बिहार सरकार जाति सर्वे का पूरा विवरण सार्वजनिक करे, ताकि निष्कर्षों को चुनौती दी जा सके: न्यायालय |

बिहार सरकार जाति सर्वे का पूरा विवरण सार्वजनिक करे, ताकि निष्कर्षों को चुनौती दी जा सके: न्यायालय

बिहार सरकार जाति सर्वे का पूरा विवरण सार्वजनिक करे, ताकि निष्कर्षों को चुनौती दी जा सके: न्यायालय

:   Modified Date:  January 2, 2024 / 07:09 PM IST, Published Date : January 2, 2024/7:09 pm IST

नयी दिल्ली, दो जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बिहार सरकार से कहा कि वह जाति सर्वेक्षण का पूरा विवरण सार्वजनिक करे, ताकि असंतुष्ट लोग निष्कर्षों को चुनौती दे सकें।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उन याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने जाति सर्वेक्षण और इस तरह की कवायद करने के बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखने वाले पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।

पीठ ने कहा, ‘अंतरिम राहत का कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि उनके (सरकार के) पक्ष में उच्च न्यायालय का आदेश है। अब, जब विवरण सार्वजनिक मंच पर डाल दिया गया है, तो दो-तीन पहलू बचे हैं। पहला कानूनी मुद्दा है-उच्च न्यायालय के फैसले का औचित्य और इस तरह की कवायद की वैधता के बारे में।’’

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि चूंकि सर्वेक्षण का डाटा सामने आ गया है, अधिकारियों ने इसे अंतरिम रूप से लागू करना शुरू कर दिया है और एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण को मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया है।

पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है।

पीठ ने रामचंद्रन से कहा, ‘‘जहां तक ​​आरक्षण बढ़ाने की बात है, तो आपको इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देनी होगी।’’

रामचंद्रन ने अदालत से कहा कि इसे पहले ही उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा चुकी है।

उन्होंने कहा कि मुद्दा महत्वपूर्ण है, और चूंकि राज्य सरकार डेटा पर काम कर रही है, इसलिए मामले को अगले सप्ताह सूचीबद्ध किया जाना चाहिए, ताकि याचिकाकर्ता अंतरिम राहत के लिए दलील दे सकें।

पीठ ने कहा, ‘‘कैसी अंतरिम राहत? उनके (बिहार सरकार के) पक्ष में उच्च न्यायालय का फैसला है।’’

बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि अलग-अलग विवरण सहित डेटा को सार्वजनिक कर दिया गया है और कोई भी इसे निर्दिष्ट वेबसाइट पर देख सकता है।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘मैं जिस चीज को लेकर अधिक चिंतित हूं, वह डेटा के अलग-अलग विवरण की उपलब्धता है। सरकार किस हद तक डेटा को रोक सकती है। आप देखिए, डेटा का पूरा विवरण सार्वजनिक होना चाहिए, ताकि कोई भी इससे निकले निष्कर्ष को चुनौती दे सके। जब तक यह सार्वजनिक नहीं होगा, वे इसे चुनौती नहीं दे सकते।’

बिहार में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नीतीश कुमार सरकार पर जाति सर्वेक्षण कराने में अनियमितताओं का आरोप लगाया है और एकत्र किए गए आंकड़ों को ‘फर्जी’ बताया है।

इसके बाद, पीठ ने दीवान से जाति सर्वेक्षण पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच फरवरी की तारीख निर्धारित कर दी।

भाषा

नेत्रपाल दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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