‘अन्य बार निकायों के लिए आदर्श बनें’: डीएचसीबीए में महिलाओं की भागीदारी पर न्यायालय ने कहा

‘अन्य बार निकायों के लिए आदर्श बनें’: डीएचसीबीए में महिलाओं की भागीदारी पर न्यायालय ने कहा

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  • Publish Date - December 12, 2024 / 10:56 PM IST,
    Updated On - December 12, 2024 / 10:56 PM IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) से कहा कि वह पदाधिकारियों के चुनाव में महिला आरक्षण के संबंध में कुछ ‘‘व्यावहारिक’’ और ‘‘उचित’’ समाधान सामने लेकर आए।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि डीएचसीबीए को महिला आरक्षण के मुद्दे पर राष्ट्रीय राजधानी में अन्य छोटे बार निकायों के लिए एक आदर्श (रोल मॉडल) के रूप में काम करना चाहिए।

पीठ ने कहा कि यदि बार की ओर से कोई व्यावहारिक और उचित समाधान निकलता है तो इससे इस मुद्दे को सुलझाने में मदद मिलेगी, अन्यथा अदालत की ओर से कोई आदेश सामने आएगा।

पीठ ने मामले को आगामी सप्ताह के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘श्री मोहित माथुर, कृपया इसका सौहार्दपूर्ण तरीके से और तत्काल समाधान करें। हम इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई करेंगे। हमने कहा है कि हम बार एसोसिएशन के चुनाव पर रोक नहीं लगा रहे हैं।’’

अदालत ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता एवं डीएचसीबीए के अध्यक्ष मोहित माथुर 17 दिसंबर तक अपने वरिष्ठ सदस्यों के समक्ष सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए विभिन्न विकल्प रखेंगे और किसी भी सुझाव के साथ विकल्पों पर 19 दिसंबर को पीठ द्वारा विचार किया जाएगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने कहा कि उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि दिल्ली में डीएचसीबीए, अधीनस्थ न्यायालयों और न्यायाधिकरणों के चुनाव एक ही दिन कराए जाएंगे और अब यह सब अधर में लटका हुआ है।

वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कहा कि डीएचसीबीए में महिला सदस्यों के लिए सीट आरक्षित करने का कोई विरोध नहीं कर रहा है, लेकिन यह निर्णय 13 अन्य बार निकायों के चुनावों में देरी करने का बहाना नहीं होना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय डीएचसीबीए में महिला वकीलों के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।

उच्चतम न्यायालय ने 13 नवंबर को कहा था कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की आम सभा की बैठक का वीडियो देखना चाहेगा ताकि बार निकाय में महिला आरक्षण के मुद्दे पर विचार-विमर्श की “गुणवत्ता और इसके प्रकार” का पता चल सके।

उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि आम सभा की बैठक में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित करने का प्रस्ताव पारित नहीं किया गया।

पीठ ने कहा था कि अदालत यह देखना चाहेगी कि उसके 26 सितंबर के आदेश के अनुसरण में दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की 15 सदस्यीय कार्यकारी समिति में महिलाओं के लिए पांच पद आरक्षित करने के प्रस्ताव को खारिज करते समय उचित विचार-विमर्श किया गया था या नहीं।

भाषा

देवेंद्र अमित

अमित