Unique Medicine: छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों ने बनाई अनोखी मेडिसीन, जल्द भरेंगे गहरे जख्म, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर​ मिल रही ख्याति

Scientists of Chhattisgarh made a unique medicine: छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों के इस शोध को आधार मानकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई वैज्ञानिक इस तकनीक पर काम कर नई दवाएं विकसित कर रहे हैं।

Unique Medicine: छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों ने बनाई अनोखी मेडिसीन, जल्द भरेंगे गहरे जख्म, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर​ मिल रही ख्याति

Scientists of Chhattisgarh made a unique medicine

Modified Date: November 29, 2022 / 08:24 pm IST
Published Date: November 18, 2022 3:38 pm IST

Scientists of Chhattisgarh made a unique medicine: रायपुर। रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्राकृतिक दवा का निर्माण किया है जो गहरे जख्मों को तत्काल भर सकती है। इसे विकसित करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि इन दवाओं से युद्ध क्षेत्र में घायल सैनिकों को तुरंत राहत मिलेगी। जिसे देखते हुए इन वैज्ञानिकों का नाम विश्व के सर्वश्रेष्ठ विज्ञानियों में शामिल हो चुका है। छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों के इस शोध को आधार मानकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई वैज्ञानिक इस तकनीक पर काम कर नई दवाएं विकसित कर रहे हैं।

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रविवि के वैज्ञानिकों ने दवा बनाने के लिए इमली, स्ट्राबेरी, पत्तागोभी समेत अन्य फलों और सब्जियों के प्राकृतिक तत्व ल्यूपीआल का इस्तेमाल किया है। ल्यूपीआल को सिंथेटिक ड्रग में मिलाकर एक ऐसी दवा का निर्माण हुआ है जो गहरे घाव को भी तुरंत भर देगी। डॉ मंजू सिंह ने बताया कि इस दवा को मेट्रिस की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। ये दवा उन जवानों के लिए कारगर होगी जिन्हे गोली लगी हो या युद्ध के दौरान जिनका खून ज्यादा बहा हो। कई बार इन्ही घटनाओं की वजह से जवानों के शारीरिक अंगो को काटने की नौबत आ जाती है लेकिन इस मैट्रिस के इस्तेमाल से जवानों को काफी हद तक राहत मिलेगी। ये दवा शुगर, गठिया रोग, सिरोसिस, त्वचा के कैंसर जैसे मरीजों के लिए भी कारगर साबित होगी।

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शरीर के घाव को कैसे भरा जाए ?

शोध में शामिल प्रोफेसर डॉ दीपेन्द्र सिंह बताते हैं वे अक्सर देखते थे कि छोटे मोटे घाव में लोग बैंडेड लगाते थे फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसे ही किसी बड़े बैंडेड का निर्माण किया जाए। प्रो दीपेंद्र सिंह शुरुआत से ही शरीर के घाव को कैसे भरा जाए इस पर रिसर्च कर रहे हैं और आखिरकार उन्हें सफलता मिल ही गई। प्रो दीपेंद्र बताते हैं कि रिसर्च में ये पाया गया है कि दवाएं असरकारी साबित हो रही है, इसका पेटेंट भी हो चुका है। इन दवाओं का क्लिनिकल ट्रायल अभी बाकी है। फिलहाल जानवरों पर इसका टेस्ट हो चुका है और टेस्ट में ये दवाएं पास हो गई हैं।

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आगामी दिनों में इन दवाओं का लाभ देश के वीर सैनिक भी उठा पाएंगे इन दवाओं से न सिर्फ जख्म भरे जा सकते हैं बल्कि इसके उपयोग से शारीरिक इंफेक्शन से भी बचा जा सकता है, इस दवा का उपयोग केवल जवान ही नहीं बल्कि शुगर, कैंसर के मरीज या ऐसे लोग जिनके घाव जल्दी नहीं भरते वे भी इसका उपयोग कर सकते हैं।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com