Reported By: Akanksha Soni
,Government ration being allotted to dead people || Image- IBC24 News File
Government ration being allotted to dead people: सरगुजा: जिले में आम लोगों को जहां राशन के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है, वहीं चौंकाने वाली बात यह है कि यहां मृत लोगों के नाम पर भी राशन उठाया जा रहा है। यह मामला तब सामने आया जब जांच में पाया गया कि कई ऐसे लोग, जिनका निधन हो चुका है, उनके नाम अब भी राशन कार्ड में दर्ज हैं और उनके नाम पर हर महीने राशन लिया जा रहा है।
सरगुजा जिले में करीब 14 प्रतिशत राशन कार्ड धारक ऐसे हैं, जिन्होंने अपना केवाईसी अपडेट नहीं कराया है। केवाईसी अपडेट न होने के कारण मृतकों के नाम राशन कार्ड में सालों तक दर्ज रहते हैं, जिससे विभाग को इस बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती। हालांकि, खाद्य विभाग इस समस्या के समाधान के लिए पिछले छह महीनों से गांव के सरपंचों और सचिवों से मृतकों के प्रमाण पत्र लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। इस आधार पर बीते तीन वर्षों में करीब 28,000 मृत लोगों के नाम राशन कार्ड से हटा दिए गए हैं।
Government ration being allotted to dead people: खाद्य विभाग के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में 28,000 मृतकों के नाम राशन कार्ड से हटा दिए गए हैं। लेकिन योजना एवं सांख्यिकी विभाग के अनुसार, इसी अवधि में 32,278 लोगों की मृत्यु पंजीकृत हुई है। इसका मतलब यह है कि अब भी लगभग 4,000 मृतकों के नाम राशन कार्ड में दर्ज हैं और उनके नाम पर हर महीने राशन उठाया जा रहा है। यह न केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में व्याप्त गड़बड़ी को उजागर करता है, बल्कि शासन को भी आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहा है।
सरकार पीडीएस प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह व्यवस्था प्रभावित हो रही है। वर्तमान में खाद्य विभाग 86 प्रतिशत केवाईसी अपडेट कर चुका है और शेष 14 प्रतिशत को अपडेट करने के लिए पंचायतों से मृतकों का सत्यापन करवा रहा है।
Government ration being allotted to dead people: अब सवाल यह उठता है कि इस अव्यवस्था को कैसे दूर किया जाए ताकि पात्र लोगों को सही तरीके से योजना का लाभ मिल सके। क्या सरकार सौ प्रतिशत केवाईसी अनिवार्य करेगी, या पंचायत स्तर पर मृत्यु प्रमाण पत्र की समय पर सूचना देने की प्रणाली विकसित की जाएगी? प्रशासन को इस दिशा में कठोर कदम उठाने की जरूरत है ताकि पीडीएस प्रणाली को पूरी तरह से पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाया जा सके।