कचरा डिस्पोज करने में नगर निगम को छूटे पसीने, दो करोड़ रु की लागत से बनाया जाएगा ट्रीटमेंट प्लांट

कचरा डिस्पोज करने में नगर निगम को छूटे पसीने, दो करोड़ रु की लागत से बनाया जाएगा ट्रीटमेंट प्लांट

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  • Publish Date - March 20, 2020 / 02:55 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:13 PM IST

रायगढ़ । शहर में घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से हर दिन निकलने वाले कचरे को डिस्पोज करना निगम के लिए परेशानी का सबब बन गया है। निगम के ट्रेचिंग ग्राउंड में तकरीबन 60 हजार टन कचरा जाम पड़ा है। एनजीटी की सख्ती के बाद अब नगर निगम इस कचरे के निपटान के लिए दो करोड़ रुपए खर्च कर ट्रीटमेंट यूनिट लगाने जा रहा है। हालांकि इतनी बड़ी राशि कचरे के डिस्पोजल के लिए खर्च करने और केलो नदी के किनारे यूनिट लगाने को लेकर पार्षद आपत्ति दर्ज करा रहे हैं।

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रायगढ़ नगर निगम का ट्रेचिंग ग्राउंड लंबे समय से विवादों में रहा है। शहर को पेय जल की सप्लाई करने वाली केलो नदी के किनारे बने ट्रेचिंग ग्राउंड में पिछले 22 सालों से शहर का कचरा और मेडिकल वेस्ट डंप हो रहा है। ट्रेचिंग ग्राउंड से लगा वाटर फिल्टर प्लांट होने की वजह से लगातार पार्षद इसे दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग कर रहे थे। एनजीटी ने भी महामारी की आशंका जताते हुए ट्रेचिंग ग्राउंड को तत्काल हटाने के निर्देश दिए थे। ऐसे में नगर निगम अब इस कचरे को साइंटिफिक तरीके से डिस्पोज करने के लिए ट्रीटमेंट यूनिट लगाने जा रहा है। 2 करोड़ 11 लाख रुपए खर्च कर यूनिट लगाने की तैयारी है जिसके लिए टेंडर काल किया गया है। खास बात ये है कि ट्रीटमेंट यूनिट भी केलो नदी से लगे स्थल पर ही लगाया जा रहा है। जिसे लेकर पार्षद विरोध जता रहे हैं। पार्षदों का कहना है कि पेयजल दूषित न हो इसके लिए ट्रेचिंग ग्राउंड को शिफ्ट करने की मांग वे पहले से करते आए थे, लेकिन हटाने की बजाए अब फिर से ट्रीटमेंट यूनिट उसी स्थल पर लगाया जा रहा है जिससे शहर वासियों की सेहत पर खतरा मंडराएगा। मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए इंसीनियेटर सिस्टम पहले ही स्वास्थ्य विभाग शहर से आउटर में इंस्टाल कर रहा है। ऐसे में निगम को भी यूनिट आउटर मे लगाना चाहिए।

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इधर मामले में अधिकारियों का कहना है कि कचरे की मात्रा बेहद ज्यादा है । लिहाजा यूनिट को उसी जगह पर लगाना जरुरी है। हालांकि अधिकारियों का ये भी कहना है कि पूरा कचरा रिसाइकल होने के बाद जगह को खाली कर दिया जाएगा और निगम के दूसरे प्रोजेक्ट में इस जमीन को यूज किया जाएगा। अधिकारियों का ये भी कहना है कि एक से डेढ महीने में प्रक्रिया शुरु हो जाएगी। दिसंबर 2020 तक ट्रेचिंग ग्राउंड के कचरे को रिसाइकल कर लिया जाएगा।