Swami Avimukteshwranand News: गौहत्या कराने वाले दलों का साथ देने वाले को नहीं मानेंगे हिंदू!.. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकारों पर भी उठाए सवाल
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रायपुर: स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंचे हैं। यहां उन्होंने सियासत और धर्म से जुड़े मामलों पर मीडिया से बातचीत की और उनके सवालों का जवाब दिया। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने गौहत्या से लेकर ज्ञानवापी, नक्सलवाद और जातिगत जनगणना जैसे विषयों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने परोक्ष तौर पर सरकार पर भी सवाल उठायें।
गौहत्या से जुड़े विषय पर चर्चा करते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में गौहत्या हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा होगा। वे छत्तीसगढ़ सरकार से गौ माता को राजमाता का दर्जा देने मांग करेंगे जिससे केंद्र सरकार भी गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दे सके। गौ हत्या के विषय पर कहा कि आजादी का अमृतकाल चल रहा लेकिन गौहत्या बंद नहीं हुई। उन्होंने कहा जो गौ हत्यारी दलों के साथ होगा उसे हिंदू नहीं मानेंगे। गौ हत्यारी पार्टियों को जो वोट देंगे वह गौहत्या के पाप के भागी होंगे।
नक्सलवाद पर बात करते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा छत्तीसगढ़ में लोग नक्सलवाद को बढ़ावा अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए दे रहे हैं। नक्सलियों से परायापन हटाना पड़ेगा और बातचीत करनी पड़ेगी। उनको मुख्यधारा में सम्मिलित करना पड़ेगा, संवाद स्थापित कर नक्सलियों के मन में गलतफहमियां दूर करना पड़ेगा। नक्सलियों को भड़काने वाले नेताओं पर कड़ाई करनी पड़ेगी।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने चंदखुरी में भगवान् राम के मूर्ति विवाद पर कहा मूर्ति की प्रतिष्ठा के समय सारी बातों को देखना चाहिए। प्रतिष्ठित होने के बाद श्रृंगार कर कमी दूर कर देते हैं। जहां भगवान की स्थापना हो गई वहां सब कुछ मधुर है। जहां भगवान हैं वहां सौंदर्य ही सौंदर्य है। कोई सौंदर्य नहीं देख पा रहे तो उनके आंखों की खोट है।
जातिगत जनगणना के विषय पर सवाल उठाते हुए पूछा भारत के सब निवासी एक हैं तो जातिगत जनगणना क्यों? जो जिस जाति को मान रहा है, उसे मानने दिया जाए। उन्होंने साफ़ किया कि जाति व्यक्तिगत उन्नयन के लिए है, राजनीति के लिए नहीं। एक दल को धर्म की राजनीति करनी है दूसरे को जाति की। जातिगत जनगणना उचित नहीं है, ऐसा हमारा मानना है।
ज्ञानवापी के संबंध में मीडिया के सवालों पर जवाब देते हुए कहा, ज्ञानवापी नहीं जितनी वापी है। वहां जाकर हम पूजा अर्चना शुरू करेंगे। हमारा अधिकार बनता है हम अपने स्थानों को पुनः वापस लें। इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

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