Publish Date - February 5, 2025 / 01:49 PM IST,
Updated On - February 5, 2025 / 01:54 PM IST
Kawasi Lakhma News | IBC24
रायपुर: Kawasi Lakhma News पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका उन्होंने आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की कार्यवाही से बचने के लिए दायर की थी। कोर्ट ने तीन पन्नों के फैसले में, मामले में कवासी लखमा की संलिप्तता के आदेश पर उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने का उल्लेख किया। आबकारी घोटाले में कवासी लखमा की भूमिका के कारण ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
Kawasi Lakhma News वर्तमान में कवासी लखमा को 14 दिनों की न्यायिक रिमांड पर रायपुर सेंट्रल जेल में रखा गया है। विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए ईओडब्ल्यू की कार्यवाही को सही ठहराया है।
कवासी लखमा और उनके समर्थकों ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बताते हुए प्रतिक्रिया दी है, लेकिन अदालत ने जांच एजेंसियों को पूरी स्वतंत्रता दी है कि वे इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करें। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने ईओडब्ल्यू की स्पेशल कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई है।
गौरतलब है कि शराब मामले में ईडी और ईओडबल्यू दोनों एजेंसियां अलग-अलग जांच कर रही है। पूर्व मंत्री को आशंका है कि ईओडब्ल्यू की ओर से भी उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। इसे देखते हुए लखमा के वकील ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन लगाया।
कवासी लखमा की अग्रिम जमानत याचिका क्यों खारिज की गई?
सुप्रीम कोर्ट ने तीन पन्नों के फैसले में कहा कि कवासी लखमा की संलिप्तता के कारण उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज की गई। अदालत ने इसे उचित ठहराया और ईओडब्ल्यू की कार्यवाही को सही माना।
कवासी लखमा को कब गिरफ्तार किया गया था?
कवासी लखमा को आबकारी घोटाले में उनकी भूमिका के कारण प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था, और वह वर्तमान में 14 दिनों की न्यायिक रिमांड पर रायपुर सेंट्रल जेल में हैं।
कवासी लखमा ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन क्यों किया था?
कवासी लखमा को आशंका थी कि आर्थिक अपराध शाखा (EOW) उनकी गिरफ्तारी कर सकती है, इसीलिए उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था
ईडी और ईओडब्ल्यू के बीच क्या अंतर है?
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) आर्थिक अपराधों की जांच करती है, जबकि EOW (आर्थिक अपराध शाखा) राज्य स्तर पर वित्तीय और व्यापारिक अपराधों की जांच करती है। इस मामले में दोनों एजेंसियां अलग-अलग जांच कर रही हैं।