Vishnu ka Sushasan: 3100 रुपए में खरीदा धान.. अन्नदाताओं को मिला मान, रजत जंयती वर्ष में किसानों की सुधरी दशा, हो रहे आर्थिक रूप से सशक्त

3100 रुपए में खरीदा धान.. अन्नदाताओं को मिला मान, Vishnu ka Sushasan: condition of farmers will improve in silver jubilee year

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  • Publish Date - August 30, 2025 / 11:14 PM IST,
    Updated On - August 31, 2025 / 12:11 AM IST

Vishnu ka Sushasan. Image Source- IBC24

रायपुरः Vishnu ka Sushasan: भारत के हृदय स्थल से 1 नवंबर 2000 को जन्मा छत्तीसगढ़ राज्य 2025 में अपना रजत जंयती वर्ष मना रहा है। अपनी स्थापना के बाद 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य ने उत्तरोत्तर प्रगति की है। यह सफर केवल एक राज्य के प्रशासनिक निर्माण का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण, आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक समावेशिता की मिसाल बन चुका है। खासकर ऐसे समय में जब प्रदेश की कमान सरल, सहज और सौम्य मुख्यमंत्री विष्णुदेव के पास है। साय सरकार ने प्रदेश के लोगों क कई योजनाएं संचालित कर रही है, जिससे बस्तर से सरगुजा तक के लोगों में एक नई खुशहाली दिख रही है।

Vishnu ka Sushasan: छत्तीसगढ़ में कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार है, क्योंकि यहां की अधिकांश आबादी (लगभग 70%) कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर निर्भर है। यहाँ की जलवायु, मिट्टी और भौगोलिक विविधता इसे विभिन्न फसलों के लिए उपयुक्त बनाती है। यहीं वजह है कि प्रदेश में धान की खेती अधिक होती है। राज्य की कुल जनसंख्या लगभग 2.55 करोड़ है, जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में संलिप्त है। राज्य में लगभग 40.11 लाख कृषक परिवार है, जिसमें से लगभग 80 प्रतिशत लघु एवं सीमांत श्रेणी के है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की विशेष पहल पर राज्य में खेती को उन्नत और लाभकारी बनाने के लिए लगातार नित नए नवाचार किए जा रहे हैं। किसानों को उन्नत कृषि उपकरणों के उपयोग और वैज्ञानिक पद्धति को अपनाने के लिए लगातार प्रोत्साहित किए जा रहा है।

साय सरकार आने के बाद सुधरी किसानों की दशा

Vishnu ka Sushasan: वर्ष 2000 में राज्य बनने के बाद जब छत्तीसगढ़ ने अपना बजट और कृषि नीति बनाई तो जो स्थिति सामने आई वो चौंकाने वाली थी। किसानों को धान बेचने का कोई सुरक्षित तंत्र उपलब्ध नहीं था। धान खरीदी सीमित नहीं थी। कई किसान औने-पौने दामों में फसल बेचने को मजबूर थे। कृषि विज्ञान, तकनीक या फसल विविधीकरण की जानकारी गांवों तक नहीं पहुंचती थी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पदभार संभालते ही यह स्पष्ट कर दिया कि छत्तीसगढ़ की असली ताक़त उसका किसान है। मुख्यमंत्री साय की अगुवाई वाली सरकार ने तकनीक, नीति और सरकारी योजनाओं ने किसानों की स्थिति को एक हद तक सुधारा है। खेती अब पुरानी लकीर नहीं, नए सोच और तकनीक से भविष्य की तस्वीर बन रही है।

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किसानों की चेहरे पर लौटी खुशहाली

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली सुशासन सरकार ने किसानों की आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी है। सरकार ने किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी की। समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक किसानों से धान खरीदने वाला तथा धान का सर्वाधिक 3100 रुपए प्रति क्विंटल के मान से मूल्य देने वाला छत्तीसगढ़, देश का प्रथम राज्य है। छत्तीसगढ़ में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालीन कृषि ऋण 01 अप्रैल 2014 से उपलब्ध कराया जा रहा है। ऋण की अधिकतम सीमा 5 लाख रुपए तक है। फसल ऋण में नगद एवं वस्तु का अनुपात 60 अनुपात 40 है।

धान खरीदी व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर वर्षों से चली आ रही समस्याओं का समाधान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में मिला है। उनकी सरकार ने धान खरीदी व्यवस्था को पारदर्शी, लाभकारी और किसान-हितैषी बनाकर एक ऐतिहासिक पहल की है, जिससे राज्य के लाखों किसानों को सीधा लाभ पहुंचा है। पहले किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए मंडियों और बिचौलियों पर निर्भर रहना पड़ता था, जहां उन्हें अक्सर ठगा जाता था। मुख्यमंत्री साय की पहल से अब सीधी सरकारी खरीदी केंद्रों के माध्यम से धान की खरीदी हो रही है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो गई है। राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि कर किसानों को उनकी फसल का वास्तविक और लाभकारी मूल्य दिलाया है। साथ ही, बोनस योजना के तहत MSP के अतिरिक्त दी गई राशि ने किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय इजाफा किया है। खरीदे गए धान के सुरक्षित भंडारण के लिए सरकार ने गोदामों और वेयरहाउस की संख्या में बड़ा इजाफा किया है, जिससे फसल की बर्बादी को रोका जा सके। अब किसानों को उनकी फसल की कीमत सीधे उनके बैंक खातों में ऑनलाइन भेजी जा रही है, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आई है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश लगभग समाप्त हो गई है।

