बिहार ने एआई-संचालित पुल के लिए आईआईटी-दिल्ली के साथ साझेदारी की

बिहार ने एआई-संचालित पुल के लिए आईआईटी-दिल्ली के साथ साझेदारी की

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  • Publish Date - August 15, 2025 / 07:36 PM IST,
    Updated On - August 15, 2025 / 07:36 PM IST

नयी दिल्ली, 15 अगस्त (भाषा) सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बिहार के सड़क निर्माण विभाग ने अपने इंजीनियर के लिए कृत्रिम मेधा (एआई)-संचालित सेतु प्रबंधन और वास्तविक समय पर आधारित संरचनात्मक सेतु सेहत निगरानी के लिए एक उन्नत प्रमाणन (एडवांस सर्टिफिकेशन) कार्यक्रम शुरू करने के वास्ते भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के साथ हाथ मिलाया है।

यह कदम बिहार में निर्माणाधीन और मौजूदा पुलों के ढहने की कई घटनाओं के बाद उठाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल मानसून के दौरान राज्य में 15 दिनों के छोटे से अंतराल में एक दर्जन पुल ढह गए थे।

सितंबर 2025 से शुरू होने वाला छह महीने का यह कार्यक्रम बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं रखरखाव नीति-2025 का एक मुख्य घटक है, जो व्यवस्थित पुल रखरखाव के लिए समर्पित भारत की पहली राज्य-स्तरीय नीति है।

बिहार के सड़क निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि हाल ही में कैबिनेट द्वारा स्वीकृत इस नीति का उद्देश्य स्वदेशी तकनीकी क्षमता का निर्माण करना, बाहरी सलाहकारों पर निर्भरता घटाना और पुलों के बुनियादी ढांचे की दीर्घकालिक सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित करना है।

इस कार्यक्रम के तहत, राज्य सरकार के 100 से अधिक इंजीनियर को ड्रोन और सेंसर डेटा के एआई/एमएल-आधारित विश्लेषण में प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे ‘ब्रिज हेल्थ इंडेक्स’ (बीएचआई) से जुड़े अंक की गणना कर सकें, महत्वपूर्ण पुलों पर ‘स्ट्रेन गेज’ और ‘टिल्ट मीटर’ का उपयोग करके रियल-टाइम निगरानी प्रणाली लागू कर सकें और कुशल संसाधन नियोजन के लिए एल्गोरिद्म आधारित रखरखाव प्राथमिकता सूचकांक (एमपीआई) मॉडल लागू कर सकें।

नवीन ने कहा कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी निरीक्षण डेटा और बीएचआई स्कोर ‘ब्रिज इंफॉर्मेशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम’ (बीआईएमएस) पोर्टल के माध्यम से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं रखरखाव नीति-2025 राज्य द्वारा अनुरक्षित सभी पुलों की संरचनात्मक स्थिति का आकलन करने के लिए ड्रोन के उपयोग को अनिवार्य बनाती है।

नवीन ने कहा कि नीति में दरारों और जंग जैसे दोषों का पता लगाने के लिए अधिक रेजोल्यूशन वाले कैमरों और थर्मल इमेजिंग से लैस ड्रोन का उपयोग करने की व्यवस्था शामिल है। उन्होंने बताया कि सटीक और दक्षतापूर्ण आकलन के लिए एकत्रित डेटा का एआई एल्गोरिद्म के जरिये विश्लेषण किया जाएगा।

भाषा संतोष पारुल

पारुल