कई दिनों के हंगामे के बाद मंगलवार को राज्यसभा में हुआ सामान्य कामकाज
कई दिनों के हंगामे के बाद मंगलवार को राज्यसभा में हुआ सामान्य कामकाज
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) कई दिनों तक हंगामे के बाद मंगलवार को राज्यसभा में सामान्य रूप से कामकाज शुरू हो गया और सदस्यों ने सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठाए।
शुरुआती हंगामे के बाद सदन में शून्यकाल संपन्न हुआ और उसके बाद प्रश्नकाल लिया गया।
राज्यसभा में 25 नवंबर को शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से कोई खास कामकाज नहीं हो पाया था क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों और उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा सहित कई मुद्दों पर हंगामा किया।
समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को शून्यकाल (सुबह के सत्र) के दौरान सदन से बहिर्गमन किया। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने भी कुछ देर के लिए सदन से बहिर्गमन किया।
इससे पहले, सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर नियम 267 के तहत 42 नोटिस मिले हैं, जो संविधान को अपनाने की सदी की अंतिम तिमाही में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। उन्होंने किसी भी नोटिस को स्वीकार नहीं किया।
धनखड़ ने बताया कि सांसदों में से एक ने नियम 267 के तहत एक से अधिक नोटिस दिए। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि नियम 267 के नोटिस पर विचार करने से पहले ही एक सदस्य ने इसे सार्वजनिक कर दिया। सभापति ने इसे प्रावधानों की अवहेलना करार दिया और कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को विभिन्न दलों के नेताओं के समक्ष उठाया जाएगा। उन्होंने सदस्यों से उच्चतम नैतिक मानकों को बनाए रखने का आग्रह किया।
बाद में, सदन ने शून्यकाल के उल्लेखों के साथ कार्यवाही शुरू की, जिनमें सभापीठ की पूर्व अनुमति से मुद्दे उठाए जाते हैं।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के एम मोहम्मद अब्दुल्ला और एमडीएमके के वाइको ने तमिलनाडु में फेंगल चक्रवात के कारण हुए नुकसान के मुद्दे को उठाया।
समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोपाल यादव ने उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई हिंसा का मुद्दा उठाया।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र मनीषा
मनीषा

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