Jhiram Ghati Hatyakand 12th anniversary || Image- IBC24 News File
Jhiram Ghati Hatyakand 12th anniversary: रायपुर: झीरम घाटी हत्याकांड को 12 साल पूरे होने वाले है। 25 मई को जीरम घटना के 12 साल पूरे हो जाएंगे। लेकिन इससे पहले जीरम घटना को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस और भाजपा इसे लेकर आमने- सामने हैं। कांग्रेस सांसद ज्योत्सना महंत ने कहा है कि, अब जीरम घटना का वनवास खत्म होना चाहिए। हम चाहेंगे जितनी जल्दी हो इसके जड़ तक पहुंचे। घटना क्यों हुई, कैसे हुई। बहुत सारे हमारे साथी इसमें मारे गए हैं। सरकार को बहुत जल्द इसका सच सामने लाना चाहिए। इधर केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने कहा है कि, जीरम को लेकर सरकार मौन नहीं है। घटना से हम लोग सभी दुखी हैं। ऐसा नहीं है कि हमको तकलीफ नहीं है। जो नक्सली इस तरह के घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। उन पर तेजी से कार्रवाई हो रही है। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा है मार्च 2026 तक पूरा देश प्रदेश नक्सली मुक्त होगा। हमारे जवान पूरी बहादुरी के साथ लड़ रहे हैं। जिसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है। निसंदेह हमारा प्रदेश नक्सली मुक्त होगा। जीरम का भी न्याय मिलेगा और न्याय मिलना भी चाहिए।
Jhiram Ghati Hatyakand 12th anniversary: 25 मई 2013 का दिन छत्तीसगढ़ कभी नहीं भूल सकता। कांग्रेस के लिए यह काले दिन की तरह है। नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के झीरम घाटी में 12 साल पहले 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ ने सबसे भयानक नक्सली हमलों में से एक को देखा था। दो दिन बाद छत्तीसगढ़ के इतिहास में सबसे भयानक नक्सली हमले की 12वीं बरसी है, जिसमें कई कांग्रेस नेता सहित 32 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
दरअसल, छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित सुकमा जिले का झीरम घाटी वह इलाका है, जिसे यादकर आज भी लोगों के जेहन में साल 2013 की वो दर्दनाक घटना ताजा हो जाती है। 12 साल पहले 25 मई के दिन झीरम घाटी में नक्सलियों ने खूनी खेल खेला था और तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा समेत 32 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
छत्तीसगढ़ के लिए झीरम घाटी कांड एक कभी न भरने वाले घाव की तरह है। 12 साल बाद भी इस हत्याकांड का रहस्य अनसुलझा है। कांग्रेस ने पिछले साल से ही इस दिन को झीरम घाटी शहादत दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की है। बहरहाल इस हत्याकांड के कई रहस्य अब तक अनसुलझे हैं और पता नहीं कब तक झीरम घाटी के पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा। इस हमले नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, महेन्द्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, योगेंद्र शर्मा समेत कई दिग्गज नेता और उनके सुरक्षाकर्मी समेत कुल 32 लोग शहीद हुए थे।
Jhiram Ghati Hatyakand 12th anniversary: साल 2013 के आखिर में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। पिछले 2 बार से भाजपा की सरकार थी। 12 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस पूरा जोर लगाना चाह रही थी। कांग्रेस ने पूरे राज्य में परिवर्तन यात्रा निकालने का ऐलान किया है। 25 मई 2013 को सुकमा जिले में परिवर्तन यात्रा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था। 25 गाड़ियों में करीब 200 लोग थे। कांग्रेस नेता कवासी लखमा, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, महेन्द्र कर्मा, मलकीत सिंह गैदू और उदय मुदलियार समेत छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लगभग सभी शीर्ष नेता काफिले में शामिल थे।
Jhiram Ghati Hatyakand 12th anniversary: शाम को 4 बजे काफिला जैसे ही झीरम घाटी से गुजरा, तभी नक्सलियों ने पेड़ गिराकर रास्ता रोक दिया। कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। करीब डेढ़ घंटे तक गोलियां चलती रहीं। इसके बाद नक्सलियों ने एक-एक गाड़ी को चेक किया। जिन लोगों की सांसें चल रहीं थी उन्हें फिर से गोली मारी। जिंदा लोगों को बंधक बनाया। हमले में 32 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई। बताया जाता है कि नक्सलियों का मुख्य टारगेट बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा थे। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि नक्सलियों ने कर्मा को करीब 100 गोलियां मारी थीं और चाकू से शरीर पूरी तरह छलनी कर दिया था। बताया जाता है कि नक्सलियों ने उनके शव पर चढ़कर डांस भी किया था।