मंत्रियों के दौरे धुआंधार…रायपुर…दिल्ली…नई तकरार! आकांक्षी जिलों के स्थिति पर किसे मिलेगी सियासी बढ़त?

आकांक्षी जिलों के स्थिति पर किसे मिलेगी सियासी बढ़त? Who will get a political edge on the status of aspirational districts?

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  • Publish Date - April 14, 2022 / 11:18 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:59 PM IST

रिपोर्ट- सौरभ सिंह, रायपुर: Who will get a political edge  कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही अभी से 2023 के लिए पार्टी की जमीनी पकड़ मजबूत करने में जुट चुके हैं। खैरागढ़ उपचुनाव के साथ ही भाजपा खेमा जिस तरह से सक्रिय है उससे साफ है कि यूपी समेत चार राज्यों में जीत के बाद पार्टी का पूरा फोकस अब छत्तीसगढ़ पर रहने वाला है। इसी बीच राज्य के आकांक्षी जिलों में केंद्रीय मंत्रियों के दौरे से भाजपा खेमा इस दावे के साथ खुश है कि केंद्रीय मंत्रियों की रिपोर्ट से राज्य सरकार की पोल खुलेगी। तो कांग्रेस पार्टी अपनी सरकार के गांव, गरीब और किसान की नीतियों को बूथ-बूथ तक पहुंचाकर 2023 में दूसरी बार सत्ता में वापसी का प्लान बना रही है। बड़ा सवाल ये कि आकांक्षी जिलों के स्थिति पर क्या किसी को सियासी बढ़त मिलेगी?

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Who will get a political edge  तो केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयानों से साफ है कि केंद्र और राज्य के बीच विकास को लेकर मोर्चा खुला है। वैसे केंद्र वर्सेज राज की ये बहस नई नहीं है। अहम बात ये कि केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के 10 आकांक्षी जिलों में 10 केंद्रीय मंत्रियों को भेजने की शुरूआत कर दी है। इसके तहत केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी महासमुंद पहुंचे, जहां केंद्र की योजनाओं की समीक्षा कर कहा कि जहां जो भी कमियां हैं, उन्हें राज्य सरकार दूर करे।

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इधर,भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी का कहना है कि राज्य के आकांक्षी जिलों में जिस काम के लिए फंड दिया,अगर वो काम नहीं हुआ है तो रिपोर्ट के बाद उस मुताबिक केंद्र कार्रवाई करेगा। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने तंज कसते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्रियों के दौरे से बनी रिपोर्ट राज्य सरकार का पोल खोलेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि वो केंद्रीय मंत्रियों के दौरे से पहले ही आकांक्षी जिलों में बेहतर सुविधा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुके हैं। केंद्रीय मंत्रियों के दौरे तो सिर्फ अपनी राजनीतिक जमीन तालशने के लिए हैं।

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कुल मिलाकर केंद्र और राज्यों का फोकस प्रदेश के 10 आकांक्षी जिलों, जिनमें से 7 अकेले आदिवासी बहुल बस्तर में और 8 नक्सल प्रभावित क्षेंत्र में आते हैं। केंद्रीय मंत्रियों के दौरे के जरिए भाजपा इन जिलों में केंद्रीय योजनाओं की जमीनी हालात के बहाने राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरना चाहती है तो राज्य की भूपेश सरकार ने चुनाव के पहले आकांक्षी जिलों के बहाने अपनी सियासी जमीन टटोलने का आरोप केंद्र और भाजपा पर लगाया है यानि आकांक्षी जिलों के रास्ते टार्गेट 2023 चुनाव पर ही है।

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