CM सर्बानंद बोले- विरोध के दौरान हिंसक घटनाओं को अंजाम देने वाले को बख्शा नहीं जाएगा, SIT का गठन

CM सर्बानंद बोले- विरोध के दौरान हिंसक घटनाओं को अंजाम देने वाले को बख्शा नहीं जाएगा, SIT का गठन

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  • Publish Date - December 21, 2019 / 05:44 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:49 PM IST

गुवाहाटी (असम)। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि नागरिकता अधिनियम के विरोध प्रदर्शन के दौरान किए गए हिंसक घटनाओं की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। जो कोई भी शामिल था, उसे बख्शा नहीं जाएगा।

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सोनोवाल ने आगे कहा कि “असम असमिया लोगों के साथ रहेगा।” उन्होंने कहा, “इसके लिए जो भी कानून की आवश्यकता होगी, हम उन्हें लाएंगे। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने असम के लोगों को आश्वासन दिया है कि असम समझौते के खंड 6 को लागू करने के लिए सभी पर्याप्त उपाय किए जाएंगे,”

असम पुलिस ने कहा कि राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बहाल कर दिया गया है और नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे सोशल मीडिया पर असत्यापित या उत्तेजक जानकारी पोस्ट या साझा करते समय सतर्क रहें।

<blockquote
class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">Assam Chief
Minister Sarbananda Sonowal said that an SIT has been constituted to
probe the acts of violence during protests against the Citizenship
(Amendment) Act, 2019, and those who were involved in the violence will
not be spared.<br><br>Read <a
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ANI Digital (@ani_digital) <a
href="https://twitter.com/ani_digital/status/1208220322492583937?ref_src=twsrc%5Etfw">December
21, 2019</a></blockquote>
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असम में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बहाल कर दिया गया है। अनुरोध करते हैं कहा कि नागरिकों को सोशल मीडिया पर असत्यापित/उत्तेजक जानकारी पोस्ट या साझा करते समय सतर्क रहें।

बता दें कि नागरिकता अधिनियम को लेकर राज्य भर में बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद इंटरनेट सेवाओं को 11 दिसंबर को निलंबित कर दिया गया था। 16 दिसंबर को, 10 जिलों लखीमपुर, तिनसुकिया, धेमाजी, डिब्रूगढ़, चराइदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कामरूप (मेट्रो) और कामरूप में 24 घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया।

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इसी दिन सोनोवाल ने कहा कि भारतीय मुसलमानों और राज्य में रहने वाले लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि कोई भी उनके अधिकारों को नहीं चुरा सकता है। “मैं भारतीय मुसलमानों और यहां रहने वाले लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि कोई भी असम की धरती के बेटों के अधिकारों को नहीं चुरा सकता है, हमारी भाषा या हमारी पहचान को कोई खतरा नहीं है। किसी भी तरह से असम का सम्मान प्रभावित नहीं होगा। नागरिकता अधिनियम को लेकर “सोनोवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था।

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उन्होंने कहा, “नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को लेकर राज्य में विरोध कर रहे लोगों की इस पर अलग-अलग राय है। मैं गणतंत्र में विश्वास करता हूं और विरोध करने वाले हर व्यक्ति का सम्मान करता हूं।” सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न से भागकर हिंदू, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदायों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देता है, जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में दाखिल हुए थे।

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