फांसी में लटकाने से पहले निर्भया के दोषियों का हाल, मांगी माफी..रोए भी..फांसी कोठी में जाने से किया इनकार....जानिए | Before hanging Nirbhaya's convicts, he apologized..Roose too .. refused to go to the hanging cell .... know

फांसी में लटकाने से पहले निर्भया के दोषियों का हाल, मांगी माफी..रोए भी..फांसी कोठी में जाने से किया इनकार….जानिए

फांसी में लटकाने से पहले निर्भया के दोषियों का हाल, मांगी माफी..रोए भी..फांसी कोठी में जाने से किया इनकार....जानिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : March 20, 2020/11:13 am IST

नई दिल्ली। अंतत: 7 साल बाद निर्भया के दोषियों का अंत हो गया निर्भया को न्याय मिल गया। 20 मार्च 2020, सुबह 5.30 के तय वक्त पर चारों दोषियों को फांसी हो गई। फांसी से पहले का आधा घंटा काफी महत्वपूर्ण रहा। इस दौरान दोषियों ने खुद को बचाने की तमाम कोशिश भी की। वे रोए, फांसी घर में लेट तक गए। लेकिन आखिरकार वह न्याय हुआ जिसका देश लंबे वक्त से इंतजार कर रहा था।

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जेल के अधिकारियों के मुताबिक चारों कातिलों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया। इसके लिए जेल नंबर-3 की फांसी कोठी में फांसी के दो तख्तों पर चारों को लटकाने के लिए चार हैंगर बनाए गए थे। इनमें से एक का लीवर मेरठ से आए जल्लाद पवन ने खींचा और दूसरे का लीवर जेल स्टाफ ने। चारों को फांसी देने के लिए 60 हजार रुपये का जो मेहनताना तय किया गया था, वह पूरा जल्लाद को ही मिलेगा।

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शुक्रवार तड़के 3.15 पर चारों को इनके सेल से उठा लिया गया, हालांकि, चारों में से कोई भी सोया नहीं था। इसके बाद सुबह की जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद इनसे नहाने को कहा गया। इसके बाद इनके लिए चाय मंगाई गई, लेकिन किसी ने चाय नहीं पी। फिर आखिरी इच्छा पूछी गई। फिर सेल से बाहर लाने से पहले इन चारों को काला कुर्ता-पजामा पहनाया गया। चारों के हाथ पीछे की ओर बांध दिए गए। इस दौरान दो दोषी हाथ बंधवाने से इनकार कर रहे थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।

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फांसी से पहले दोषियों को नहाने और कपड़े बदलने के लिए कहा गया था। तब विनय ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया। फिर वह रोने भी लगा और माफी मांगने लगा। फांसी के लिए जब दोषियों को लेकर जाया जा रहा था तो एक डर गया। वह फांसी घर में ही लेट गया और आगे जाने से मना करने लगा था। काफी कोशिशों के बाद उसे आगे लेकर जाया गया। फिर सेल से बाहर लाकर फांसी कोठी से ठीक पहले चारों के चेहरे काले कपड़े से ढक दिए गए। फांसी के तख्ते पर लटकाने से पहले इनके गले में रस्सी बांधी गई। वहीं इनके दोनों पैर भी बांध दिए गए थे। ताकि फांसी देते वक्त इनके दोनों पैर अलग-अलग ना हिले।

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इसके बाद पवन जल्लाद ने लीवर खींचने के लिए जेल नंबर-3 के सुपरिटेंडेंट की ओर देखा। जैसे ही उन्होंने इशारा किया। वैसे ही जल्लाद ने लीवर खींच दिया। फिर करीब 6 बजे यानी आधे घंटे बाद चारों दोषियों को मृत घोषित कर दिया गया। तिहाड़ में फांसी के दौरान जेल के बाहर लोग एकजुट थे। सभी फांसी का इंतजार कर रहे थे। फांसी के बाद तिहाड़ के बाहर जश्न का माहौल था। लोग मिठाई बांट रहे थे। वहां निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह के खिलाफ नारेबाजी भी हुई।