Ramlala Pran Pratishtha: आडवानी और जोशी को भी मिला राममंदिर का न्यौता, ‘रामलला हम आएंगे’ कहने वाले क्या आएंगे?

Ram Mandir invitation to LK Advani: न्यौता राम मंदिर आंदोलन के अगुआ रहे बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भी गया है। डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को भी गया है। लेकिन राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने उनसे उम्र, ठंड और सेहत को देखते हुए न आने की गुजारिश भी की है।

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  • Publish Date - December 19, 2023 / 11:11 PM IST,
    Updated On - December 19, 2023 / 11:13 PM IST

Ramlala Pran Pratishtha: नई दिल्ली : दशकों की कानूनी लड़ाई, सदियों के इंतजार और आंदोलन के बाद आखिरकार अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। अब रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, इसकी तारीख भी 22 जनवरी तय कर दी गई है। पीएम मोदी मुख्य यजमान होंगे। कार्यक्रम में तमाम हस्तियों को न्यौता दिया गया है। कुल 6200 लोगों को निमंत्रण भेजा गया है जिसमें 4000 साधु-संत हैं। न्यौता राम मंदिर आंदोलन के अगुआ रहे बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भी गया है। डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को भी गया है। लेकिन राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने उनसे उम्र, ठंड और सेहत को देखते हुए न आने की गुजारिश भी की है।

कहा यह भी जा रहा है कि दोनों नेताओं ने ये अनुरोध स्वीकार भी कर लिया है। इसका मतलब है कि जब अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी तब ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का उद्घोष करने वाले न आडवाणी मौजूद रहेंगे और न ही आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे मुरली मनोहर जोशी। मंदिर आंदोलन की नींव की ईंट रहे दोनों नेता अयोध्या में उस ऐतिहासिक पल के साक्षी नहीं बन पाएंगे।

अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण भी कहीं न कहीं आडवाणी के भगीरथ प्रयास का ही नतीजा है। मंदिर भले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बना लेकिन उसके लिए आडवाणी ने जो संघर्ष किया, जिस तरह आंदोलन चलाया, उसे कभी नहीं भूला जा सकता। यहां तक कि उन्हें मुकदमे का भी सामना करना पड़ा। जब-जब राम मंदिर और उसके लिए आंदोलन का जिक्र होगा तो लोगों को खुद-ब-खुद आडवाणी का नाम ही याद आएगा।

‘सौगंध राम की…’ नारा लगाया

लाल कृष्ण आडवाणी न सिर्फ राम मंदिर आंदोलन के सारथी थे बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में बीजेपी के दमदार उदय के भी शिल्पी थे। 1990 में सोमनाथ से निकली उनकी रथयात्रा ने ही देशभर में मंदिर के पक्ष में एक लहर पैदा की। जब वह ‘सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वही बनाएंगे’ का उद्घोष करते थे तो रामभक्तों में एक अलग ही उत्साह का संचार होता था। उनकी रथ यात्रा के दौरान जब ‘एक धक्का और दो…’ का भी भड़काऊ नारा लगता था तो वह लोगों से अपील करते थे कि हिंदू तोड़ने में नहीं बल्कि जोड़ने में यकीन करते हैं। इस नारे की जगह ‘सौगंध राम की…’ नारा लगाया जाए।

सोमनाथ से शुरू हुई रथयात्रा 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या पहुंचनी थी। लेकिन यूपी में प्रवेश से पहले ही उन्हें बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। तब बिहार में लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे। 30 अक्टूबर 1990 को जिस दिन रथ यात्रा को अयोध्या पहुंचना था उसी दिन यूपी के तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था जिसमें कई कारसेवक मारे गए। घटना के 23 साल बाद सपा के संस्थापक ने जुलाई 2013 में कहा था कि उन्हें कारसेवकों पर गोली चलवाने का अफसोस है लेकिन उनके पास कोई दूसरा चारा भी नहीं था।

आडवाणी के कंधा से कंधा मिलाकर चले मुरली मनोहर जोशी

लाल कृष्ण आडवाणी राम मंदिर आंदोलन का चेहरा थे लेकिन मुरली मनोहर जोशी भी उसके पोस्टर बॉय में से एक थे। जोशी बीजेपी के चोटी के नेताओं में शुमार थे। अटल-आडवाणी-जोशी की तिकड़ी मशहूर थी। जोशी राम मंदिर आंदोलन में आडवाणी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर शामिल थे। जब बाबरी मस्जिद ढहाया गया तब जोशी भी आडवाणी के साथ मौजूद थे। उन्होंने भी मुकदमे का सामना किया। बाबरी के गिरने के बाद जोशी को गले लगाती उमा भारती की एक बहुचर्चित तस्वीर ने पूरे देश का ध्यान खींचा था।

आडवाणी आज 96 साल के हैं और मुरली मनोहर जोशी 90 साल के। बीजेपी के दोनों दिग्गज नेता और ‘मार्गदर्शक’ उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं। उम्र और सेहत का तकाजा है कि जिस आंदोलन से उनकी घर-घर में पहचान बनी, जिस उद्देश्य से उन्होंने आंदोलन चलाया आज जब वह उद्देश्य पूरा हो रहा है तो उस ऐतिहासिक पल को खुद की आंखों से देखने के लिए वे वहां मौजूद नहीं रहेंगे। कम से कम चंपत राय के बयान से तो यही एहसास होता है।

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