चित्रकोट विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, देखिए क्या कहता है जनता का मूड-मीटर

चित्रकोट विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, देखिए क्या कहता है जनता का मूड-मीटर

चित्रकोट विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, देखिए क्या कहता है जनता का मूड-मीटर
Modified Date: November 29, 2022 / 08:45 pm IST
Published Date: August 21, 2018 2:59 pm IST

चित्रकोट। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है बस्तर क्षेत्र के चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के विधायकजी की। चित्रकोट विधानसभा बस्तर संभाग की अहम सीटों में से एक हैफिलहाल ये सीट कांग्रेस के पास है और दीपक बैज यहां से विधायक हैंकांग्रेस विधायक के कार्यकाल की बात करें तो कोई खास उपलब्धि नजर नहीं आतीकई मोर्चे पर फेल नजर आते हैं दीपक बैज हालांकि इन आरोपों पर उनका कहना है कि राज्य में उनकी सरकार नहीं होने के करण उनके साथ भेदभाव किया जाता हैबावजूद इसके हर गांव तक बिजली और सड़क पहुंचाने खुद उन्होंने फावड़ाकुदाल लेकर लोगों के बीच काम किया लेकिन बीजेपी नेता महज इसे विधायक का प्रोपेगेन्डा बताते है।

यूं तो कांग्रेस विधायक दीपक बैज बस्तर के उन युवा विधायकों में से आते हैंजो अपने क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं और दमदारी से अपने क्षेत्र के मुद्दों को विधानसभा में उठाते हैं लेकिन हमारी टीम जब कांग्रेस विधायक का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने चित्रकोट विधानसभा पहुंची और इस दौरान इलाके में हमें कई ऐसे लोग मिले, जो कांग्रेस विधायक को लेकर काफी नाराज दिखेआप भी सुनिए उनकी नाराजगी की वजह

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चुनाव में अब कुछ महीनों का ही वक्त बचा हैऐसे में बीजेपी भी कांग्रेस विधायक को घेरने में जुट गए हैंबीजेपी नेताओं का आरोप है कि वर्तमान विधायक ने कोई काम नहीं किया है बल्कि वो केवल सरकारी योजनाओं का श्रेय लेने में आगे रहते हैं जिन मुद्दों और वायदों के भरोसे लोगों ने विधायक को वोट दिया, उनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ। हालांकि कांग्रेस विधायक इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं

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बस्तर छत्तीसगढ़ में वो इलाका है जहां आने वाले चुनाव में सबसे बड़ा सियासी घमासान देखने को मिल सकता है और यहां पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही बढ़त लेने के लिए पूरी तैयारी में जुट गई है। हालांकि सियासी दांवपेंच के बीच चित्रकोट की जनता भी रिपोर्ट कार्ड बनाने में जुट गई है और वोट मांगने जाने से पहले नेताओं को जनता की खरी-खोटी सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए। बस्तर संभाग का ये आदिवासी इलाका घने जंगलों, पहाड़ों से घिरा होने के कारण पर्यटन के लिहाज से भी काफी अहम हैलेकिन नक्सल प्रभावित होने के कारण विकास की दौड़ में काफी पीछे छूट गया हैदरभा, बस्तानार, लोहंडीगुड़ा विकासखंड जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र चित्रकोट विधानसभा में आते हैंइन इलाकों दर्जनों ऐसे गांव हैं जो पहुंचविहीन होने के साथ आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

चित्रकोट जलप्रपात जिसे छत्तीसगढ़ का नियाग्रा फाल भी कहा जाता हैचित्रकोट में ही पूरे शबाब पर रहती है इंद्रावती नदीपर्यटन के लिहाज से भी देखें तो बस्तर और छत्तीसगढ़ को अलग पहचान देती हैचित्रकोट जलप्रपात  के अलावा विधानसभा क्षेत्र में लोहंडीगुड़ा विकासखंड भी चर्चित रहा है, जिसे लेकर कई सालों से यहां सियासत जारी हैलोहंडीगुड़ा के 10 गांव की करीब 2044 हेक्टेयर जमीन टाटा को स्टील प्लांट लगाने के लिए सरकार ने अधिग्रहित की थी पर इन 10 गांव के लोगों को न तो सही तरीके से मुआवजा मिला, ना ही प्लांट का कोई अता पता हैलेकिन सरकारी रिकॉर्ड में ये जमीन सरकार के पास चली गई हैऐसे में लोग अपनी जमीन वापस मांग रहे हैं क्योंकि वादे के मुताबिक उन्हें नौकरी मिली नहीं और उनकी जमीन गई वो अलग।

स्टील प्लांट से प्रभावित लोगों के अलावा विधानसभा क्षेत्र के  दरभा और बास्तानार इलाके में लोग नक्सल समस्या से जूझ रहे हैं। इसका असर यहां की शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ा हैयही वजह है कि बास्तानार जैसे विकासखंड आज भी बेहद पिछड़े हुए हैंबीते कुछ सालों से कुपोषण भी यहां बड़ी समस्या बनकर उभरी है, जिसे लेकर लोगों में शिकायतों के लंबी लिस्ट है

