Vishnu Ka Sushasan: राजस्व नियमों में सुधार.. दूर हुई आम आदमी की समस्या, रजत जयंती वर्ष में सुधरी प्रशासनिक व्यवस्था, रजिस्ट्री से जुड़े 10 नवाचारों से काम हुआ आसान

राजस्व नियमों में सुधार.. दूर हुई आम आदमी की समस्या, Reforms in the administrative system during Silver Jubilee year

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  • Publish Date - September 8, 2025 / 03:40 PM IST,
    Updated On - September 12, 2025 / 12:24 AM IST

Vishnu Ka Sushasan:

रायपुरः Vishnu Ka Sushasan: एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से विभाजित होकर एक स्वतंत्र राज्य बना। वर्ष 2025 में छत्तीसगढ़ राज्य अपने निर्माण के 25 वर्ष पूरे कर रहा है, जिसे ‘रजत जयंती वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। 25 वर्षों का सफर विकास, बदलाव और जनसरोकारों से भरा रहा है। एक नई उम्मीद और संभावनाओं के साथ बने इस राज्य ने सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर पर कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। राज्य बनने के प्रारंभिक वर्षों में प्रशासनिक ढांचे का विकास एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी बहुल राज्य होने के कारण, आम जनता की ज़रूरतों को समझकर उनके अनुरूप योजनाओं का निर्माण करना और उन्हें ज़मीन पर उतारना सरकार के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी थी। साय सरकार ने रजत जंयती वर्ष में इस कार्य को भी पूर्ण जिम्मेदारी के साथ पूरा किया है।

राजस्व से जुड़े कार्यों की बात करें तो छत्तीसगढ़ निर्माण के समय इस व्यवस्था की हालत बहुत व्यवस्थित नहीं थी। अधिकतर प्रक्रियाएं कागज़ी, जटिल और समय लेने वाली थीं। नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, जाति, निवास और आय प्रमाण पत्र जैसे बुनियादी कार्यों के लिए ग्रामीणों को तहसील कार्यालयों के कई चक्कर लगाने पड़ते थे। खासकर दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले आदिवासी और लघु किसान, जिन्हें न तो कानूनी जानकारी होती थी, न ही उचित मार्गदर्शन, वे इस व्यवस्था में सबसे अधिक परेशान रहते थे। छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां लगभग 70% जनसंख्या खेती पर निर्भर है। यहां के करीब 37.46 लाख कृषक परिवारों में से 80 प्रतिशत से ज्यादा लघु और सीमांत किसान हैं, जो अक्सर खाद-बीज और अन्य सरकारी योजनाओं के लिए राजस्व विभाग पर निर्भर रहते हैं। लेकिन जटिल नियम-कानूनों और प्रक्रियाओं की जानकारी के अभाव में इन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता था।

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राजस्व परामर्श केंद्रों से समस्या हुई हल

Vishnu Ka Sushasan: पूर्व में आम जनता को तहसीलों और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। खासकर आदिवासी क्षेत्रों में यह परेशानी और भी गंभीर थी। लेकिन अब साय सरकार द्वारा स्थापित राजस्व परामर्श केंद्रों के माध्यम से लोग अपने क्षेत्र के एसडीएम, तहसीलदार या नायब तहसीलदार से सीधे संपर्क कर सकते हैं और आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सरकार ने राजस्व मितान टोल फ्री नंबर 07763-299077 भी जारी किया है, जिस पर कॉल करके आम जनता राजस्व से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकती है। इसके अलावा साय सरकार ने कई और नियमों में सुधार किए, जिससे आम आदमी को सुविधा हुई।

नए बदलावों के मुख्य लाभ

  • अब आम जनता को फौती नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन आदि जैसे मामलों में स्पष्ट जानकारी मिल रही है।
  • कागज़ी कार्यवाही और समय की बचत हो रही है।
  • सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सुगमता बढ़ी है।
  • जनता को अब प्रक्रियाओं की सही जानकारी मिलने से भ्रांतियां और भ्रम कम हुए हैं।

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रजिस्ट्री एवं नामांतरण से जुड़े 10 क्रांतिकारी नवाचार

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पंजीयन प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए रजिस्ट्री एवं नामांतरण से जुड़े 10 क्रांतिकारी नवाचार की शुरुआत की है। जिसके तहत् फर्जी रजिस्ट्री रोकने लिए आधार सत्यापन, रजिस्ट्री खोज एवं डाउनलोड, ऑनलाइन भारमुक्त प्रमाण पत्र, स्टाम्प एवं रजिस्ट्री शुल्कों का एकीकृत नकद रहित भुगतान, व्हाट्सएप सेवाएं, डिजीलाकर सेवायें, रजिस्ट्री दस्तावेजों का स्वतः निर्माण, घर बैठे स्टाम्प सहित दस्तावेज निर्माण, घर बैठे रजिस्ट्री एवं रजिस्ट्री के बाद स्वतः नामांतरण आदि सुधार किया गया है। रजिस्ट्री के नए नियमों से फर्जीवाड़े में रोक लगेगी। बंधक जमीनें नहीं बिक पाएंगी और कोई भी दूसरा आदमी किसी और की जगह पर खड़े होकर जमीनों की रजिस्ट्री नहीं करा सकेगा। राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती नियम को परिवर्तित करते हुए त्रुटि सुधार का अधिकार अब एसडीएम से छीनकर तहसीलदारों को दे दिया है। राज्य में जमीनों की जियो रिफ्रेसिंग का काम तेजी से किया जा रहा है। इसके पूरा हो जाने पर सीमा विवाद खत्म होंगे।