शह मात The Big Debate: गाइडलाइन दर..दर्द-ए-विपक्ष..विरोध, आरोप का क्या है लक्ष्य? कांग्रेस नई रजिस्ट्री दर पर इतनी मुखर क्यों है?

CG News: गाइडलाइन दर..दर्द-ए-विपक्ष..विरोध, आरोप का क्या है लक्ष्य? कांग्रेस नई रजिस्ट्री दर पर इतनी मुखर क्यों है?

शह मात The Big Debate: गाइडलाइन दर..दर्द-ए-विपक्ष..विरोध, आरोप का क्या है लक्ष्य? कांग्रेस नई रजिस्ट्री दर पर इतनी मुखर क्यों है?

CG News

Modified Date: November 29, 2025 / 12:10 am IST
Published Date: November 29, 2025 12:10 am IST
HIGHLIGHTS
  • छत्तीसगढ़ सरकार ने 8 साल बाद गाइडलाइन रेट बढ़ाए
  • कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बदलाव से नेताओं को फायदा पहुंचाया गया
  • विपक्ष और रियल एस्टेट कारोबारियों ने 10-300% बढ़ोतरी को आमजन पर बोझ बताया

रायपुर: CG News बीते दिनों सरकार ने जमीनों पर गाइडलाइन में इजाफा कर उसे तर्कसंगत और युक्तिसंगत बनाने का दावा किया। विपक्ष इस वृद्धि को सीधे-सीधे रियल स्टेट कारोबार पर कुठाराघात और आमलोगों की जेब काटने का जरिया बताकर विरोध में है। आरोप दोनों तरफ से हैं कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने दरों में बदलाव किया गया। सवाल सीधे-सीेधे सरकार की मंशा पर उठाया जा रहा है। सवाल है कि क्या वाकई किसी को लाभ पहुंचाने ये सब किया गया? अगर नहीं तो नई दरों का विरोध क्यों है? कौन कर रहा है ?

CG News बीजेपी-कांग्रेस नेताओं के बयानों से साफ है कि हाल ही मेें बढ़ाए गए , जमीनों के गाइड लाइन रेट मुद्दे पर विरोध और सियासत अभी थमी नहीं है। पहले बीजेपी ने कांग्रेस पर ये आरोप लगाया था कि पिछली सरकार ने घोटालें बाजों को निवेश कर, जमीनें खऱीदने के लिए जामीनों के गाइड लाइन को 30 फीसद तक घटाया और उसी पर स्थिर रखा। अब PCC चीफ दीपक बैज ने बीजेपी नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूछा है कि- सरकार बताए, जांच कराए, आंकड़े जारी कर साफ करे कि कौन नेता हैं जिसने दामा खेड़ा के आगे 300 एकड़ से ज़्यादा जमीन ख़रीदी है, बीजेपी सरकार बताए कि कौन है जिसने नवा रायपुर में 250 एकड़ से ज़्यादा जमीन खरीदी है।

आरोपों खारिज कर बीजेपी विधायक सुनील सोनी ने कांग्रेस को मुद्दाविहीन बताया।सोनी ने कहा कि विपक्ष बिना प्रमाण के झूठे आरोप लगा रहा है।

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दरअसल पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने, 8 साल बाद जमीनों के गाइडलाइन रेट बढ़ा दिए, सत्ता पक्ष का दावा है कि सरकारी गाइडलाइन रेट और जमीनों के वास्तविक बाजार दाम में बड़ा फर्क था, सरकारी खजाने को नुकसान था, एक ही एरिया में अलग-अलग गाइड लाइन रेट जैसी विषमताएं थीं। इसीलिए 7 महीने के जमीनी सर्वे के बाद तार्किक रेट बढ़ाए हैं। वहीं, विपक्ष और रियल स्टेट कारोबारियों के मुताबिक सरकार ने गाइड-लाइन रेट में 10 से 300 प्रतिशत तक अनाप-शनाप बढ़ोतरी कर दी जिसका कारोबार और आमजन दोनों पर बुरा असर पड़ा है। विरोध करने वालों के साथ कांग्रेस ने जमकर विरोध जारी रखे की चेतावनी दोहराई है। सवाल है गाइड लाइन को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाना कितना जायज है, विरोध सियासी है या सरकार कारोबारियों और आमजन के विरोध को दरकिनार कर रही है।

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