यहां भगवान के पहले भक्तों को लगता है भोग, वास्तुकला की अमूल्य धरोहर है जुगलकिशोर मंदिर

यहां भगवान के पहले भक्तों को लगता है भोग, वास्तुकला की अमूल्य धरोहर है जुगलकिशोर मंदिर

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  • Publish Date - August 8, 2020 / 09:45 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:53 PM IST

पन्ना । जिले में स्थित प्राचीन जुगलकिशोर मंदिर…अपने विशाल आकार, भव्य काया और सुदर्शन स्वरूप के चलते पूरे मध्यप्रदेश में मशहूर है। ख़ासकर बुंदेलखंड में तो इस मंदिर को लेकर लोगों में अपार श्रद्धा दिखती है। ये मंदिर भारतीय वास्तुकला की अमूल्य धरोहर बन गया है । मंदिर के गर्भगृह में भगवान जुगलकिशोर यानी श्रीकृष्ण की मनोहारी प्रतिमा स्थापित है । यहां कृष्ण मुरली थामे हुए नज़र आते हैं।

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रोज सुबह 5 बजे जुगलकिशोर को जगाकर उनकी मंगल आरती की जाती है, फिर कनक कटोरा आरती का आयोजन होता है। इसके बाद पट बंद कर दिए जाते हैं। दोपहर 12 बजे फिर पट खोला जाता है। ढाई बजे जब पूरे शहर के लोग भोजन कर चुके होते हैं, तब भगवान को भोग लगाया जाता है। आमतौर पर मंदिरों में पहले भगवान को भोग लगता है, फिर भक्तों को प्रसाद मिलता है, लेकिन पन्ना के जुगलकिशोर इतने भक्तवत्सल माने जाते हैं कि वो पहले अपने भक्तों को पेट पूजा का मौका देते हैं, उसके बाद ही भोग ग्रहण करते हैं। यही वजह है कि यहां दोपहर के भोजन की आरती 2.30 बजे और रात्रि के भोजन की आरती रात 10.30 बजे होती है । ये अनूठी परंपरा और उससे जुड़ी भावना इस मंदिर को और भी ख़ास बना देती है। इसी परंपरा के कारण ये भी कहा जाता है कि जुगल किशोरजी अपने राज्य में किसी को भी भूखा नहीं सोने देते ।

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जुगलकिशोर मंदिर में सबसे खास उत्सव जन्माष्टमी के मौके पर बनाया जाता है । इस दौरान पूरा पन्ना कृष्ण भक्ति में सराबोर हो जाता है। हर गांव वृंदावन बन जाता है और सारे स्त्री-पुरुष गोप-गोपी । जुगल किशोर मंदिर में श्रीकृष्ण के जन्म की अनोखी तैयारियां चलती हैं । भगवान राजशाही जमाने की हीरा से जड़ी मुरली धारण करते हैं, जो मुरली में हीरे जड़े हैं…उन्हें बुंदेली भाषा में कोडिया हीरा कहा जाता है। मुरली में हीरा से जुड़ा एक लोकभजन भी गांव-गांव गाया जाता है । भजन है- पन्ना के जुगल किशोर हो.. मुरलिया में हीरा जड़े हैं ।

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स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान ने यहां पर सभी प्रकार की बाल कलाओं को दिखाया है । इस मंदिर में सभी की मन्नतें पूरी होती हैं और मंदिर को जन्माष्टमी के दिन दुल्हन की तरह सजाया जाता है, देश-विदेश के लोग भगवान के दर्शन करने आते हैं। यहां जुगल किशोर मंदिर में भगवान का अद्भुत दरबार लगता है। इस समय यहां पूरे वातावरण में आध्यात्म की सुगंध का अहसास होता है । जन्माष्टमी पर मंदिर का हर कोना भगवान जुगल किशोर के जयकारों से गूंजता रहता है। यहां पग-पग में जुगल किशोर का चमत्कार नज़र आता है। इस मंदिर में आकर हृदय की गहराइयों से बस यही याचना निकलती है कि हे जुगल किशोर भगवन…..सबको सुख-समृद्धि दो…सबके कष्ट हरो ।सब पर अपना स्नेह रस बरसाओ।