सिख-विरोधी दंगे: सज्जन की दोषसिद्धि के खिलाफ याचिका पर दिवाली की छुट्टियों के बाद सुनवाई

सिख-विरोधी दंगे: सज्जन की दोषसिद्धि के खिलाफ याचिका पर दिवाली की छुट्टियों के बाद सुनवाई

सिख-विरोधी दंगे: सज्जन की दोषसिद्धि के खिलाफ याचिका पर दिवाली की छुट्टियों के बाद सुनवाई
Modified Date: September 25, 2025 / 04:57 pm IST
Published Date: September 25, 2025 4:57 pm IST

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह 1984 के सिख-विरोधी दंगों के एक मामले में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास के खिलाफ याचिका पर दिवाली की छुट्टियों के बाद सुनवाई करेगा।

सर्वोच्च न्यायालय की दिवाली की छुट्टियां 20 अक्टूबर से शुरू होंगी। उसके बाद 27 अक्टूबर से शीर्ष अदालत में नियमित सुनवाई शुरू होगी।

न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई ने मामले की सुनवाई के दौरान संबद्ध पक्षकारों के वकीलों से आरोपों, गवाहों की गवाही और मामले में निचली अदालत तथा उच्च न्यायालय के निष्कर्षों के बारे में स्पष्ट जानकारी मांगी।

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पीठ ने कहा, ‘‘जब फैसला पलटा गया, तो ऐसी क्या चीज थी जिसने फैसला पलटने को मजबूर किया?’’

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के 2010 के उस फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें कुमार को एक मामले में बरी कर दिया गया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एस. चीमा केंद्रीय अन्वेषण ब्यरो (सीबीआई) की ओर से पेश हुए, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कुमार का प्रतिनिधित्व किया।

कुमार की अपील के अलावा, सह-दोषियों बलवान खोखर और गिरधारी लाल की याचिकाएं भी शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थीं।

यह मामला 1-2 नवंबर, 1984 को दिल्ली छावनी के राज नगर पार्ट-एक इलाके में पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-दो में एक गुरुद्वारे को जलाने से संबंधित है।

इकत्तीस अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा किये जाने के बाद सिख-विरोधी दंगे भड़क उठे थे।

कुमार ने उच्च न्यायालय के 17 दिसंबर, 2018 के फैसले के आधार पर सजा भुगतने के लिए 31 दिसंबर, 2018 को राजधानी की एक निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें ‘‘शेष जीवनकाल’’ के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद, कुमार ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

उच्च न्यायालय ने कुमार को आपराधिक षडयंत्र रचने और हत्या के अपराधों में उकसाने, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने, सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्य करने और एक गुरुद्वारे को अपवित्र करने तथा उसे नष्ट करने के अपराधों के लिए दोषी ठहराया एवं शेष जीवन जेल में बिताने की सजा सुनाई।

इसने खोखर और लाल सहित पांच अन्य लोगों को निचली अदालत द्वारा दी गई दोषसिद्धि और अलग-अलग सजाओं को भी बरकरार रखा।

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि 1984 के दंगों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में 2,700 से अधिक सिख मारे गए थे, जो वास्तव में ‘अविश्वसनीय पैमाने पर हुआ नरसंहार’ था।

भाषा सुरेश माधव

माधव


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