शह मात The Big Debate: भीड़..हिंसा..आग..धर्मांतरण के कितने दाग? धर्मांतरण पर बढ़ते तनाव का आखिर क्या इलाज है?

Kanker Conversion Case: भीड़..हिंसा..आग..धर्मांतरण के कितने दाग? धर्मांतरण पर बढ़ते तनाव का आखिर क्या इलाज है?

शह मात The Big Debate: भीड़..हिंसा..आग..धर्मांतरण के कितने दाग? धर्मांतरण पर बढ़ते तनाव का आखिर क्या इलाज है?

Kanker Conversion Case

Modified Date: December 19, 2025 / 11:28 pm IST
Published Date: December 19, 2025 11:28 pm IST
HIGHLIGHTS
  • कांकेर जिले के बड़े तेवड़ा गांव में शव दफनाने पर विवाद
  • हिंसा में 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल, चर्चों में तोड़फोड़
  • धर्मांतरण कानून पर सियासी बयानबाजी तेज

रायपुर: Kanker Conversion Case उत्तर बस्तर के कांकेर जिले में एक बार फिर धर्मांतरण से गांव में बने दो वर्ग आमने-सामने आ गए। दोनों वर्गों में शव दफनाने का झगड़ा इतना बढ़ा कि बीते 3-4 दिनों से पूरा इलाका तोड़फोड़, आगजनी और उपद्रव से झुलस रहा है..हालात कंट्रोल करने पुलिस-जिला प्रशासन के भी पसीने छूट गए। खैर, कांकेर में धर्मांतरण के नए विवाद ने पूरे बस्तर में तनाव पैदा कर दिया है..अब सवाल है कि ये टकराव बस यहीं रूक जाएगा या नेक्स्ट लेवल पर जाएगा।

Kanker Conversion Case कांकेर जिले के आमाबेड़ा ब्लॉक के बड़े तेवड़ा में बीते 4 दिनों से दो गुटों में विवाद से ऐसा माहौल बिगड़ा कि, पुलिस-प्रशासन ने गांव को छावनी बना दिया है। फ्लैग मार्च कर,बवाल के बाद हालात को संभाला। दरअसल, ये पूरा झगड़ा है ईसाई बन चुके एक व्यक्ति के शव को गांव में दफनाने का। गांव का सरपंच धर्मांतरण कर ईसाई धर्म अपना चुके हैं, पिता की मृत्यु के बाद 16 दिसंबर को सरपंच ने पिता के शव को गांव में ही दफना दिया, जिसका गांव वालों ने मिलकर कड़ा विरोध किया, ग्रामीण शव बाहर निकालने की मांग पर अड़ गए, पुलिस और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने दोनों पक्ष के लोगों को समझाने का भरसक प्रयास किया लेकिन विवाद में जमकर हिंसा हुई, लाठी-डंडे चले,हालात संभालने पुलिस ने गांव में बाहरी लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है।

ये विवाद इतना भड़का कि गुस्साए ग्रामीणों ने बड़े तेवड़ा और आमाबेड़ा के चर्च में भी तोड़फोड़ और आगजनी की। इस दौरान हुए बवाल में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आशीष बंछोर समेत 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए, शुक्रवार को स्थानीय विधायक आशाराम नेताम, कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर और पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों और घायल जवानों से मुलाकात की। मामले पर सियासी पारा भी चढ़ा हुआ है। प्रदेश के गृहमंत्री ने दावा किया कि पुलिस-प्रशासन ने स्थिति को फौरन संभाला, अभी भी कड़ी नजर है, कोई उत्पाती बख्शा नहीं जाएगा तो विपक्ष सरकार को याद दिला रहा है कि धर्मांतरण के खिलाफ वो कड़ा कानून शीत सत्र में भी नहीं आ सका।

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फिलहाल हालात काबू में तो हैं लेकिन तनाव बरकरार है, बाजार बंद हैं, पुलिस-प्रशासन ने स्थिति को संभालने हर मुमकिन कदम उठाया लेकिन ये भी सच है कि ये विवाद पहली बार नहीं हुआ है। प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में धर्मांतरण माफिया ने ऐसा खेल खेला है कि वहां दो वर्ग बन चुके हैं। कनवर्टेड व्यक्ति के शव दफनाने को लेकर अक्सर ऐसे ही आग लगती है। सवाल ये है कि हर कड़े कानून की जरूरत बताई जाती है। वो आएगा कब? आखिर किस अनहोनी का इंतजार है?

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