भोपाल गैस त्रासदी की 36वीं बरसी, कोई नहीं भूल सकता सर्दी की वो रात, सड़कों पर नाच रही थी मौत.. देखें रिपोर्ट

भोपाल गैस त्रासदी की 36वीं बरसी, कोई नहीं भूल सकता सर्दी की वो रात, सड़कों पर नाच रही थी मौत.. देखें रिपोर्ट

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  • Publish Date - December 3, 2020 / 03:01 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:50 PM IST

भोपाल। आज से ठीक 36 साल पहले 2 और 3 दिसम्बर की दरमियानी रात पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना यानि भोपाल गैस त्रासदी घटी। इस घटना ने भोपाल का इतिहास कुछ इस कदर लिख दिया कि उसमें केवल दुख और दर्द ही नजर आता है।

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इस त्रासदी में हजारों लोगो ने अपनी जान गंवाई तो लाखों लोग इस त्रासदी के परिणामों को आज भी झेल रहे हैं। 2 दिसंबर की काली रात की सुबह आज भी नहीं हो सकी है। तीन दशक से ज्यादा लंबे संघर्ष के बावजूद पीड़ितों को आज भी इंसाफ नहीं मिल सका है। सरकारें बदलती रही, अदालतों में सुनवाई चलती रही पर न्याय के लिए संघर्ष अब भी जारी है।

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सड़कों पर नाच रही थी मौत..

कोई नहीं भूल सकता सर्दी की वो रात। सब रजाई में आराम से सो रहे थे, तभी अचानक से लोगों की आंखे जलने लगी। दम घुटने लगा, फिर क्या था, एक सायरन के साथ पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गई। जिसको जहां जगह मिली वो वहां भाग निकला। पुराने भोपाल शहर में मौत सड़कों पर नाच रही थी। किसी को पता नहीं था कि हुआ क्या है। सरकारी अमले के दिमाग में अब तक तस्वीर साफ हो चुकी थी। जहर की शक्ल में ये कहर यूनियन कार्बाइड की चिमनियों से बरसा था, लेकिन इस जहर का असर कहां तक था और कितना था इसका अंदाजा मुश्किल था। बदहवास लोग इस जहर के असर से बचने के लिए जितना भाग रहे थे, मौत उन्हें चुन-चुन कर मार रही थी।

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धुंध भरे अंधेरे में शहर के साथ-साथ यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री भी अलसाई हुई थी। दरअसल तकनीकी वजहों से कई दिनों से फैक्ट्री की कई यूनिट में प्रोडक्शन ठप था। लेकिन फैक्ट्री के 610 टैंक में एक शैतान सांस ले रहा था। रात में अचानक इस टेंक से जहरीली गैस का रिसाब होने लगा। सर्द हवा पर सवार जहरीली मिथाइल आईसो सायनाइड गैस शहर के भीतर घुस गई, और इस गैस का असर नींद में दुबके हुए लोगों पर हुआ। नींद उचटने के बाद जो बाहर निकले वो सीधे गैस की चपेट में थे, हर सेकेंड के साथ एक नया आदमी गैस का शिकार हो रहा था।

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करीब साढे 5 लाख लोग हुए प्रभावित

यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से निकली जहरीली गैस ने सब कुछ तबाह कर दिया था। उस दिन 40 टन मिथाईल आइसो सायनाइड गैस प्लांट से लीक हुई। करीब साढे 5 लाख लोग इससे प्रभावित हुए। उस दिन भोपाल और उसके आस पास के इलाके ने तबाही का मंजर देखा। 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत शुरुआती दिनों के अंदर हुई। पूरे गैस कांड में करीब 20 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई।

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करीब 4 हजार लोगों की मौत

इंसानों के अलावा 2000 से ज्यादा जानवर भी इस गैस त्रासदी का शिकार बने। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, त्रासदी में करीब 4 हजार लोगों की मौत और करीब 19 हजार लोग जीवन भर के लिए बीमार और करीब 7 हजार लोग निशक्त हो गए थे, लेकिन हैरानी की बात है आज भी इस कांड का दंश झेल रहे लोगों को इंसाफ नहीं मिल सका है। आज भी लोगों की आंखो में उस दिन की हैवानियत तांडव करते हुए उन्हे जीभ चिडा उनकी बेबसी पर हंस रही है। और प्रदेश की बदलती सरकारें सत्ता की गद्दी पर बैठ सियासत का सुख भोग रही हैं।

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मुख्यमंत्री शिवराज देंगे श्रद्धांजलि

भोपाल गैस कांड की 36वीं बरसी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मृतकों को श्रद्धांजलि देंगे। त्रासदी के 36 साल बाद भी यह जख्म अब भी ताजा हैं। राजनीति और न्याय के बीच फंसी जिंदगी आज भी न्याय के लिए गुहार लगा रही है। पीड़ितों को अब तक पूरा मुआवजा नहीं मिला है।

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