IBC24 Chhattsiagrh Ki Baat: आखिर रथ से कैसे पूरा होगा सियासी दलों का मनोरथ? कौन आदिवासी का सच्चा हितैषी? यहाँ देखें पूरी हकीकत

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  • Publish Date - September 11, 2023 / 10:15 PM IST,
    Updated On - September 11, 2023 / 10:15 PM IST

IBC24 Chhattsiagrh Ki Baat

IBC24 Chhattsiagrh Ki Baat: रायपुर : नमस्कार, छत्तीसगढ़ की बात में स्वागत है आपका, बस्तर से चुनावी रथों के रवानगी के पहले एक बार फिर प्रदेश में आदिवासी हितों पर बहस शुरू हो गई है। सत्ता पक्ष को घेरते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि आदिवसियों की संस्कृति और आरक्षण के अधिकारों पर सबसे बड़ा आघात कांग्रेस ने पहुंचाया। पलटवार में कांग्रेस ने याद दिलाया कि बीते 15 साल में भाजपा ने आदिवासियों को केवल और केवल वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। एक पक्ष कहता है उनके कार्यकाल में आदिवासी विकास से जुड़े तो दूसरा पक्ष कहता है, आदिवासियों को चावल,चना और नमक देकर ठगा जाता रहा। आदिवासी हकों की हिमायत यूं ही तो नहीं है… कौन है सच्चा हितैषी और किसने किया आदिवासियों का नुकसान इस पर होगी खुलकर बहस…पहले रिपोर्ट

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भाजपा का यही वो रथ जिस पर सवार होकर वो छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में सत्ता परिवर्तन के लिए चुनाव अभियान में निकलने वाली है। इस यात्रा को बस्तर के दंतेवाड़ा से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हरी झंडी दिखाएंगे। जगदलपुर, गीदम, केशकाल, कोंडागांव और कांकेर जैसे आदिवासी इलाकों से ये यात्रा गुजरेगी। जिसमें भाजपा ये जताने और बताने की कोशिश करेगी कि वही आदिवासियों की सच्ची हितैषी है। इससे पहले कांग्रेस के सभी दिग्गज नेताओं ने भाजपा को घेरते हुए कहा कि.. 15 साल तक भाजपा ने सिर्फ आदिवासियों का इस्तेमाल किया और उन्हें चना, नमक, चावल तक सीमित रखा।

पलटवार करते हुए भाजपा ने भी प्रदेश सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा दी और कहा कि… हमारे ही कार्यकाल में बस्तर के आदिवासियों का जीवन स्तर सुधरा। हमने उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा।

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बहुत पुराना सियासी समीकरण है कि… छत्तीसगढ़ में ‘सरकार’ वही बनाता है, जो बस्तर और आदिवासियों को साध लेता है। यानी बस्तर ही बाजीगर बनने की कुंजी है। लिहाजा चुनावी रण में खुद को आदिवासियों का हितैषी बताने की होड़ मच गई है। लेकिन कौन आदिवासी के साथ है ? और आदिवासी खुद किसके साथ हैं… इसी सवाल में सारे सियासी उलझनों के जवाब हैं।

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