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बढ़ी सिंचाई की सुविधा, लहराई फसलें

राज्य गठन (2000) के बाद से सिंचाई के क्षेत्र में निरंतर बदलाव देख रहा है। जब राज्य अस्तित्व में आया, तब कुल सिंचाई क्षमता महज 13.28 लाख हेक्टेयर थी। लेकिन बीते ढाई दशकों में सरकार द्वारा नहरों, जलाशयों, लघु सिंचाई परियोजनाओं और कुओं के माध्यम से इस क्षमता को 21.21 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाया गया है। रजत जंयती वर्ष में साय सरकार ने इस ओर विशेष ध्यान दिया है। प्रदेश में ऐसे सैकड़ो सिंचाई परियोजनाएं हैं, जो विगत कई वर्षों से अपूर्ण हैं। इन परियोजनाओं को आगामी वर्षो में कार्ययोजना बनाकर शीघ्र पूरा करने के उद्देश्य से साय सरकार ने अटल सिंचाई योजना लागू करने का निर्णय लिया है। इस पूरी कार्य अवधि में लगभग 5,000 करोड़ व्यय करके 1 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई क्षमता सृजित करने का साहसी लक्ष्य रखा है। सिंचाईं परियोजनाओं के निर्माण एवं अनुरक्षण के लिए बजट में कुल 3 हजार 800 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

साय सरकार ने चला रही ये योजना

विष्णुदेव साय जी के नेतृत्व में सरकार ने प्रदेश के किसानों के खाते में विभिन्न योजनाओं के तहत समग्र रूप से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की राशि अंतरित की है। इस साल के बजट में भी कई प्रावधान किए गए हैं। कृषक उन्नति योजना के लिए विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी 10 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है। मोदी की गारंटी के तहत दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषक मजदूर कल्याण योजना के माध्यम से 5 लाख 62 हजार भूमिहीन मजदूरों को सालाना 10,000 रूपये की आर्थिक सहायता करते हुए 562 करोड़ राशि का भुगतान किया गया। आगामी वर्ष हेतु इस योजना अंतर्गत 600 करोड़ का प्रावधान किया गया है। कृषि पंपों के निःशुल्क विद्युत प्रदाय योजनांतर्गत 3,500 करोड़ का बजट प्रावधान है।प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्यांश के लिये इस बजट में 750 करोड़ का प्रावधान किया गया है। बजट में ये भी प्रावधान किए गए हैंः-

  • किसानों ने अब तक 1,362 करोड़ रुपये का प्रीमियम अदा किया है।
  • इसके बदले उन्हें 7,156 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम भुगतान हुआ है।
  • इस वर्ष से दलहन और तिलहन फसलों की सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू होगी।
  • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहत 80 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
  • धान, गेहूं, रागी, कोदो-कुटकी सहित दलहन-तिलहन बीज वितरण के लिए 150 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
  • आगामी वर्ष से राज्य में नैनो यूरिया और डीएपी को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत ऑर्गेनिक खेती के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
  • ऑर्गेनिक प्रमाणीकरण हेतु 24 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
  • एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत 200 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।
  • कृषि पंपों के ऊर्जीकरण (विद्युतीकरण) के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान है।
  • गन्ना किसानों को बोनस देने हेतु 60 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान रखा गया है।

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छत्तीसगढ़ में बना धान खरीदी में नया कीर्तिमान

छत्तीसगढ़ में राज्य शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत इस खरीफ सीजन में रिकॉर्ड 149.25 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है। इसमें मोटा धान 81.98 लाख मीट्रिक टन, पतला धान 10.75 लाख मीट्रिक टन और सरना धान 56.52 लाख मीट्रिक टन शामिल है। धान की यह खरीदी राज्य बनने के बाद का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। धान खरीदी का सिलसिला 14 नवंबर 2024 से शुरू होकर 31 जनवरी 2025 तक निरंतर जारी रहा जिसके अंतर्गत राज्य के पंजीकृत 25 लाख 49 हजार 592 किसानों ने धान विक्रय किया। महासमुंद जिला सर्वाधिक 11.04 लाख मीट्रिक टन धान खरीद कर राज्य में पहले नंबर पर है। वहीं बेमेतरा जिला 9.38 लाख मीट्रिक टन धान खरीद कर दूसरा और बलौदाबाजार-भाटापारा जिला 8.56 लाख मीट्रिक टन धान खरीदकर तीसरा स्थान हासिल की है।