गुजरात के लिए 2020 रहा प्रवासी कर्मियों के पलायन, अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं का साल | 2020 Year of Migrant Workers' Exodus to Gujarat, Incidents of Fire in Hospitals

गुजरात के लिए 2020 रहा प्रवासी कर्मियों के पलायन, अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं का साल

गुजरात के लिए 2020 रहा प्रवासी कर्मियों के पलायन, अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं का साल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : December 28, 2020/6:20 am IST

अहमदाबाद, 28 दिसंबर (भाषा) कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से औद्योगिक गतिविधियां बाधित होने, अपने घर लौटने को आतुर बेरोजगार प्रवासी कर्मियों के प्रदर्शनों और अस्पतालों में आग लगने जैसी घटनाओं ने इस साल गुजरात को सुर्खियों में बनाए रखा।

लॉकडाउन के दौरान साल के शुरुआती महीनों में गुजरात में फैक्ट्रियां, व्यापारिक प्रतिष्ठान और शैक्षणिक संस्थान बंद रहे। कोरोना वारयस से निपटने के लिए लागू किया गया लॉकडाउन उस समय मानवीय त्रासदी में बदल गया, जब इसके कारण प्रवासी श्रमिकों का रोजगार चला गया और आजीविका कमाने का कोई माध्यम नहीं होने के कारण उन्होंने अपने-अपने मूल स्थान लौटने का फैसला किया।

प्रवासी कर्मियों ने लॉकडाउन के दौरान उन्हें उनके गृह राज्यों में भेजे जाने के लिए यातायात का प्रबंध किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किए और कुछ शहरों में ये प्रदर्शन हिंसक हो गए। यातायात का कोई साधन नहीं मिल पाने के कारण कई श्रमिक सैंकड़ों किलोमीटर दूर स्थित अपने घरों की ओर पैदल ही लौटने को मजबूर हो गए और कुछ श्रमिकों ने साइकिलों या अन्य उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल किया।

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इसके बाद, सरकार ने प्रवासी कर्मियों को उन्हें मूल स्थान पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाईं।

इस बीच, गुजरात के कोविड-19 अस्पतालों में इलाजरत कुछ मरीजों के आग लगने की घटनाओं में जीवित जलने की हृदयविदारक घटनाएं सुर्खियों में रहीं।

अहमदाबाद स्थित श्रेय अस्पताल के आईसीयू में पांच और छह अगस्त की रात को आग लगने से कोरोना वायरस के आठ मरीजों की मौत हो गई। इसके बाद 26 और 27 नवंबर की रात में राजकोट के एक निजी अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से कोविड-19 से संक्रमित पांच मरीजों की मौत हो गई। वडोदरा में भी एसएसजी अस्पताल के आईसीयू में आग लग गई, लेकिन मरीजों को समय पर बाहर निकाल लिया गया।

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राज्य सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाई, कोविड-19 मरीजों के लिए अस्पताल में बिस्तर चिह्नित किए और पृथक-वास केंद्र बनाए, ताकि महामारी से निपटा जा सके।

महामारी की मार देश के सबसे बड़े औद्योगिक राज्यों में शुमार गुजरात की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ी। इसके कारण लोगों के सामाजिक जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ा।

राज्य में 19 मार्च को कोरोना वारयस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था और संक्रमण के कारण पहली मौत 22 मार्च को हुई।

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लॉकडाउन हटाने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही जीवन पटरी पर लौटना आरंभ होने लगा और आर्थिक गतिविधियां बहाल हुईं, लेकिन नवंबर में कोविड-19 संक्रमण के मामले फिर से तेजी से बढ़ने के कारण अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट में रात में कर्फ्यू लगा दिया गया।

इस साल राज्य ने संक्रमण के कारण कई बड़ी हस्तियों को खो दिया। गुजरात से राज्यसभा के सदस्य एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का संक्रमण के कारण 25 नवंबर को निधन हो गया। भाजपा नेता और सांसद अभय भारद्वाज का भी कोविड-19 के कारण दो दिसंबर को निधन हो गया। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का कोविड-19 संक्रमण के बाद पैदा हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण 29 अक्टूबर को निधन हो गया। इस साल गुजराती फिल्म अभिनेता नरेश कनोडिया का संक्रमण के कारण निधन हो गया।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी संक्रमण के कारण 102 दिन अस्पताल में भर्ती रहे और अंतत: इससे उबरने में सफल रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दो महीने में अपने गृह राज्य के दौरों में एक सी-प्लेन सेवा, रो-पैक्स फेरी सेवा और रोपवे समेत कई परियोजनाओं की शुरुआत की। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा पार्क का शिलान्यास किया। इसकी स्‍थापना कच्‍छ जिले में भारत-पाकिस्‍तान सीमा के पास खावड़ा गांव में की जा रही है। इसके अलावा एक विलवणीकरण संयंत्र और पूर्ण रूप से स्वचालित एक दूध प्रसंस्करण तथा पैकिंग संयंत्र का भी शिलान्यास किया गया।

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भाजपा ने नवंबर में राज्य विधानसभा की आठ सीटों के लिए हुए चुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल की, जिससे राज्य में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की स्थिति और मजबूत हुई।

यह साल वन्यजीव प्रेमियों के लिए शुभ समाचार लेकर आया। गुजरात वन विभाग ने बताया कि गिर में शेरों की संख्या बढ़कर 2020 में 674 हो गई, जबकि इनकी संख्या 2015 में 523 थी।

इस बीच, गुजरात की दो औद्योगिक इकाइयों में इस साल हुए विस्फोट की घटनाओं में 20 लोगों की मौत हो गई।

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