Bharan Poshan Act: मां अगर जॉब में फिर भी पिता को देना होगा बच्चे का मेंटनेंस खर्च.. क्या अपने पढ़ा हाईकोर्ट का यह अहम फैसला?

Bharan Poshan Act: 'मां अगर जॉब में फिर भी पिता को देना होगा बच्चे का मेंटनेंस खर्च'.. क्या अपने पढ़ा हाईकोर्ट का यह अहम फैसला?

Bharan Poshan Act: मां अगर जॉब में फिर भी पिता को देना होगा बच्चे का मेंटनेंस खर्च.. क्या अपने पढ़ा हाईकोर्ट का यह अहम फैसला?

Bharan Poshan Act in Hindi

Modified Date: August 7, 2024 / 06:04 pm IST
Published Date: August 7, 2024 6:04 pm IST

Bharan Poshan Act in Hindi: श्रीनगर। किसी मां के कामकाजी होने या जॉब में होने मात्र से कोई पिता अपने बच्चे की जिम्मेदारियों से खुद को दूर नहीं कर सकता। इस हालात में भी उसे बच्चों की परवरिश के लिए खर्च देना होगा। आज जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक प्रकरण पर सुनवाई करते हुए इसी से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया हैं।

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Jammu Kashmir & Laddakh Highcourt Latest Order

दरअसल कोर्ट में एक शख्स ने दलील दी थी कि उसके पास अपने नाबालिग बच्चों को भरण-पोषण देने के लिए पर्याप्त आय नहीं है। शख्स ने यह भी तर्क दिया कि उसकी अलग रह रही पत्नी (और बच्चों की मां) एक कामकाजी महिला है, जिसके पास बच्चों की देखभाल करने के लिए पर्याप्त आय है। हालांकि कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया।

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जिम्मेदारी से मुक्ति का तर्क निराधार

Bharan Poshan Act in Hindi: इस मामले में कोर्ट ने कहा, “नाबालिग बच्चों के पिता होने के नाते का उनका भरण-पोषण करना पिता की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी है। यह सच है कि बच्चों की मां कामकाजी महिला हैं और उनके पास आया का स्रोत है लेकिन इससे पिता होने के नाते याचिकाकर्ता को अपने बच्चों का भरण-पोषण करने की जिम्मेदारी से मुक्ति नहीं मिलती। इसलिए यह तर्क निराधार है।”

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कमाई 12 हजार, भरण-पोषण 31 हजार 500

Bharan Poshan Act in Hindi: बता दें कि शख्स ने कोर्ट में जिसने अपने तीनों बच्चों के लिए 4,500 रुपये भरण-पोषण के रूप में भुगतान करने के मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। सेशन कोर्ट द्वारा भरण-पोषण देने के आदेश को चुनौती दिए जाने के बाद शख्स ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। शख्स ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि उसकी मासिक आय केवल 12,000 रुपये है और उसके लिए अपने बच्चों के लिए 13,500 रुपये भरण-पोषण के रूप में देना संभव नहीं है। उसने बताया कि उसे अपने बीमार माता-पिता का भी भरण-पोषण करना है। उसने आगे तर्क दिया कि बच्चों की मां एक सरकारी टीचर थी, जिसे अच्छा वेतन मिलता था। ऐसे में बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी अकेले उस पर नहीं डाली जा सकती। हालांकि उसने ट्रायल कोर्ट के सामने कोई सबूत पेश नहीं किया जिससे पता चल सके कि वह हर महीने 12,000 रुपए ही कमाता है। दूसरी तरफ कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि वह एक योग्य इंजीनियर था जिसने पहले विदेश में भी काम किया था।

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लेखक के बारे में

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