मोबाइल के बॉक्स से निकले टाइल्स के टुकड़े, ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी ईबे पर जुर्माना

मोबाइल के बॉक्स से निकले टाइल्स के टुकड़े, ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी ईबे पर जुर्माना

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  • Publish Date - December 4, 2019 / 04:40 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:13 PM IST

दुर्ग, छत्तीसगढ़। ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से मोबाइल मंगाए जाने पर पार्सल में मोबाइल की बजाय टाइल्स के टुकड़े मिले है। इस पर जिला उपभोक्ता फोरम ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी इबे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसके सहयोगी व्यावसायिक संस्थान एरोमैक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड तथा श्री कृष्णा सेल्स एजेंसी जयपुर पर रु .23900 हर्जाना लगाया।

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आपापुरा दुर्ग स्थित कार्यालय में काम करने वाले परिवादी लोकेश कुमार सिंह ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी इबे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से शिओमी कंपनी का रेडमी मोबाइल रु.12900 में बुक कराया, जिसकी डिलीवरी उसे 7 जून 2017 को अपने कार्यालय में मिली। डिलीवरी करने वाले व्यक्ति को रकम भुगतान करने के बाद जब उसने अपने कार्यालय के अन्य कर्मचारियों के सामने पार्सल खोला तो उसमें से मोबाइल के स्थान पर टाइल्स के टुकड़े निकले, जिसकी पूरी तस्वीर कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी दर्ज हुई, इसके बाद परिवादी लगातार अनावेदक शॉपिंग कंपनी को ई मेल से शिकायत दर्ज कराता रहा लेकिन उसकी समस्या का कोई समाधान नहीं किया गया।

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जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह माना कि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी सामान बेचने के लिए व्यवसायियों को प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है। ग्राहक के प्रति सबसे पहली जवाबदारी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की बनती है क्योंकि ग्राहक को इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि आर्डर किए गए सामान का सप्लायर विक्रेता कौन है। ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के प्लेटफार्म पर जाकर ही ऑर्डर करता है और उसे ही राशि का भुगतान करता है इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी को किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं माना जा सकता है।

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ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की यह जिम्मेदारी बनती थी कि ग्राहक को वास्तविक सामान प्राप्त हो रहा है या नहीं इसे देखे लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी ने अपनी जिम्मेदारी मात्र ऑर्डर बुक करने तक ही सीमित रखी और जब परिवादी को दोषपूर्ण सामान की डिलीवरी हुई तो जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय उससे विमुख होने का प्रयास किया। ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी, उसके कुरियर पार्टनर और सप्लायर विक्रेता को व्यवसायिक दुराचरण एवं सेवा में निम्नता का जिम्मेदार मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने रु. 23900 हर्जाना लगाया, जिसमें मोबाइल की कीमत रु.12900, मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति स्वरूप रु.10000 तथा वाद व्यय रु. 1000 परिवादी को भुगतान करने का आदेश दिया गया। साथ ही 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी देना होगा।

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