लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown