Aadhar Card: आखिर क्यों आधार से साबित नहीं होती नागरिकता! पहचान के जाल में कैसे उलझ रहा है आम भारतीय?
Aadhar Card: आखिर क्यों आधार से साबित नहीं होती नागरिकता! पहचान के जाल में कैसे उलझ रहा है आम भारतीय?
(Aadhar Card, Image Credit: screen grab)
- आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
- वोटर आईडी केवल पहचान के लिए मान्य है।
- आम लोगों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं होते।
Aadhar Card: अगर आप सोच रहे हैं कि आधार कार्ड या वोटर आईडी का होना आपकी भारतीय नागरिकता का प्रमाण है, तो यह खबर आपको हैरान कर सकती है। भारत में आज भी करोड़ों लोग इन दस्तावेजों के बावजूद अपनी नागरिकता साबित करने में परेशानियों का सामना कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव आयोग और भारत सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि आधार, वोटर आईडी या राशन कार्ड को नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं माना जाएगा।
राशन से लेकर बैंक तक आधार
आज के समय में आधार कार्ड हर जगह उपयोग हर जगह जिसमें बैंक खाता खोलने, मोबाइल सिम लेने, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने, स्कूल एडमिशन या कहीं भी अपनी पहचान साबित करने के लिए किया जाता है। आधार कार्ड में न केवल व्यक्ति की फोटो और विवरण होता है, बल्कि उसके बायोमैट्रिक डिटेल जैसे फिंगरप्रिंट और रेटिना स्कैन भी शामिल होते हैं।
कैसे बनता है आधार कार्ड?
आधार कार्ड बनवाने के लिए व्यक्ति को अपनी पहचान, पता और जन्म तिथि का प्रमाण देना होता है। इसके लिए पासपोर्ट, वोटर आईडी, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड जैसे दस्तावेज स्वीकार किए जाते हैं। जन्म तिथि के लिए 10वीं की मार्कशीट, जन्म प्रमाण पत्र या स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र मान्य होता है। किंतु यही आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाता।
आधार एक्ट की धारा 9 क्या कहती है?
भारत सरकार की संस्था UIDAI और आधार एक्ट के अनुसार, आधार केवल एक पहचान पत्र है, नागरिकता या डोमिसाइल का प्रमाण नहीं। एक्ट की धारा 9 कहती है कि आधार नंबर यह सिद्ध नहीं करता कि व्यक्ति भारत का नागरिक है। UIDAI भी यही मानता है कि आधार का उद्देश्य सिर्फ पहचान की सुविधा प्रदान करना है।
वोटर कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं!
वोटर कार्ड को लेकर भी आम धारणा है कि यह व्यक्ति की भारतीयता का प्रमाण है, लेकिन चुनाव आयोग के मुताबिक यह केवल एक मतदाता पहचान पत्र है, जो व्यक्ति को भारत में चुनावों में हिस्सा लेने का अधिकार देता है। यह पहचान तो साबित करता है, लेकिन नागरिकता नहीं।
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की गहन समीक्षा ने नागरिकता से जुड़े कई सवालों को पैदा किया है। दिल्ली-एनसीआर में भी पुलिस और सरकारी एजेंसियां संदिग्ध व्यक्तियों की नागरिकता की पहचान कर रही हैं. इस दौरान जमे-जमाए लोगों को भी अपनी नागरिकता साबित करने में परेशानी हो रही है।
बिहार चुनाव और दस्तावेजों का विवाद
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की गहन समीक्षा में यह विवाद और गहरा गया है। आयोग ने आधार, वोटर कार्ड, राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को नया वोटर बनने के लिए अयोग्य घोषित किया है। इसके स्थान पर ऐसे 11 दस्तावेजों को मान्यता दी गई है, जैसे: पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र, सरकारी कर्मचारी पहचान पत्र, परिवार रजिस्टर, भूमि/मकान आवंटन प्रमाण पत्र, वन अधिकार पत्र और स्थायी निवास प्रमाण पत्र आदि इनमें से अधिकांश दस्तावेज आम नागरिकों के पास नहीं होते, खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के पास नहीं होते।
राजनीतिक तकरार और नागरिक असमंजस
वहीं, विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया आम लोगों को जानबूझकर परेशान करने के लिए किया जा रहा है। वहीं, कई राज्यों में नागरिकों को अपने लंबे समय से जमे-जमाए निवास और दस्तावेजों के बावजूद भी नागरिकता साबित करने में परेशानी हो रही है।

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