खजाने पर भारी खर्चा ! कोविड काल में कैबिनेट दर्जा | Huge expenditure on treasury ! cabinet status in covid era

खजाने पर भारी खर्चा ! कोविड काल में कैबिनेट दर्जा

खजाने पर भारी खर्चा ! कोविड काल में कैबिनेट दर्जा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:56 PM IST, Published Date : June 30, 2021/5:44 pm IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने निगम, मंडल, बोर्ड, अभिकरण और प्राधिकरण के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री का दर्जा देने बावत आदेश जारी कर दिया है।13 अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री और जबकि 1 अध्यक्ष और 2 उपाध्यक्षों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया। इस आदेश के बाद विपक्ष ने इस बात पर बहस छेड़ दी है कि कोविड काल में आर्थिक तंगी के दौर में मंत्री का दर्जा बांटने की जरूरत क्या थी। इससे राज्य पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, सत्ता पक्ष का तर्क है कि नेताओं को मंत्री पद का दर्जा केवल प्रशासनिक प्रोटोकाल है। विपक्ष के आरोप और सत्तापक्ष के तर्क पर चर्चा करेंगे।

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छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से 29 जून को आदेश जारी कर निगम मंडल के 16 अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को कैबिनेट और राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया गया है। आदेश के मुताबिक नियमानुसार सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नियोक्ता संस्थाओं को होगी। मंत्री का दर्जा केवल शिष्टाचार के लिए प्रदान किया गया है। इधर, विपक्षी नेताओं का कहना है कि मंडल-आयोग में नियुक्त विधायकों को तो वेतन-भत्ता मिल ही रहा है अब…गैर विधायक अध्यक्षों को भी कैबिनेट मंत्री की तरह वेतन-भत्ता, दैनिक भत्ता, यात्रा भत्ता, राज्य में और राज्य के बाहर प्रोटोकॉल, आवास सुविधा दी जाएगी। भाजपा का आरोप है कि कोरोना संक्रमण काल में राज्य पहले से ही आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है। ऐसे में ये घोषणा कांग्रेस के भीतर अंदरूनी असंतोष को दूर करने के कवायद भर है। वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर साहू के मुताबिक इसका बोझ राज्य के आर्थिक हालात पर निश्चित तौर पर पड़ेगा ।

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इधर,सरकार के प्रवक्ता मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को केवल और केवल शिष्टाचार के लिए मंत्री का दर्जा दिया गया है। इससे राज्य के वित्तीय स्थिति पर जरा भी फर्क नहीं पड़ेगा। चौबे ने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी राज आयोग के अध्यक्षों को बेज्जती झेलनी पड़ती थी, जबकि अब उनका मान-सम्मान बढ़ाया गया है।

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सरकार के अपने तर्क हैं और विपक्ष के अपने आरोप, लेकिन दूसरी तरफ सूत्र बताते हैं कि सरकार की इस घोषणा के पीछे बड़ी वजह ये है कि कई गैर विधायक अध्यक्-उपाध्यक्ष पहले से ही मंत्री दर्जा की सुख-सुवधाओँ का लाभ ले रहे हैं। जिसे लेकर कई RTI लगाई गई हैं। फिलहाल तो इस आदेश के बाद निगम-मंडल में बची हुई नियुक्ति का बेसब्री से इंतजार करने वालों की बैचेनी बढ़ी हुई है।