बच्चों को क्या इंग्लिश सिखाएंगे ये शिक्षक, जिन्हें खुद नहीं आती मदर-फादर की स्पेलिंग? शिक्षा मंत्री बोले- जंग लग गया है कोरोना काल में

शिक्षा मंत्री बोले- जंग लग गया है कोरोना काल में! English Teacher do not know the spelling of mother-father?

  •  
  • Publish Date - October 4, 2021 / 10:18 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:13 PM IST

बलरामपुर: शिक्षक को बच्चों का भविष्य निर्माता माना जाता है। अपने ज्ञान और अनुभव से वो बच्चों को काबिल इंसान बनाता है। टीचर जो कुछ लिखते हैं बोलते हैं बच्चे उन्हें पत्थर की लकीर मानते हैं। ऐसे में सोचिए अगर बचपन से ही उन्हें गलत पाठ पढ़ाया जाए तो उनका भविष्य कहां जाकर टिकेगा। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में ऐसी ही एक तस्वीर दिखी जहां एक टीचर बच्चों को ब्लैकबोर्ड पर इंग्लिश के शब्दों की गलत स्पेलिंग लिखकर समझाता दिखा। अब आप सोचिए वो बच्चे जब गलत पढ़ेंगे ही तो सही लिखेंगे कैसे?

Read More: दिल्ली से वापस लौटे कांग्रेस के 35 विधायक, MLA वृहस्पत सिंह और विनय जायसवाल ने मीडिया से कही ये बात

ये दोनों मामले छत्तीसगढ़ की हैं, दोनों स्कूलों में टीचर बच्चों को इंग्लिश पढ़ा रहे हैं। पहला मामला घटना बलरामपुर के स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल की है जबकि दूसरा मामला भी बलरामपुर जिले के ही एक सरकारी स्कूल की है। आत्मानंद स्कूल में तो बच्चों को एडवांस लर्निंग बेस्ड एजुकेशन मिल रहा है लेकिन वाड्रफनगर के बचवारी पारा गांव के इस स्कूल में बच्चों को एडवांस तो छोड़िए बेसिक इंग्लिश ही गलत पढ़ाई जा रही है। स्कूल के टीचर का अंग्रेजी ज्ञान आपको न सिर्फ हंसने बल्कि सोचने पर भी मजबूर कर देगा।

Read More: इस जिले के 61 गांवों में 13 अक्टूबर तक रहेगा लॉकडाउन, जरूरी सेवाओं को छोड़कर सभी दुकानें रहेंगी बंद

अब आप ही सोचिए कहीं आपके बच्चों को ऐसे टीचर तो इंग्लिश नहीं पढ़ा रहे हैं। प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में पढ़ाई किस कदर चौपट है। ये उसकी बानगी भर है। नाकाबिल और नकारा टीचर्स के आधे-अधूरे ज्ञान के बूते बच्चों का भविष्य क्या होगा अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं है। जिम्मेदार अधिकारी जांच और कार्रवाई की बात तो कह रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि कार्रवाई कितनों पर की जाएगी। आखिर ऐसे टीचर्स को किस आधार पर नौकरी पर रखा जाता है?

Read More: चक्रवात ‘शाहीन’ ने ​ढाया कहर, अब तक 13 लोगों की मौत, कई लोग अब भी लापता

इसके पीछे स्कूल शिक्षा मंत्री का तर्क तो और भी हैरानी भरा है। उनकी माने तो जिस तरह कोरोनाकाल में बच्चों को जंग लगी है वैसे ही शिक्षकों के ज्ञान पर भी जंग लग गया है। मंत्री ने ट्रेनिंग देने की जरूरत पर भी जोर दिया। छत्तीसगढ़ में एजुकेशन सिस्टम को मजबूत करने के लिए सरकार कई तरह के जतन में जुटी है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ऐसी कोशिशों को डस्टर से मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। अगर सिखाने वाले शिक्षक ऐसे होंगे तो इनसे सीखकर स्कूल से निकलने वाले बच्चे कॉम्पीटिशन में कहां खड़े होंगे ये समझा जा सकता है।

Read More: छत्तीसगढ़ में तीन तलाक केस में पहली गिरफ्तारी, राजधानी के एक वकील को पुलिस ने किया गिरफ्तार