बिन्ता कक्नार घाटी का ऐसा इलाका है जहां कई गांव आज भी बारिश के दौरान टापू बन जाते हैं इन पंचायतो में रह रहें सैकड़ों लोग आज भी अबूझमा की तरह पहुंचविहीन है। इसे लेकर ग्रामीणों ने कांग्रेस विधायक को गांव में जनसंपर्क करने से भी रोक दिया क्योंकि उन्होंने पिछले वायदे पूरे नहीं किए

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कांग्रेस विधायक ने मारडूम गांव को गोद लिया तो यहां के लोगों को लगा कि उनकी तकदीर बदल जाएगी, लेकिन यहां भी हालात नहीं बदलेयहां महीनों बिजली गुल रहती है पानी और सड़क जैसी बुनियादी समस्याएं भी जस की तस हैकुल मिलाकर आने वाले चुनाव में कांग्रेस विधायक को ऐसे कई सवालों का सामना करना पड़ेगा जिनका जवाब देना उनके लिए आसान नहीं होगा

चित्रकोट के सियासी समीकरण की बात की जाए तो 2008 में परिसीमन के बाद केशलुर विधानसभा को विलोपित कर चित्रकोट विधानसभा में शामिल किया गया। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित इस विधानसभा को लेकर एक दिलचस्प आंकड़ा है कि यहां की जनता ने किसी एक चेहरे को लगातार मौका नहीं देती हैलिहाजा इस बार भी कांग्रेस और बीजेपी में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त हैकांग्रेस में जहां दीपक बैज टिकट के स्वाभाविक उम्मीदवार हैंवहीं बीजेपी में एक से ज्यादा नेता टिकट की दौड़ में शामिल हैं।

बस्तर जिले में आने वाली चित्रकोट विधानसभा की जनता हर बार नए चेहरे को मौका देती रही है परंपरागत तौर पर भी वो किसी एक दल से बंधा हुआ नहीं है चुनाव नतीजे भी बताते हैं कि चित्रकोट विधानसभा में पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी मायने रखता हैफिलहाल सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और दीपक बैज यहां से विधायक हैं

चित्रकोट के सियासी इतिहास की बात की जाए तो छ्तीसगढ़ गठन के बाद अब तक हुए तीन विधानसभा चुनाव हुए जिसमें से दो बार बीजेपी जबकि एक बार कांग्रेस यहां जीतने में सफल रही  2003 के विधानसभा चुनाव में लच्छूराम कश्यप ने यहां बीजेपी को जीत दिलाईवहीं 2008 में परिसीमन के बाद केशलुर विधानसभा को विलोपित कर चित्रकोट में शामिल किया गया और केशलुर विधायक बैदूराम कश्यप बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बैदूराम कश्यप पर फिर भरोसा जताया लेकिन कांग्रेस ने युवा चेहरे दीपक बैज को चुनाव मैदान में उतारा जिन्होंने सीट को दोबारा कांग्रेस के पाले में डाल दियाइस चुनाव में कांग्रेस को जहां 50303 वोट मिलेवहीं बीजेपी प्रत्याशी को महज 37974 वोट मिले इस तरह जीत का अंतर 12329 वोटों का रहा

वैसे तो चित्रकोट में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही हैसर्वाधिक जनाधार वाले इन दोनों ही दलों में दावेदारों की कोई कमी नहीं हैआने वाले चुनाव में भी सही उम्मीदवार को टिकट देना दोनों ही सियासी पार्टियों के लिए आसान नहीं रहने वालाबीजेपी की बात करें तो पिछला चुनाव हारने वाले बैदूराम कश्यप का नाम इस बार भी संभावित दावेदारों की लिस्ट में सबसे पहला है..बैदूराम कश्यप एक बार फिर चित्रकोट से टिकट के लिए सक्रिय नजर आ रहे हैंइनके अलावा 2003 में चुनाव जीतने वाले लच्छूराम कश्यप भी बीजेपी से टिकट की दौड़ में शामिल हैं।

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इन दोनों के अलावा संघ परिवार से जुड़े रहे बसंत कश्यप नया और चर्चित चेहरा हैजिनको लेकर संगठन में चर्चा हैवहीं जलंधर बघेल, विनायक गोयल सहित करीब आधा दर्जन सीनियर नेता यहां से टिकट की मांग कर रहे हैं और पार्टी आलाकमान के सामने यहां सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो सही उम्मीदवार पर दांव लगाएं वरना पिछली बार की तरह इस बार गुटबाजी तय है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की बात करें तो मौजूदा विधायक दीपक बैज की टिकट लगभग तय मानी जा रही हैमगर आधा दर्जन नेताओँ ने कांग्रेस से दावेदारी के लिए नामांकन फॉर्म लिया हैहालांकि विधायक दीपक बैज इससे ज्यादा चिंतित नजर नहीं आते। चित्रकोट में इस बार जेसीसीजे के उतरने से यहां के सियासी समीकरणों पर असर पड़ सकता हैहालांकि चित्रकोट जैसी नक्सल प्रभावित सीट पर चुनाव मैनेजमेंट पर पार्टियों की सफलता काफी कुछ निर्भर करेगी।

वेब डेस्क, IBC24


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