जबलपुर : यूं तो आम का नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन आम की कुछ किस्म ऐसी भी हैं, जिनके दाम सुनकर आपके होश भी फाख्ता हो सकते हैं। जी हां सुनकर आपको भी हैरानी होगी, लेकिन हकीकत में जबलपुर में आम की ऐसी किस्म भी उगाई जा रही है जिसके दाम प्रति नग ढाई से तीन लाख रुपए तक है। आम की ये किस्म है ‘ताईयो नो तामागो’, जिसे इसकी अनोखी रैडनैस के कारण, एग ऑफ द सन भी कहा जाता है।
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फलों के राजा आम की फसल प्राकृतिक तौर पर सिर्फ भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में ही होती है। भारत में हापुस यानि अल्फांसो को देश का सबसे महंगा आम माना जाता है। वहीं, दुनिया का सबसे महंगा आम जापान का ‘ताईयो नो तामागो है’, जिसे टोरेंगो दी टोमेगो भी कहा जाता है। तामागो आम अब मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में उगाया जा रहा है।
जबलपुर के प्रयोगवादी किसान संकल्प सिंह परिहार चरगवां रोड पर अपने फार्म हाउस में दुनिया के सबसे मंहगे आम को उगा रहे हैं। संकल्प परिहार ने अपने 12 एकड़ के बगीचे में 14 अलग-अलग किस्म के आम लगाए हैं जिसमें तामागो आम के 54 पेड़ हैं। एक ‘तामागो आम’ की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 2 लाख 70 हजार रुपए बताई जा रही है। जापान में इस आम कोपॉली हाउस के अंदर सुरक्षित वातावरण में उगाया जाता है। जबलपुर में संकल्प ने प्रयोग के तौर पर इसे लगाया था और अब दुनिया के सबसे मंहगे इस आम को जबलपुर की आबो-हवा भा गई है।
बताया जा रहा है कि जबलपुर के अलावा भारत में इस आम की खेती और कहीं नहीं हो रही है। संकल्प सिंह परिहार बताते हैं कि तामागो या टोरेंगो दी टोमेगो, लाल रंग का होता है, इस वजह से इसे एग ऑफ सन भी कहा जाता है। ये आम मूलत: जापान के मियाजारी प्रांत में पैदा होता है। पकने के बाद फल जाली में ही गिरकर लटकते हैं, तब जाकर उन्हें निकाला और बेचा जाता है। पेड़ पर लगे आम को किसान नहीं तोड़ते। वे मानते हैं कि इससे फल का स्वाद और पौष्टिकता चली जाती है। यानी जापानी किसानों की नजरों से देखें तो ताईयो नो तामागो पूरी तरह से पका हुआ फल है और ऐसा है भी। ये खाने में बेहद लजीज और खुशबूदार होता है। ये आम मार्केट में फलों की दुकानों पर नहीं मिलता, बल्कि इसकी बोली लगती है। नीलामी में सबसे ज्यादा कीमत देने वाले के हाथ ये फल लगता है।
फिलहाल संकल्प सिंह परिहार के फार्म में लगे इन आमों की बोली 21 हजार रुपए प्रति नग लगाई गई है। जबकि इस आम को पकने में अभी 1 माह का वक्त और लगेगा। लेकिन संकल्प ने आमों को इस दाम पर बेचने से मना कर दिया है क्योंकि वो जानते हैं कि विदेशों में इसी आम की कीमत कई लाखों में है।