For the last 10 years, the teachers are doing such unique work to improve the future of the children in the school.
Teachers are doing such unique work to improve the future of children: सरगुज़ा। शासकीय स्कूलों के बदहाली और शिक्षको के लापरवाही के कारनामे तो आपने बहुत देखे होंगे मगर सरगुज़ा में एक शिक्षक ऐसा भी है, जिसने अपने स्कूल को एक मॉडल स्कूल बना दिया। यहां के गार्डन के जरिये भी नवाचार कर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। खास बात ये की स्कूल में नवाचार के लिए शिक्षक किसी अनुदान पर आश्रित नहीं बल्कि खुद अपने एक दिन का वेतन महीने में देता है और वो भी पिछले करीब 10 साल से।
बैगलेस स्कूल, खेल-खेल में पढ़ाई कर रहे बच्चे, स्कूल के चारो को आकर्षक गार्डेनिंग और गार्डेनिंग के चबूतरों से गणित के अलग-अलग आकारों को लेकर दिया जाने वाला संदेश। ये नजारा देखकर आप सोच रहे होंगे कि ये किसी निजी स्कूल का नजारा होगा। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि ये कोई निजी स्कूल नहीं बल्कि अम्बिकापुर के चिखलाडीह का शासकीय प्राथमिक स्कूल है, जहां का नजारा पहले ऐसा नही था। आदिवासी बाहुल्य इस इलाके में न तो बच्चे पढ़ने आते थे न ही स्कूल का कैम्पस इतना बढ़िया था, बल्कि स्कूल परिसर में लोग मवेशी बांधने का काम करते थे और ईलाका बहुत गंदा हुआ करता था। मगर यहां पदस्थ होने के बाद शिक्षक कृपाशंकर श्रीवास्तव ने स्कूल की दशा दिशा को बदल दिया।
कृपाशंकर ने पहले तो स्कूल को साफ सुथरा किया और फिर अपने वेतन में से हर महीने एक दिन का वेतन स्कूल के लिए देने लगे। इसी का नतीजा है कि देखते-देखते आज स्कूल की तस्वीर ही बदल चुकी है। यहां बच्चो की संख्या में भी इजाफा हुआ है। शासकीय स्कूल की बदहाली से बेहतरी तक बदले का ही नतीजा है कि जिस स्कूल में अभिभावक अपने बच्चो को पढ़ाना तक नहीं चाहते थे, वहां बच्चो की संख्या फूल हो चुकी है। अभिभावक भी मानते है कि शिक्षक के बेहतर प्रयाश से ही स्कूल का नजारा बदला है और यहां शिक्षा की पद्धत्ति भी शानदार हुई है।
इधर जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी भी शिक्षक के इस प्रयाश की सराहना करते नहीं थकते। शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कृपाशंकर उन शिक्षको के लिए मिशाल है, जो सुविधाओ औऱ संसाधनों का रोना-रोकर पढ़ाई को बेहतर तरीके से संचालीत नही करते। ऐसे में शिक्षा विभाग शिक्षक को सम्मानित करने की बात भी कह रहा है। बहरहाल जिस तरह से शासकीय स्कूलों में शिक्षक बहाने बाजी कर पढ़ाई कराने से कतराते है। स्कूलों कि दशा-दिशा रहती है। उन तस्वीरों के बीच कृपाशंकर जैसे शिक्षक और उनके प्रयाश सुकून देते हैं, जो आज भी शिक्षा और उसके स्तर को सुधारने के लिए अपना ज्यादा से ज्यादा सहयोग दे रहे है। ऐसे में जरूरत है कि ऐसे शिक्षको के प्रयाश का सम्मान किया जाए ताकि इससे बाकी शिक्षक प्रेरणा ले सके।
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