Why education department needed online transfer system in Chhattisgarh

अब तबादला ऑनलाइन! शिक्षा विभाग को क्यों पड़ी इसकी जरूरत…खत्म हो जाएगा कथित भ्रष्टाचार?

शिक्षा विभाग को क्यों पड़ी इसकी जरूरत...खत्म हो जाएगा कथित भ्रष्टाचार? Why education department needed online transfer system in Chhattisgarh

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : February 11, 2022/11:04 pm IST

रिपोर्ट: राजेश राज, रायपुर: online transfer system ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाले छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग में बड़ा बदलाव हुआ है। अब शिक्षकों के साथ विभाग से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। गुरुवार को इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश भी जारी कर दिया है। नए आदेश के मुताबिक अब शिक्षा विभाग की ओर से ट्रांसफर, रिलीविंग और ज्वाइनिंग ऑर्डर भी ऑनलाइन ही जारी किया जाएगा। आखिर शिक्षा विभाग को इसकी जरूरत क्यों पड़ी? क्या है इस आदेश के मायने? पुराने सिस्टम से ये कितना बेहतर है और क्या इससे ट्रांसफर-पोस्टिंग में चलने वाले कथित भ्रष्टाचार और विवाद का दौर खत्म हो जाएगा?

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online transfer system 10 फरवरी को स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी ये आदेश बेहद अहम हैं, क्योंकि इस एक आदेश से शिक्षा विभाग में ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर चलने वाला दशकों पुराना विवाद थम सकता है। आदेश की इस कॉपी में साफ-साफ कहा है कि अब किसी भी शिक्षक का ट्रांसफर ऑनलाइन ही होगा। ऐच्छिक ट्रांसफर चाहने वाले शिक्षकों को अब NIC की ओर से बनाई गई वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। डीपीआई उसकी ऑनलाइन एंट्री करेगा और फिर ऑनलाइन आवेदन का प्रिंट लगाकर उसकी कॉपी के साथ ट्रांसफर की फाइल आगे बढ़ाई जाएगी। नए आदेश के मुताबिक अब बिना ऑनलाइन एंट्री और आवेदन के कोई भी ट्रांसफर नहीं हो सकेगा। इतना ही नहीं विभाग की ओर से ट्रांसफर, रिलीविंग और नए स्थान पर ज्वाइनिंग आदेश भी NIC की वेबसाइट पर किया जाएगा। शिक्षा विभाग में पारदर्शिता लाने, शिक्षकों को ट्रांसफर पोस्टिंग का समान अवसर देने और स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता को बढाने की दिशा में सरकार और शिक्षा विभाग इसे अहम कदम बता रहा है। शिक्षक संघ भी इस कदम की तारीफ कर रहा है।

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हालांकि इस आदेश के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं, क्योंकि ज्यादा दिन नहीं बीते जब कांग्रेस के ही दर्जनभर से ज्यादा विधायक और संसदीय सचिव ने शिक्षा विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग में भारी भ्रष्टाचार और मनमानी का आरोप लगाते हुए एक शिकायत राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को कर दी थी। उससे पहले भी, प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष तौर पर लगातार खबर आती रही कि बिना पैसे दिए शिक्षकों का ट्रांसफर नहीं होता है। विधायकों के शिकायत के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री के निज सचिव को भी हटा दिया गया। विपक्ष भी इसी बात को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है।

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सियासी आरोप-प्रत्यारोप से इतर शिक्षा विभाग के इस कदम से पीजीआई इंडेक्स रिपोर्ट में प्रदेश को जरूर फायदा मिलेगा, क्योंकि 90 से ज्यादा परफॉर्मिंग सूचकांक में एक सूचकांक शिक्षकों के ऑनलाइन ट्रांसफर पोस्टिंग का भी है। इस सिस्टम के नहीं होने से से प्रदेश के 20 मार्क्स कट जा रहे थे। यदि मौजूदा सरकार ने इस पारदर्शी व्यवस्था लागू करने की हिम्मत दिखाई है, तो इसका क्रेडिट भी उसे मिलना ही चाहिए। शिक्षा विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए ही लोक शिक्षण संचालनालय ने कुछ दिन पहले सरकारी स्कूलों में चल रहे अटैचमेंट के खेल को रोकने निर्देश जारी किया था कि जो शिक्षक अटैचमेंट का लाभ लेकर स्कूलों में सालों से कार्यरत हैं, उन्हें उनके मूल विभाग यानी मूल स्कूल में तत्काल भेजा जाए। अगर कोई ऐसा नहीं करता है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि शिक्षा विभाग की नई व्यवस्थाएं कितनी कारगर हो पाती है, ये बड़ा सवाल है।

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