अहमदाबाद/मुंबई, चार दिसंबर (भाषा) देश में शनिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के ओमीक्रोन स्वरूप के दो नए मामले सामने आए। गुजरात के 72 वर्षीय व्यक्ति जबकि महाराष्ट्र के 33 वर्षीय व्यक्ति के ओमीक्रोन से संक्रमित होने की पुष्टि के बाद अब तक देश में इस स्वरूप के कुल चार मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इससे पहले, कर्नाटक में दो व्यक्ति वायरस के इस स्वरूप से संक्रमित मिले थे।
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा और मिजोरम को पत्र लिखकर कोविड-19 के प्रसार पर नियंत्रण के लिए ‘जांच- पता लगाना- उपचार करना- टीका लगाना- कोविड उपयुक्त व्यवहार अपनाने’ की नीति के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा।
कुछ जिलों में संक्रमण के बढ़ते मामलों, साप्ताहिक संक्रमण दर और साप्ताहिक मृत्यु के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
नए ओमीक्रोन स्वरूप को देखते हुए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 27 नवंबर को लिखे पत्र का जिक्र करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने शनिवार को कहा कि सभी राज्यों को सलाह दी गई है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर कड़ी नजर रखें, उभरते हॉटस्पॉट की निगरानी करें, संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों का तुरंत पता लगाएं। साथ ही सभी संक्रमित नमूने को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजने, मामलों की तुरंत पहचान करने और स्वास्थ्य ढांचे की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए भी कहा गया है।
गुजरात के स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को बताया कि जिम्बाब्वे से लौटा गुजरात के जामनगर शहर का 72 वर्षीय एक व्यक्ति कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ से संक्रमित पाया गया है।
गुजरात के स्वास्थ्य आयुक्त जयप्रकाश शिवहरे ने पुष्टि की कि जामनगर शहर का संबंधित व्यक्ति कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ से संक्रमित पाया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि यह व्यक्ति 28 नवंबर को जिम्बाब्वे से गुजरात आया था और दो दिसंबर को कोरोना वायरस से संक्रमित मिला था, जिसके बाद उसका नमूना जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजा गया था। हालांकि, संक्रमित व्यक्ति टीके की दोनों खुराक ले चुका है।
जामनगर के निगमायुक्त विजय कुमार खराडी ने कहा था कि नमूना जीनोम अनुक्रमण के लिए अहमदाबाद भेजा गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि व्यक्ति ‘ओमीक्रोन’ से संक्रमित है या नहीं।
उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति पिछले कई साल से जिम्बाब्वे में रह रहा है और वह राज्य में अपने ससुर से मिलने आया था।
अधिकारी ने कहा कि बुखार होने के बाद डॉक्टर ने उन्हें आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने की सलाह दी और निजी प्रयोगशाला ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को उसके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की सूचना दी।
खराडी ने कहा कि इसके बाद, इस व्यक्ति को गुरु गोबिंद सिंह सरकारी अस्पताल के पृथक वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया।
अधिकारियों ने बताया कि जिला अधिकारियों ने प्रोटोकॉल के अनुसार इस व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों का पता लगाना पहले ही शुरू कर दिया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ‘ओमीक्रोन’ को ‘‘चिंताजनक स्वरूप’’ की श्रेणी में रखा है।
केंद्र के अनुसार, ‘‘अधिक जोखिम’’ वाले देशों में ब्रिटेन सहित यूरोपीय देश और दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बोत्सवाना, चीन, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हांगकांग तथा इज़राइल शामिल हैं।
उधर, मुंबई के पास कल्याण डोंबिवली नगर निकाय क्षेत्र का एक व्यक्ति कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ से संक्रमित पाया गया है। महाराष्ट्र में इस स्वरूप के संक्रमण का यह पहला मामला है।
अधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को दिल्ली में कहा कि 33 वर्षीय यह व्यक्ति 23 नवंबर को मुंबई के लिए उड़ान भरने से पहले दुबई के रास्ते दक्षिण अफ्रीका से दिल्ली हवाई अड्डे पहुंचा था जहां उसने कोविड जांच के लिए नमूना दिया था।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग की निदेशक डॉक्टर अर्चना पाटिल ने मुंबई में पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कल्याण डोंबिवली नगर निकाय क्षेत्र का एक व्यक्ति कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन स्वरूप से संक्रमित पाया गया है। यह राज्य में पहला आधिकारिक मामला है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह (व्यक्ति) चार लोगों के एक समूह के साथ आया था। उनकी आरटी-पीसीआर जांच और जीनोम अनुक्रमण भी किया जाएगा।’’
वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में अभी जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को संक्रमण के प्रति आधारभूत सुरक्षा मिलनी बाकी है इसलिए कोविड-रोधी टीके की ‘बूस्टर’ खुराक देने की बजाय लाभार्थियों को दोनों खुराक देने को प्राथमिकता देनी चाहिए।
कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के सामने आने से उपजी चिंता और टीके से संक्रमण के प्रति मिली सुरक्षा में कमी होने से ‘बूस्टर’ खुराक देने की जरूरत समझी जा रही है। बहुत से देशों में भले ही बूस्टर खुराक देना पहले से शुरू कर दिया गया हो, लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में चूंकि बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान छह से आठ महीने पहले ही प्रारंभ हुआ था, इसलिए यहां की प्राथमिकता अलग होनी चाहिए।
भारतीय ‘सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स सिक्वेंसिंग कंसोर्टियम’ (इंसाकोग) ने, जोखिम वाले इलाकों और संक्रमण के ज्यादा करीब रहने वाली जनसंख्या के 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीके की बूस्टर खुराक देने की वकालत की है, लेकिन विशेषज्ञों की राय इससे अलग है।
इंसाकोग, राष्ट्रीय जांच प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है जिसे सरकार ने कोविड-19 के परिवर्तित होते जीनोमिक स्वरूप पर निगरानी के उद्देश्य से बनाया है। रोग प्रतिरोधक क्षमता वैज्ञानिक विनीता बल ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हमारे यहां 18 साल से कम उम्र के लोगों की बड़ी आबादी है। जब तक इन्हें टीका नहीं दिया जाता, दूसरी खुराक के लिए एक समान नीति या तीसरी खुराक का सुझाव देना बेमानी है।”
उन्होंने कहा कि भारत में बड़े स्तर पर टीकाकरण मार्च 2021 में ही शुरू हुआ है। ‘‘हमें भारत में सभी लाभार्थियों को टीके की दोनों खुराक देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के लोगों को बड़े स्तर पर टीका लगाने पर जोर देना चाहिए।’’
नयी दिल्ली के राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) के सत्यजीत रथ ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि दुनिया में किसी भी टीके के लिए बूस्टर की जरूरत है या नहीं। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “हाल के अध्ययन में प्रतिरक्षा की अवधि और सुरक्षा में अंतर दिखने लगा है। इसलिए मैं इन आंकड़ों के आधार पर बूस्टर खुराक के बारे में जल्दबाजी में कोई निश्चित राय नहीं दे सकता।”
वायरस नये स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ पर बढ़ती चिंताओं के बीच संसदीय समिति ने कोविड-रोधी टीकों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किये जाने तथा कोरोना के नये स्वरूप पर काबू पाने के लिए बूस्टर खुराक की आवश्यकता की जांच के लिए अधिक अनुसंधान करने की सिफारिश की है।
स्वास्थ्य पर संसदीय स्थायी समिति ने शुक्रवार को पेश अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि ‘इम्यूनोस्केप’ तंत्र विकसित कर रहे नए स्वरूप से गंभीरता से निपटा जाना चाहिए।
भाषा शफीक माधव
माधव
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